राज एक्सप्रेस। कर्ज में डूबी कंपनी डीएचएफएल के कर्जदाताओं की समिति दिवाला संहिता के तहत इसके ऋण समाधान के लिए निवेशकों से मिली चार बोलियों पर विचार करने के लिये सोमवार को बैठक करेगी। सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है। डीएचएफल के लिये अडानी समूह और पीरामल एंटरप्राइजेज समेत चार बोलियां प्राप्त हुई हैं। अमेरिका की ओकट्री और हांगकांग की एससी लोवी ने भी समाधान योजनाएं पेश की हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने कर्ज में डूबी डीएचएफएल को पिछले साल नवंबर में राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण एनसीएलटी के पास भेज दिया था। डीएचएफएल पहली वित्तीय कंपनी है, जिसे रिजर्व बैंक ने धारा 227 का इस्तेमाल कर एनसीएलटी के पास भेजा है। इससे पहले कंपनी के निदेशक मंडल को हटा दिया गया था और आर सुब्रमण्यकुमार को प्रशासक नियुक्त किया गया था। वह दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता आईबीसीद्धके तहत समाधान पेशेवर भी हैं। सूत्रों ने कहा कि डीएचएफएल के ऋणदाता सोमवार को बैठक कर बोली पर निर्णय का फैसला करेंगे।
निवेशकों ने लगाई कम कीमत :
सूत्रों के मुताबिक, निवेशकों ने कम कीमत की बोलियां जमा की हैं, इसलिये कर्जदाताओं को 95000 करोड़ रुपए की कुल देनदारियों में से 68000 करोड़ रुपए गंवाना पड़ सकता है। अत: ऐसी संभावना है कि सीओसी सभी बोलियों को खारिज कर देगी, क्योंकि बोलियां स्वतंत्र मूल्यांककों के द्वारा कर्जदाताओं के लिये तय की गयी उचित मूल्य और परिसमापन मूल्य से काफी कम हैं। डीएचएफएल ने इस बारे में भेजे गये एक ईमेल का जवाब नहीं दिया है। डीएचएफएल के पास 93 हजार करोड़ रुपए की संपत्तियां हैं। इनमें थोक व खुदरा संपत्तियां क्रमश: 33 हजार करोड़ रुपए और 48 हजार करोड़ रुपए हैं।
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