राज एक्सप्रेस। देश में कोरोना आने के बाद से सबसे ज्यादा अगर कोई चीज बढ़ी है तो वो महंगाई ही है। आज भारत के हर क्षेत्र में महंगाई बढ़ती जा रही है। यही बढ़ती महंगाई कृषि क्षेत्र में भी देखने को मिल रही है। इसी के चलते गेहूं की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही है। इन बढ़ती कीमतों के चलते ही केंद्र सरकार ने तत्काल प्रभाव से गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने जैसा बड़ा फैसला लिया। इस फैसले के बाद दुनियाभर में कोहराम सा मच गया है। पिछले दिनों सरकार के इस फैसले की आलोचना G-7 देशों के ग्रुप ने की थी। वहीं, अब अमेरिका भी इस फैसले पर आपत्ति जताता हुआ नज़र आया।
अमेरिका ने किया सरकार के फैसले का विरोध :
दरअसल, रुस और यूक्रेन के युद्ध के चलते सभी देशों का हाल कुछ बेहाल सा होता नज़र आ रहा है क्योंकि, जब भी दो देशों के बीच युद्ध होता है तो उसका असर उन दोनों देशों के अलावा कई देशों पर होता है। यही कारण है कि, भारत में पिछले 80 दिनों में महंगाई काफी बढ़ गई है। इसी के चलते गेंहू की कीमतें भी काफी बढ़ गई है। इसलिए भारत सरकार गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर हो गई। जिससे देश में अनाज की कमी न हो। इस फैसले के बाद G-7 देशों के ग्रुप ने भारत सरकार के इस फैसले की आलोचना की थी। वहीं, अब अमेरिका भी इस फैसले के विरोध में उतर आया है। अमेरिका की तरफ से संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने आपत्ति जताते हुए कहा कि,
'भारत के कदम से विश्व में खाद्य संकट बढ़ सकता है। हमने गेहूं निर्यात पर रोक को लेकर भारत के फैसले की रिपोर्ट देखी है। हम विभिन्न देशों को निर्यात को प्रतिबंधित नहीं करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, क्योंकि हमें लगता है कि निर्यात पर किसी भी पाबंदी से खाद्यान्न की और ज्यादा कमी हो जाएगी। भारत के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस पर विचार होगा। उम्मीद है कि भारत रोक हटाने पर पुनर्विचार करेगा। भारत सुरक्षा परिषद भी हमारे द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल होगा और हमें उम्मीद है कि वह अन्य देशों द्वारा जताई जा रही चिंता को देखते हुए अपने फैसले पर फिर से विचार करेगा।'
लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड, अमेरिकी राजदूत
चीन ने किया भारत का सपोर्ट :
बताते चलें, भले अमेरिका ने इस फैसले का विरोध किया हो, लेकिन चीन शायद पहली बार भारत के सपोर्ट में नजर आया। भारत का सपोर्ट करते हुए चीन ने रविवार को कहा कि, 'भारत जैसे विकासशील देशों को दोष देने से वैश्विक खाद्य संकट का समाधान नहीं होगा।' इधर भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर लगाए प्रतिबंध को लेकर आज कुछ ढील दे दी है। इस मामले में भारत सरकार ने कहा है कि, 'देश की खाद्य सुरक्षा के मद्देनजर यह कदम उठाया गया है। साथ ही पड़ोसी देशों और गरीब देशों को समर्थन करने के लिए भी ऐसा करना जरूरी था।'
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