कम होने वाली हैं अनिल अंबानी की मुश्किलें
कम होने वाली हैं अनिल अंबानी की मुश्किलें Syed Dabeer Hussain - RE

कम होने वाली हैं अनिल अंबानी की मुश्किलें, ब‍िड़ला ग्रुप कर सकता है मदद

अनिल अंबानी की रिलायंस कैपिटल लिमिटेड की लाइफ इंश्‍योरेंस यून‍िट आरएनएलआईसी (RNLIC) के विलय की कुछ संभावना नज़र आ रही है। हालांकि, इस बारे में कंपनी ने कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी है।
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राज एक्सप्रेस। अनिल अंबानी देश का एक ऐसा नाम है। जिसको सुनकर ही लोगों के दिमाग में कर्ज, नुकसान और कई सारी मुसीबतें दिखाई देने लगती हैं। क्योंकि, पिछले काफी समय से अनिल अंबानी इन सब से घिरे हुए हैं। हालांकि, अब ऐसा माना जा रहा है कि, अब उनकी मुश्किलें खत्म होने का समय आ चुका है। क्योंकि, अब कंपनी के विलय की कुछ संभावना नज़र आ रही है। हालांकि, इस बारे में कंपनी ने कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी है।

कम होने वाली हैं अनिल अंबानी की मुश्किलें :

दरअसल, सूत्रों से जानकारी सामने आई है कि, अनिल अंबानी की मुश्किलें अब काम होने वाली हैं क्योंकि, आदित्य बिड़ला कैपिटल द्वारा रिलायंस कैपिटल लिमिटेड (Reliance Capital Limited) की लाइफ इंश्‍योरेंस यून‍िट आरएनएलआईसी (RNLIC) के लिए बोली लगाई है। इससे निप्पॉन लाइफ (Nippon Life) के साथ विलय होने संभावना नज़र आ रही है। बता दें, जापानी कंपनी निप्पॉन लाइफ की रिलायंस कैपिटल की सहयोगी रिलायंस निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस कंपनी (RNLIC) में 49% हिस्सेदारी है और यह कंपनी भविष्य में रिलायंस निप्पॉन लाइफ और बिड़ला सन लाइफ इंश्योरेंस के विलय पर मन बना सकती है। ज्ञात हो कि, बिड़ला सन लाइफ, आदित्य बिड़ला कैपिटल की ही एक कंपनी है।

दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है कंपनी :

बता दें, रिलायंस निप्पॉन लाइफ इंश्योरेंस (RNLIC) इन दिनों अपनी दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है। वह ऋणग्रस्त कंपनी रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) की सहयोगी कंपनी है। बीमा नियामक इरडा के निर्देशों के अनुसार, 'कोई भी कंपनी एक से अधिक जीवन बीमा इकाइयों का संचालन नहीं कर सकती है। यही कारण है कि, बिड़ला सन लाइफ के प्रवर्तकों के RCL के सफल बोलीकर्ता के रूप में उभरने की स्थिति में उसके लिए रिलायंस निप्पॉन लाइफ के साथ विलय करना एक बाध्यता बनकर रह जाएगी।

ईमेल का नहीं मिला कोई उत्तर :

आदित्य बिड़ला कैपिटल द्वारा सेंड किए गए ईमेल का कोई उत्तर नहीं मिला है। सूत्रों ने बताया है कि, 'दोनों बीमा इकाइयों के मूल्यांकन के आधार पर निप्पॉन लाइफ को विलय के बाद बनने वाली नई इकाई में अपनी हिस्सेदारी को 49 प्रतिशत से घटाकर करीब 15% पर लेकर आना होगा।'

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