राज एक्सप्रेस। जब भी बात हो कॉफी की तो एक ही नाम याद आता है, कैफे कॉफी डे (CCD) का और आज इसी फेमस जानी मानी कॉफी कंपनी के फाउंडर वीके सिद्धार्थ नहीं रहे। ये कर्नाटक के पूर्व विदेश मंत्री एस. एम. कृष्णा के दामाद थे। सिद्धार्थ के लापता होने की घटना से उनके परिवार के सभी सदस्य काफी दुखी थे। साथ ही लापता होने की खबर मिलते ही कर्नाटक के सीएम बीएस येदियुरप्पा, कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार और बीएल शंकर ने एसएम कृष्णा के घर पहुंच गए थे और कांग्रेस के नेता यूटी कादर घटना स्टाल पर पहुंचे थे।
या है पूरा मामला:
खबरों के अनुसार, वीजी सिद्धार्थ सोमवार की शाम से लापता थे। वह 29 जुलाई को एक बिजनेस के सिलसिले में कर्नाटक से मंगलुरु जा रहे थे, तब अचानक उन्होंने अपना फैसला बदलते हुए, ड्राइवर से कार रुकवा दी और बीच रास्ते में ही उतर गए। वह दक्षिण कन्नड़ जिले के कोटेपुरा इलाके में नेत्रावती नदी के पुल पर टहलने लगे और तब से ही वो लापता थे। उनका मोबाइल फ़ोन का स्विच ऑफ आ रहा था। उसी समय से पुलिस उनकी तलाश में लगी हुई थी। उनके फ़ोन से लास्ट कॉल सीसीडी के CFO को लगाया गया था। ड्राइवर ने बताया कि, उन्होंने मुझे गाड़ी पुल के उस पार लाने के लिए और खुद पैदल आने के लिए कहा था। मैंने गाड़ी 500 मीटर दूर लगाई और जब मुड़ कर देखा तो वो वहां नहीं थे, इसके बाद ड्राइवर ने पुलिस को उनके लापता होने की सुचना दी।
भारतीय तटरक्षक बल ने की तलाश:
सिद्धार्थ के लापता होने के बाद से ही उनकी तलाश जारी थी उनकी तलाश के लिए भारतीय तटरक्षक बल ने मंगलुरु के पुराने बंदरगाह के पास भी एक जहाज तैनात किया था। इसके अलावा तटरक्षक बल ने गोताखारों की तीन टीमों को भी उनकी तलाश के लिए लगाया था। बंदरगाह के मुहाने पर भी कड़ी नजर रखी जा रही थी। इतना ही नहीं उनकी तलाश के लिए आईसीजीएस सावित्रीबाई फुले को भी तैनात किया गया। इतनी तलाश करने के बाद उनका शव नेत्रावती नदी से बरामत हुआ।
क्या था मृत्यु का कारण:
खबरों के अनुसार, उनके लापता होने से पहले उन्होंने एक लेटर लिखा था। हालांकि इस बात की कोई पुष्टि नहीं हुई है कि, यह लेटर उन्होंने स्वयं लिखा है। इस लेटर के अनुसार, उन पर तीन हजार दो सौ करोड़ का कर्ज था और वह काफी परेशान हो चुके थे और उन्होंने कर्ज के चलते आत्महत्या की है।
क्या लिखा था लेटर में:
उन्होंने उस लेटर में कुछ इस प्रकार लिखा है, "मैं 37 साल से इस कंपनी को चला रहा हूँ, इस दौरान मैने 30,000 लोगों के लिए जॉब उत्पन्न की। इतना ही नहीं मैने 20000 जॉब टेक्नोलोग्य की फिल्ड में भी उतपन्न की, लेकिन फिर भी में सही बिजनेस मोडल को तैयार करने में फेल हो गया। मैं कहना चाहता हूँ, मैंने सबकुछ दे दिया। मैं उन सबसे माफ़ी मांगना चाहता हूँ जिन्होंने मुझ पर भरोसा किया। मैंने लंबे समय तक लड़ाई लड़ी लेकिन, आज मैं हिम्मत हार रहा हूं, क्योंकि मैं अब इससे ज्यादा दबाव नहीं झेल सकता हूं। अब मेरे निजी इक्विटी साझेदार मुझसे शेयर मांग रहे है। मैंने छह महीने पहले अपने एक मित्र से बड़ी राशि उधर ली थी, जिसके चलते मुझ पर बहुत ज्यादा प्रेसर हो गया है। शेयर्स के चक्कर में पूर्व DG इनकम टेक्स ऑफिसर की तरफ से भी मुझे बहुत ही परेशान किया गया।
मैं तहे दिल से चाहता हूँ कि, आप नए मैनेजमेंट के साथ इस बिजनेस को निरंतर चलाओ। मैं सारी गलतियों के लिए खुद जिम्मेदार हूँ। मेरे जितने भी फाइनेंसियल लेनदेन हुए है, उन सबका जिम्मेदार मैं हूँ और मेरी टीम, ऑडिटर्स और सीनियर मैनेजमेंट को इस लेनदेन के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। यहां तक की मैंने इस लेनदेन के बारे में अपने घरवालों तक को नहीं बताया। मेरा मानसिकता चोरी या किसी को धोखा देने की नहीं थी, लेकिन मैं इन सब में फ़ैल हो गया। यह मेरी गलतियों का वरिष्ठ प्रकाशन है। मैं उम्मीद करता हूँ कि, आप लोग एक दिन जरूर समझोगे और मुझे माफ़ करोगे। मैं इसे बंद करना चाहता हूँ।"
करियर का सफर :
वीजी सिद्धार्थ (VG Siddhartha) का जन्म कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले में हुआ था। इन्होने मंगलुरु विश्वविद्यालय से इकोनॉमिक्स में मास्टर्स की पढ़ाई की थी। इनका विवहा पूर्व विदेश मंत्री एसएम कृष्णा की बेटी से हुआ था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 24 साल की आयु में 1983-84 में मुंबई के जेएम फाइनेंसियल लिमिटेड कंपनी से की थी। यहाँ इन्होने मैनेजमेंट ट्रेनी व इंटर्न के रूप में काम किया। दो साल मुंबई रहने के बाद, उन्होंने बेंगलुरु वापस लौट कर अपना कारोबार शुरू किया। कारोबार की शुरुआत करने के 15 साल बाद उन्होंने कई राज्य में कॉफी चैन की शुरुआत की। चिकमंगलूर में वह काफी की खेती करके पूरे सालभर में लगभग 28 हजार टन कॉफी देश के बहार भेजते थे साथ ही लगभग दो हजार टन कॉफी लोकल बाजार में बेचते थे।
1992 में सिद्धार्थ ने कॉफी की खेती और उसे बेचने के लिए अमलगमेटेड बीन नाम की एक कंपनी शुरू की थी। इस कंपनी से उन्हें सालाना टर्नओवर छह करोड़ रुपये का होता था। दिन प्रतिदिन उनके कारोबार में फायदा हुआ और यही कंपनी कुछ ही साल में 25 अरब रुपये का टर्नओवर कमाने लगी। एबीसी कंपनी नाम ग्रीन कॉफी निर्यात करने के लिए भारत की सबसे बड़ी कंपनी बन गई थी। इसके बाद विजी सिद्धार्थ ने 1996 में CCD की स्थापना की। आज की तारीख में CCD पुरे देश की सबसे बड़ी कॉफी चैन के रूप में जानी जाती है और विजी सिद्धार्थ को लोग कॉफी किंग के नाम से जानते थे। CCD के आऊटलेट्स पूरे देश के 209 शहरों उपलब्ध है।
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