गांवों में उद्योग लगाएंगी बड़ी कंपनियां

अभी तक देश की किसी बड़ी कंपनी में नौकरी करनी है तो देश के महानगरों या बड़े शहरों में रहना होगा। लेकिन अब वह दिन दूर नहीं है, जबकि गांवों में रह कर भी बड़ी कंपनियों में नौकरी का सपना पूरा हो सकता है।
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नई दिल्ली। अभी तक यही सोचा जाता था कि देश की किसी बड़ी कंपनी में नौकरी करनी है तो देश के महानगरों या बड़े शहरों में रहना होगा। लेकिन अब वह दिन दूर नहीं है, जबकि गांवों में रह कर भी बड़ी कंपनियों में नौकरी का सपना पूरा हो सकता है। लॉकडाउन खुलने के बाद तो हालात ऐसे बन रहे हैं कि अब मजदूरों को शहरों में धक्के खाने और झुग्गी-झोपड़ी में जीवन बिताने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बड़ी कंपनियां खुद उनके गांवों तक पहुंचेगी।

भारतीय उद्योग परिसंघ सीआईआई के नए अध्यक्ष उदय कोटक ने बृहस्पतिवार को यहां संवादाताओंं से बातचीत में कहा कि अब रूरल से अरबन की ओर पलायन नहीं बल्कि अरबन से रूरल इलाकोंं की ओर रिवर्स माइग्रेशन हो रहा है। एक तरह से कहें तो यह रूरल अरबन रीबैलेंस होगा। अब उन्हें घर के आसपास ही रोजगार मिलेगा और वे अपने परिवार के साथ रहेंगे। उन्हें शहरों में स्लम एरिया में रहने से मुक्ति मिलेगी।

उदय कोटक का कहना है कि अब बड़ी कंपनियां भी गांवों में जाकर ही फैक्ट्री लगाने के बारे में गंभीरतापूर्वक सोचने लगी है। एक उद्योग संगठन के रूप में सीआईआई इसी को बढ़ावा देगा। देखा जाए तो सरकार इस समय सुधार के इतने कदम उठा रही है और ग्रामीण क्षेत्र में ढांचागत संरचना इस तरह से बन रहा है कि वहां भी काम करने में कोई दिक्कत नहीं होगी।

गांवों में ही मिल जाएंगे कुशल मजदूर :

उनका कहना है कि इस समय लाखों अति कुशल लोगों का शहरों से पलायन गांव की ओर हुआ है। इसलिए गांवों के आस पास कारखाने लगाने वाले लोगों को कुशल कारीगरों की कोई कमी नहीं होगी। यदि जरूरत पड़ी तो उन्हें रीस्किल किया जा सकता है, उन्हें विशेष प्रशिक्षण देकर कुछ और काम करने योग्य बनाया जा सकता है।

वर्क फ्रॉम होगा होगा नया तरीका :

सीआईआई अध्यक्ष का कहना है कि लॉकडाउन ने एक नई चीज सिखा दी है। वह है वर्क फ्रॉम होम। यह एक नया तरीका है जो कि आगे भी काम आएगा। गांवों में भी वर्क फ्रॉम होम में दिक्कत नहीं आएगी क्योंकि गांव-गांव तक ब्रॉडबैंड की पहुंच पहले ही हो चुकी है।

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