हिमाचल प्रदेश में बेमौसम बरसात और बर्फबारी से चिंता में पड़े सेब किसान

हिमाचल प्रदेश के मैदानी और अर्द्ध पर्वतीय इलाकों में आंधी-तूफान के बीच बरसात हो रही है, जबकि ऊपरी इलाकों में जमकर बर्फबारी हो रही है।
Weather changed in Himachal, apple farmers worried increased
हिमाचल प्रदेश में बेमौसम बरसात और बर्फबारी, चिंता में सेब किसानRaj Express
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हाईलाइट्स

  • हिमाचल प्रदेश में इस समय सेब के पेड़ों में फ्लावरिंग और सेटिंग चल रही

  • बेमौसम आंधी-तूफान व बरसात और बर्फबारी से किसान परेशानी में पड़े

  • मौसम में अचानक आए इस बदलाव का सेब उत्पादन पर पड़ सकता है असर

राज एक्सप्रेस । हिमाचल प्रदेश में इस सेब की पेड़ों में फ्लावरिंग हो रही है। इस दौरान मौसम के बदलाव ने सेब किसानों को परेशानी में डाल दिया है। प्रदेश के मैदानी और अर्द्ध पर्वतीय इलाकों में आंधी-तूफान के बीच बरसात हो रही है, जबकि ऊपरी इलाकों में जमकर बर्फबारी हो रही है। मौसम की इन दुष्वारियों ने सेब किसानों को परेशानी में डाल दिया है। किसान ही नहीं, सेब के कारोबार से जुड़े व्यापारी, ट्रांसपोर्टर या फिर स्टोर आपरेटर्स सभी मौसम में आए बदलावों की वजह से चिंता में पड़ गए हैं। बता दें कि खराब मौसम की वजह से पिछले साल भी हिमाचल प्रदेश में सेब की फसल को बहुत नुकसान उठाना पड़ा था।

पिछले साल के कर्जों से अब तक नहीं उबरे किसान

हिमाचल के किसान पिछले साल के कर्जों से अब तक नहीं उबर पाए हैं। उन्हें इस साल मुनाफे से ज्यादा चिंता इस बात की है कि वे पिछले साल के नुकसान और कर्ज की भरपाई कैसे करेंगे। साल 2023 में मौसमी त्रासदी की वजह से हिमाचल प्रदेश की आधी से ज्यादा सेब की फसल बर्बाद हो गई थी। हालत यह हो गई थी कि उनकी लागत भी नहीं निकली थी। शुरुआत के कुछ दिनों में हालाँकि सेब की कीमत में कुछ सुधार देखने को मिला था, लेकिन क्वालिटी के अभाव में यह क्रम ज्यादा दिन नहीं चल सका था। जिन लोगों को सेब के भण्डारण से कुछ हतर कमाई की उम्मीद थी, उन्हें उचित मूल्य के अभाव में निराशा का सामना करना पड़ा था।

मौसम से प्रभावित हुई सेब की फ्लॉवरिंग और सेटिंग

गौर करने वाली बात यह है की सेब के भण्डारण और ट्रांसपोर्ट में अच्छी खासी लागत आती है और मुनाफे का मार्जिन काफी कम होता है। इस स्थिति में उम्मीद बस यही होती है कि क्वालिटी अच्छी हो और सेब की आपूर्ति भी सुचारु रूप से हो। किन्तु 2023 की बाढ़ की वजह से न तो सेब की क्वालिटी अच्छी हो पाई और न उचित मात्रा में मंडियों में माल पहुँच पाया। लोगों को उम्मीद थी कि पिछले साल के नुकसान की भरपाई इस साल हो जाएगी। लेकिन इस बार भी मौसम संबंधी गठिनाईयां बढ़ती दिखाई दे रही हैं। आंधी तूफान, बेमौसम बरसात और बर्फबारी ने पेड़ों की फ्लॉवरिंग और सेटिंग को नष्ट करना शुरू कर दिया है।

फ्लावरिंग और सेटिंग के लिए खुली धूप जरूरी

हिमाचल में इस समय तापमान जहां 24 डिग्री के आसपास और खिली धूप वाला होना चाहिए था, वहीं करीब-करीब पूरे प्रदेश में फिर से हल्की सर्दी और बदली का मौसम बना हुआ है। इन दिनों सेब में फ्लावरिंग का दौर चल रहा है, लेकिन ओलावृष्टि होने से कुल्लू के लगभग एक दर्जन गांवों में सेब की फसल पूरी तरह तबाह हो गई है, जबकि कई जगह सेब के पेड़ों से फूल झड़ गए, हेलनेट फट गए, वहीं जिन बगीचों में एंटी हेलनेट नहीं थी, उनसे फूलों के साथ पत्ते भी गिर गए हैं और इससे सेब की टहनियां व पेड़ भी टूट गए हैं। बारिश के साथ-साथ तापमान के घटने-बढ़ने से भी फसलों पर बुरा असर पड़ रहा है। मौसम की विपरीतता की वजह से मधुमक्खियां से ठीक से परागण भी नहीं हो पा रहा है।

अच्छी फ्लावरिंग और सेटिंग का मतलब अच्छा उत्पादन

किसान चिंता में हैं कि अगर सही तरीके से फ्लावरिंग नहीं हुई तो निश्चित ही इसका उत्पादन पर असर पड़ेगा। यह न केवल बागबानों बल्कि प्रोक्योरमेंट सेंटर्स का संचालन करने वाली कंपनियों, सेब के यातायात में लगे लोगों के लिए चिंता का विषय है। यही वजह है कि मौसम विभाग के साथ-साथ इन कंपनियों ने भी बदलते मौसम की प्रत्येक अपडेट पर नजर गड़ा रखी हैं। मौसम विभाग ने अभी कुछ दिन तक ऐसा ही मौसम रहने का अनुमान जताया है। इस दौरान मैदानी और मध्यपर्वतीय इलाकों में बिजली कड़कने और आंधी तूफान की आशंका जताई जा रही है, जबकि इस दौरान उच्चपर्वतीय इलाकों में लाहौल-स्पीति, किन्नौर, कुल्लू और चम्बा में बर्फ़बारी की सम्भावना जताई है।

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