दिल्ली-मेरठ रैपिड मेट्रो-रेल प्रोजेक्ट हेतु केंद्र सरकार ने लिए 3750 करोड़

दिल्ली-मेरठ रैपिड मेट्रो-रेल प्रोजेक्ट को पूरा करने हेतु केंद्र सरकार और एशियाई विकास बैंक के बीच मंगलवार को एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इसके तहत केंद्र सरकार ने बैंक से लगभग 3750 करोड़ का लोन लिया।
Center Government took 3750 crores loan for Delhi-Meerut Rapid Rail Project
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राज एक्सप्रेस। हाल ही में देश में बंद पड़ी रेल सेवाओं के बीच ही दिल्ली-मेरठ के रैपिड मेट्रो-रेल प्रोजेक्ट के अपने अंतिम चरण में पहुंचने की खबर सामने आई थी। वहीं, अब ये प्रोजेक्ट एक बार फिर चर्चा में है। इस रैपिड रेल प्रोजेक्ट को पूरा करने कार्यो को रफ्तार देने के लिए तैयारियां काफी जोरों पर हैं। इस प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार और एशियाई विकास बैंक के बीच एक समझौता हुआ है।

सरकार और बैंक के बीच हुआ समझौता :

दरअसल, दिल्ली-मेरठ रैपिड मेट्रो-रेल प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार और एशियाई विकास बैंक के बीच मंगलवार को एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इस समझौते के तहत केंद्र सरकार ने दिल्ली-मेरठ रैपिड मेट्रो-रेल प्रोजेक्ट के लिए एशियाई विकास बैंक से लगभग 3750 करोड़ लोन लिया है। हालांकि, एशियाई विकास बैंक दिल्ली-मेरठ रैपिड मेट्रो-रेल प्रोजेक्ट के लिए एक बिलियन डॉलर देगा।

इन्होंने किए हस्ताक्षर :

बताते चलें, लोन के लिए हुए इस समझौते पर सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय में आर्थिक कार्य विभाग के अतिरिक्त सचिव समीर कुमार खरे और एडीबी के इंडिया रेसिडेंट मिशन के कंट्री डायरेक्टर केनिची योकोयामा के हस्ताक्षर हुए। वहीं, इस समझौते को लेकर दिल्ली परिवहन क्षेत्र निगम के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह का कहना है कि, 'NCR दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में से एक है। ADB के साथ यह समझौता RRTS परियोजना को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।'

क्या होगा इस रकम का :

बताते चलें, केंद सरकार द्वारा ली गई इस 500 मिलियन डॉलर की राशि का उपयोग दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ RRTS कॉरिडोर के ट्रैक के विद्युतीकरण, मल्टीमॉडल हब और स्टेशन के निर्माण कार्य में किया जाएगा। इस का डिजाइन वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं, बच्चों और दिव्यांगजनों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। बताते चलें, इस प्रोजेक्ट के पूरा होते ही दिल्ली से मेरठ तक जाने के लिए महज एक घंटे से भी कम समय लगेगा।

रैपिड रेल और मेरठ मेट्रो की संख्या :

बताते चलें, दिल्ली-मेरठ के रैपिड मेट्रो-रेल प्रोजेक्ट के तहत साल 2025 तक भारत में इस रुट के लिए रैपिड रेल के 30 ट्रेनसेट और मेरठ मेट्रो के 10 ट्रेनसेट चलाये जाएंगे। इस प्रोजेक्ट के तहत 82 किलो मीटर लम्बा एक रेलवे ट्रैक निर्मित किया जाएगा। जिस पर मेरठ सीमा में मेट्रो भी चलाई जा सकती है। रैपिड मेट्रो-रेल प्रोजेक्ट पर दो प्रमुख चरणों में तेजी से काम चल रहा है। खबरों के अनुसार शुरुआत में दिल्ली से मेरठ तक इसके लिए टेंडर को मई-2020 में फाइनल कर दिया गया था। परंतु ट्रेनसेट की संख्या वेबसाइट पर टेंडर पास होने वाला लेटर डाउनलोड होने के बाद सामने आई है।

गुजरात की कंपनी को मिली निर्माण की जिम्मेदारी :

इस प्रोजेक्ट के निर्माण के समय ही मेरठ मेट्रो के अलग से स्टेशन निर्धारित कर दिए गए थे। इन स्टेशनों में परतापुर, रिठानी, ब्रह्मपुरी, मेरठ सेंट्रल, भैंसाली, एमईएस कॉलोनी, डोरली, मेरठ नॉर्थ, मोदीपुरम शामिल है। इन दोनों तरह की ट्रेनों के कोच बनाने की जिम्मेदारी गुजरात की बॉम्बिर्डियर कंपनी को मिली है। इस प्रोजेक्ट का टेंडर गुजरात की कंपनी बॉम्बिर्डियर को करीब 25 अरब 76 करोड़ 93 लाख पांच हजार 936 रुपये में मिला है। इस योजना को पूरा करने का लक्ष्य साल 2025 तक का रखा गया है। इस टेंडर के तहत कोच का डिजाइन, दुहाई, मोदीपुरम डिपो का रखरखाव, कोच की टेस्टिंग आदि कार्य को शामिल किया गया है।

क्या है रैपिड रेल :

बताते चलें, रैपिड रेल एक छह कोच वाली ट्रेन है। इसके अलावा ट्रेन सेट का मतलब एक पूरी ट्रेन है। सभी कोच के जुड़ जाने के बाद यह ट्रेन एक ट्रेन सेट कहलाता है।

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