125 एपीए पर हस्ताक्षर कर सीबीडीटी ने बनाया नया रिकार्ड
इनमें 86 एकतरफा अग्रिम मूल्य निर्धारण समझौते (यूएपीए)
जबकि, 39 द्विपक्षीय अग्रिम मूल्य निर्धारण समझौते (बीएपीए)
राज एक्सप्रेस। भारत सरकार के केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय करदाताओं के साथ अब तक की सबसे अधिक 125 अग्रिम मूल्य निर्धारण समझौतों (एपीए) पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें 86 एकतरफा अग्रिम मूल्य निर्धारण समझौते (यूएपीए) और 39 द्विपक्षीय अग्रिम मूल्य निर्धारण समझौते (बीएपीए) शामिल हैं। यह कार्यक्रम शुरू होने के बाद से किसी भी वित्तीय वर्ष में अब तक की सर्वाधिक एपीए हस्ताक्षर है। वित्त वर्ष 2023-24 में हस्ताक्षरित एपीए की संख्या पिछले वित्त वर्ष में हस्ताक्षरित 95 एपीए की तुलना में 31% की वृद्धि का भी प्रतिनिधित्व करती है।
द्विपक्षीय अग्रिम मूल्य निर्धारण समझौते को अंग्रेजी में बाइलेटरल एडवांस प्राइसिंग एग्रीमेंट (बीएपीए) कहते हैं। यह एक करार है जो दो देशों के बीच किया जाता है। इस करार में यह तय किया जाता है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में लेनदेन की कीमत कैसे तय की जाएगी। बीएपीए का उद्देश्य दोहरे कराधान से बचना और कर चोरी को रोकना है। इसकी मदद से यह जानना संभव है कि भारत की या समझौता करने वाले देश में कितना कर देना होगा। इसकी मदद से चोरी का पता लगाना और उस पर रोक लगाने की प्रक्रिया भी काफी आसान हो गई है।
मान लीजिए एक भारतीय कंपनी किसी दूसरे देश जैसे ऑस्ट्रेलिया को कोई सामान बेचती है। इस पर भारत में भी टैक्स लगेगा और ऑस्ट्रेलिया में भी। लेकिन दोनों देशों के बीच बीएपीए होने की स्थिति में यह तय हो जाएगा कि किस चीज़ पर कौन सा देश टैक्स लगाएगा। इससे कंपनियों के लिए यह जान पाना आसान हो जाएगा कि उन्हें किस देश में कितना टैक्स देना होगा। इस समय ऑस्ट्रेलिया कनाडा, डेनमार्क, जापान, सिंगापुर, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका जैसे 135 देश भारत के बीएपीए संधि साझेदार हैं।
इसके साथ, अग्रिम मूल्य निर्धारण समझौता यानी एपीए कार्यक्रम की शुरुआत से अब तक कुल एपीए की संख्या 641 हो गई है, जिसमें 506 यूएपीए और 135 बीएपीए शामिल हैं। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान सीबीडीटी ने अब तक के किसी भी वित्तीय वर्ष की तुलना में सर्वाधिक द्विपक्षीय अग्रिम मूल्य निर्धारण समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए हैं। ये बीएपीए भारत के संधि साझेदारों जैसे ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, डेनमार्क, जापान, सिंगापुर, ब्रिटेन और अमेरिका के साथ पारस्परिक समझौतों के परिणामस्वरूप हस्ताक्षर किए गए।
2013-14 में, सीबीडीटी द्वारा केवल 5 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह पहला पूर्ण वित्तीय वर्ष था, क्योंकि एपीए अगस्त 2012 में शुरू हुआ था। इसके बाद सालाना संपन्न होने वाले एपीए की संख्या में तेज बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। अग्रिम मूल्य निर्धारण समझौते (एपीए) ट्रांसफर प्राइसिंग विवादों को पहले से सुलझाने का एक बेहतरीन उपाय है। आयकर (आईटी) कानून में ट्रांसफर प्राइसिंग प्रावधान यह निर्धारित करते हैं कि मूल्य निर्धारण सही तरीके से किया गया है या नहीं।
यह सुनिश्चित करता है कि भारत में मुनाफा सही ढंग से दर्ज किया जाए और कोई आयकर राजस्व नष्ट न हो। द्विपक्षीय एपीए पर हस्ताक्षर करने से करदाताओं को किसी भी प्रत्याशित या वास्तविक दोहरे कराधान से भी सुरक्षा मिलती है। सीबीडीटी ने अपने बयान में बताया है कि एपीए कार्यक्रम ने भारत सरकार के व्यापार करने की सुगमता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, खासकर उन बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनई) को, जो बड़ी संख्या में सीमा पार लेनदेन करते हैं।
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