कम ब्याज पर फंड मैनेज नहीं कर पाए तो कारोबारी दुष्चक्र में फंस सकते हैं वेदांता समूह के अनिल अग्रवाल
नई दिल्ली। गौतम अडाणी के बाद वेदांता समूह के अनिल अग्रवाल भी कारोबारी मुश्किलों में फंसते दिखाई दे रहे हैं। अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता के शेयरों में लगातार आठ दिन से गिरावट दर्ज की गई है, हालांकि आज इसमें तेजी का रुख देखा गया। अनिल अग्रवाल की चिंता यह है कि इस समय वेदांता समूह कर्ज के भारी दबाव में है और इस स्थिति से बाहर निकलने के लिये उनके पास विकल्प बहुत सीमित हैं। इस समय सारी दुनिया मंदी की चपेट में है। वैश्विक कर्ज की बाजार में स्थितियां अच्छी नहीं हैं। कई देशों की केंद्रीय बैंकों ने महंगाई रोकने के लिए ब्याज दरों में इजाफा किया है। वेदांता को अपनी समस्या से उबरने के लिए फंड जुटाना होगा, जिसके लिए वैश्विक बाजार की स्थितियां बहुत अनुकूल नहीं हैं। वेदांता ने हाल के दिनों में अपनी एक कंपनी की हिस्सेदारी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड को बेचने की कोशिश की थी, लेकिन सरकार ने इसकी मंजूरी नहीं दी। हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में सरकार की करीब 30 फीसदी हिस्सेदारी है।
पिछले साल मूडीज की रिपोर्ट के बाद शुरू हुई परेशानियां :
वेदांता समूह की परेशानी पिछले साल अक्टूबर में उस समय शुरू हुई थी, जब रेटिंग एजेंसी मूडीज ने वेदांता की होल्डिंग कंपनी वेदांता रिसोर्सेज की रेटिंग को बहुत डाउनग्रेड कर दिया था। इसके बाद कंपनी की कर्ज चुकाने की क्षमता पर सवाल उठाए जाने लगे थे। मूडीज ने दावा किया था कि वेदांता समूह को अप्रैल और मई में 90 करोड़ डॉलर का भुगतान करना है, लेकिन वह जरूरी धन का प्रबंध नहीं कर पा रही है। इसके अलावा कंपनी को 2024 की पहली तिमाही में 90 करोड़ डॉलर का भुगतान करना है। कंपनी को मार्च 2024 तक 3.8 अरब डॉलर का बाहरी कर्ज 60 करोड़ डॉलर का इंटरकंपनी लोन और 60 करोड़ डॉलर का ब्याज भी चुकाना है।
मार्च 2023 तक का सारा कर्ज चुकता, अफवाहों में दम नहीं :
वेदांता रिसोर्सेज का कहना है कि मूडीज की रिपोर्ट तथ्यपरक नहीं है। उसके निष्कर्ष अनुमानों पर आधारित हैं। मूडीज ने इस साल की पहली छमाही में एक अरब डॉलर जुटाए हैं, जबकि वेदांता लिमिटेड ने 1.5 अरब डॉलर जुटाए हैं। वेदांता ने दावा किया कि वह अपने सभी कर्जों को समय पर चुकाएगी। कंपनी ने कहा उसने मार्च, 2023 तक का सारा कर्ज चुका दिया है। कंपनी ने पिछले 11 महीने में दो अरब डॉलर कर्ज का भुगतान किया है। यह साबित करता है कि कंपनी अपनी देनदारियों के प्रति गंभीर है और वह अपनी कारोबारी गतिविधियों को गंभीरता से आगे बढ़ा रही है।
फिलवक्त अनिल अग्रवाल के सामने हैं दो बड़ी चुनौतियां :
वित्तीय बाजार के विशेषज्ञों के अनुसार अनिल अग्रवाल के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं। अगर चीन में आर्थिक गतिविधियां पटरी पर नहीं लौटती, तो कमोडिटी में भारी प्रॉफिट का दौर नहीं लौटेगा। अगर वह हिंदुस्तान जिंक के कैश का इस्तेमाल नहीं करेंगे तो उन्हें दूसरी जगह से कर्ज लेना पड़ेगा। ब्याज दर महंगी होने की वजह से कर्ज जुटाना उनके लिए महंगा साबित हो सकता है। इसकी वजह से कंपनी पर अतिरिक्त दबाव निर्मित होंगे। अगर उन्होंने सरकार की मंशा के खिलाफ हिंदुस्तान जिंक की ऐसेट्स बेचने की कोशिश की तो फॉक्सकॉन के साथ सेमीकंडक्टर फैक्ट्री लगाने का उनका 19 अरब डॉलर का प्रोजेक्ट खटाई में पड़ सकता है।
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