इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को प्राथमिकता देने लिए योगी सरकार ने तय किया लक्ष्य, बनाई यह योजना
उत्तर प्रदेश, भारत। भारत में पर्यावरण के संतुलन को बनाये रखने और भारत में बढ़ रहे इलेक्ट्रिक वाहन के क्रेज को देखते हुए भारत कि केंद्र सहित राज्यों की सरकारें भी इलेक्ट्रिक वाहन (EV) को खरीदने के प्रति जागरूक कर रही हैं। इसके लिए वह कई तरह कि योजना लेकर आरही हैं। इसी बीच उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्रदेश के पर्यावरण को स्वच्छ और हरा-भरा रखने के मकसद से पेट्रोल-डीजल की बजाए 100% ग्रीन फ्यूल यानी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को प्राथमिकता दे रही है। इसके लिए योगी सरकार ने एक नया लक्ष्य तय करते हुए योजना बनाई है।
योगी सरकार कि योजना :
दरअसल, योगी सरकार ने स्वयं 2030 तक सभी सरकारी विभागों में उपयोग किए जाने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से ईवी में तब्दील करने का लक्ष्य रखा है। अब इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए तैयारी भी शुरू कर दी गई है। इसके तहत सरकार की ओर से निर्देश दिए गए हैं कि सरकारी विभाग बिना टेंडर के भी नामांकन के आधार पर EV वाहन क्रय कर सकते हैं, जबकि ईवी वाहनों के क्रय पर आवश्यक्ता के अनुसार तय मैक्सिमम लिमिट से अधिक भी खर्च किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश 2030 से पहले ही इस लक्ष्य को हासिल करके सरकारी विभागों में शत प्रतिशत ईवी वाला देश का पहला राज्य बन सकता है।
विनिर्माण एवं गतिशीलता नीति को नोटिफाई :
उल्लेखनीय है कि, प्रदेश में EV व्हीकल्स को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने 14 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक व्हीकल विनिर्माण एवं गतिशीलता नीति 2022 को नोटिफाई किया था। इसके तहत सरकार ने ईवी की खरीद पर 3 साल तक टैक्स और रजिस्ट्रेशन फीस से छूट प्रदान की है। वहीं, प्रदेश में निर्मित ईवी की खरीद पर यह छूट 5 साल तक मान्य होगी।
मुख्य सचिव के निर्देश :
मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र द्वारा सभी विभागों एवं उनके अधीन कार्यरत संस्थाओं को निर्देश दिए गए है कि, 'इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) पॉलिसी के अनुरूप 2030 तक 100% वाहन को EV में बदल दिया जाए। साथ ही सरकारी अभिकरणो से बिना निविदा के नामांकन के आधार पर पर EV वाहन क्रय किया जाए तथा शासकीय आयोजन के लिए वाहनों के क्रय पर प्रचलित ऊपरी अधिकतम सीमा को शिथिल किया जाए।'
अधिकारी ने दी जानकारी :
वहीँ, उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया है कि, 'चूंकि अभी तक सरकारी वाहनों की खरीद जेम पोर्टल पर टेंडर के माध्यम से होती थी, लेकिन ईवी कंपनियां इससे रजिस्टर्ड नहीं हैं। इसीलिए पॉलिसी में व्यवस्था दी गई है कि सरकारी अभिकरणो जैसे राजस्थान इलेक्ट्रॉनिक्स इंस्ट्रूमेंट लि. (आरईआईएल) व एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लि. (ईईएसएल) इत्यादि से बिना टेंडर के नामांकन के आधार पर ईवी क्रय किए जा सकेंगे। वहीं, चूंकि अभी इलेक्ट्रिक व्हीकल पेट्रोल-डीजल की तुलना में अधिक महंगे हैं, इसलिए सरकार ने वाहनों की खरीद पर ऊपरी अधिकतम खर्च सीमा पर भी छूट दी है।
सरकारी कर्मचारियों को मिलेगा एडवांस :
मुख्य सचिव द्वारा सभी विभागों के लिए यह निर्देश जरी किए गए हैं कि, राज्य सरकार द्वारा शासकीय विभागों में कार्यरत कर्मचारियों को वाहनों में अब इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) खरीदने पर भी एडवांस दिया जाएगा। इन आदेशों में यह भी कहा गया है कि, 'तय समय के अंदर विभाग इस पर कार्यवाही सुनिश्चित करें। ये कदम भी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की खरीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए उठाया गया है। EV पॉलिसी में भी इसके लिए प्रावधान किया गया था। इसका मूल उद्देश्य यही है कि यदि सरकारी कर्मचारी ईवी को प्राथमिकता देंगे तो आम जनता भी इसके प्रति प्रेरित होगी। मालूम हो कि सभी प्रदेश सरकारें अपने अधिकारियों व कर्मचारियों को मोटर व्हीकल, स्कूटर या बाइक की खरीद के लिए अग्रिम भुगतान करती है, जिसे अधिकारी या कर्मचारी को निर्धारित समय में वापस करना होता है। कार, स्कूटर या बाइक खरीदने के लिए यह अग्रिम राशि अलग-अलग निर्धारित है।'
EV को लेकर अब नहीं है अनिश्चितता :
ईवी को लेकर सरकार के प्रयासों के नतीजे भी देखने को मिल रहे हैं। ऑडिट एवं कंसल्टिंग फर्म केपीएमजी और इंडस्ट्री बॉडी सीआईआई की ज्वॉइंट रिपोर्ट में कहा गया है कि ईवी को अपनाने को लेकर अब लोगों में अनिश्चितता जैसी बात नहीं है। सरकार की ओर से बुनियादी ढांचे के विकास, प्रोत्साहन और नए इलेक्ट्रिक वाहन मॉडल पेश किए जाने के साथ देश में ईवी की बिक्री चालू दशक की बची हुई अवधि में बढ़ने की उम्मीद है। साथ ही इस बिक्री में दोपहिया और तिपहिया वाहनों का दबदबा रहने की संभावना है।
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