हाइलाइट्स :
बैंक ऑफ बड़ौदा ने घटाई MCLR की दर
UBI और UCO बैंकों ने भी घटाई MCLR की दर
12 दिसंबर से लागू होंगी MCLR की नई दरें
होम और ऑटो समेत कई लोन में मिली राहत
राज एक्सप्रेस। हाल ही में देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) द्वारा ग्राहकों को बड़ा तोहफा मिला था, कल ही SBI की MCLR दरें लागू हुई है और आज अन्य कई बैंको जैसे बैंक ऑफ बड़ौदा और यूको बैंक ने भी अपनी MCLR की दरों में कटौती करने की घोषणा कर दी है। यहाँ पढ़ें किस बैंक ने की कितनी कटौती।
BOB और UCO का MCLR :
बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB) ने वित्त वर्ष 2019-20 के तहत मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लेंडिंग रेट (MCLR) में 0.20% तक की कटौती करने का फैसला लिया है। बैंक की नई दरें कल अर्थात 12 दिसंबर से लागू हों जाएंगी। वहीं यूनाइटेड कमर्शियल (UCO) बैंक ने इस वित्त वर्ष 2019-20 की अवधि में MCLR में 0.10% की कटौती करने का ऐलान किया है।
UBI का MCLR :
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (UBI) ने वित्त वर्ष 2019-20 की अवधि में MCLR की दर में 0.05% की कटौती की है। अब बैंक की MCLR दर कम होकर 8.20% रह गई। इतना ही नहीं यूनियन बैंक ने अपनी विभिन्न अवधि के कर्ज में भी कटौती की है और यह कटौती 0.05 से 0.10 % तक की कटौती की है। बैंक की नई दरें आज अर्थात 11 दिसंबर से लागू हों गई है। इस प्रकार इन सभी बैंको ने अपने ग्राहकों को होम और ऑटो समेत कई लोन में राहत दी है।
क्या होता है MCLR?
अब जब लगभग सभी बैंक MCLR की दरों में कमी कर रहे हैं, तो यह जानना बहुत जरूरी हो जाता है कि, आखिर ये क्या है और इसका ग्राहकों को क्या फायदा मिलता है ? दरअसल यह एक तरह की दर होती है जिसे (MCLR दरों को) अप्रैल 2016 से लोन पर ब्याज की जगह बैंकों में इस्तेमाल किया जाता आ रहा है। जब भी कोई व्यक्ति बैंक से कर्ज लेता हैं तब बैंक उस ग्राहक से ब्याज वसूलता है और इस ब्याज की न्यूनतम दर को आधार दर कहा जाता है। बैक के नियमानुसार बैंक किसी भी ग्राहक को इस आधार दर से कम दर पर ब्याज नहीं देती, लेकिन अब बैंको ने इस आधार दर की जगह MCLR का चलन शुरू कर दिया है।
क्या होता है फायदा :
चूँकि बैंको ने आधार दर की जगह MCLR का चलन शुरू कर दिया है और गणना के अनुसार लोन की रकम की मार्जिनल कॉस्ट (सीमांत लागत), पीरियाडिक प्रीमियम (आवधिक प्रीमियम), ओपरेटिंग एक्सपांस (संचालन खर्च) और कैश भंडार अनुपात को बनाये रखने की लागत के आधार पर की जाती है। बाद में इसी राशि के आधार पर लोन दिया जाता है, बैंक द्वारा इस राशि में जितनी कटौती की जाती है ग्राहकों को लोन में उतनी ही छूट मिलती ही और होम लोन सस्ता पड़ता है।
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