हाइलाइट्स :
लगातार बढ़ रहा इलाहाबाद बैंक का घाटा!
उच्च NPA प्रोवीज़न्स ने बढ़ा दी परेशानी!
दी गई 322 धोखाधड़ी के मामलों की रिपोर्ट!
कुल 70.54 करोड़ रुपये की राशि का घालमेल!
राज एक्सप्रेस। भारत के एक और बैंक की बैंकिग कार्रवाई सवालों के कटघरे में है और बैंक बर्बादी की कगार पर है। जी हां! इलाहाबाद बैंक के फाइनेंशियल ईयर 19 के नुकसान में Rs 8,457.38 करोड़ रुपयों की वृद्धि हुई थी। इसका कारण उच्च NPA (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) प्रोवीज़न्स को बताया गया।
बढ़ा घाटा :
फरवरी की रिपोर्ट्स के अनुसार दूसरी तिमाही में इलाहाबाद बैंक का घाटा 2,114 करोड़ रुपया हो गया। सकल अग्रिमों के प्रतिशत के रूप में सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) क्रमिक रूप से 162bps (बेसिस पर पॉइंट्स) तक बढ़कर 19.05 प्रतिशत होने की जानकारी दी गई है।
सार्वजनिक क्षेत्र के ऋणदाता इलाहाबाद बैंक का शुद्ध घाटा जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान बढ़कर 2,114 करोड़ रुपये बताया गया है। पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में घाटा 1,823 करोड़ रुपये था।
वाणिज्यिक रिपोर्ट्स के मुताबिक Q2FY20 में शुद्ध ब्याज आय (एनआईआई),शुद्ध प्राप्त और दर्शाया ब्याज 10.9 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़कर 1,275.7 करोड़ रुपये हो गया, जिसमें 2 प्रतिशत की मौद्रिक वृद्धि हुई है।
बीएसई फाइलिंग :
बैंक ने बीएसई फाइलिंग में तिमाही के दौरान अग्रिम 1.39 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 1.42 लाख करोड़ रुपये जबकि जमा 3 प्रतिशत बढ़कर 2.17 लाख करोड़ रुपये होने की जानकारी दी है।
परिसंपत्ति-गुणवत्ता के मामले में सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के रूप में सकल अग्रिमों का प्रतिशत क्रमिक रूप से 162 बीपीएस (बेसिस पर पॉइंट्स) बढ़कर 19.05 प्रतिशत हो गया और शुद्ध एनपीए बढ़कर 5.98 प्रतिशत होने की जानकारी रिपोर्ट्स में दी जा रही है।
प्रावधान और आकस्मिक खर्च 2,740.6 करोड़ रुपये रहे, जिसमें तिमाही दर तिमाही 171.6 प्रतिशत और वर्ष दर वर्ष 16.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हालांकि प्रावधान कवरेज अनुपात में क्रमिक आधार पर 78.6 प्रतिशत से 79.3 प्रतिशत तक सुधार हुआ।
Q2FY20 रिपोर्ट :
बैंक ने गैर-ब्याज आय (अन्य आय) 24.3 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़कर 511.14 करोड़ रुपये और पूर्व-प्रावधान परिचालन लाभ 18.5 प्रतिशत की दर से बढ़कर Q2FY20 में 632.87 करोड़ रुपया होने की जानकारी जारी की है।
इलाहाबाद बैंक में भी वित्तीय संकट के संकेत मिले हैं। वित्तीय वर्ष 18 के क्वार्टर फोर 3,509.63 की तुलना में Allahabad Bank के क्वार्टर फोर में 3,834.07 करोड़ रुपयों की वृद्धि हुई। हालांकि साल 18 की 4,259.37 करोड़ की तुलना में कुल इनकम बढ़कर 4,602.86 करोड़ रुपया भी होने की जानकारी दी गई।
नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स :
यदि इलाहाबाद बैंक के नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स की बात करें तो वित्तीय साल 18 में 10,326.45 की तुलना में फाइनेंशियल ईयर 19 में यह बढ़कर 11,761.13 करोड़ रुपया जा पहुंचा है। राज्य के स्वामित्व वाले इलाहाबाद बैंक ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए 8,457.38 करोड़ रुपये का समेकित शुद्ध घाटा दर्ज किया, जो पिछले वर्ष में 4,574.22 करोड़ रुपये के नेट लॉस से बढ़कर है।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में दी गई सूचना के मुताबिक इलाहाबाद बैंक की एक साल पहले की तुलना में कुल जमा आय FY19 (फाइनेंशियल ईयर 19) में 18,806.38 रही, जबकि पिछले साल यह 19,487.51 करोड़ रुपया थी।
आकस्मिक व्यय में इजाफा :
वित्त वर्ष 19 में बैंक के प्रावधान और आकस्मिक व्यय में भी इजाफा हुआ है। ये बढ़कर 11,899.51 करोड़ रुपये हो गए, जो वित्त वर्ष 18 में 10,031.27 करोड़ रुपये थे।
प्रोविजन कवरेज रेश्यो (पीसीआर), उत्पन्न लाभ से बुरे ऋणों के खिलाफ किए गए प्रावधान के एक संकेतक में मार्च 2019 के अंत में 79.85 प्रतिशत तक काफी सुधार हुआ, जबकि मार्च 2018 के अंत में यह 62.91 प्रतिशत था।
परिसंपत्ति के मामले में सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) अनुपात-सकल अग्रिमों के प्रतिशत के रूप में बुरे ऋण वित्त वर्ष 18 में 15.96 प्रतिशत के मुकाबले वित्त वर्ष 19 में 17.55 प्रतिशत रहे। हालांकि, नेट एनपीए पिछले वर्ष की इसी अवधि में 8.04 प्रतिशत की तुलना में घटकर 5.22 प्रतिशत रहा।
पिछले वित्त वर्ष में 10,326.45 करोड़ रुपये की तुलना में एनपीए प्रावधान बढ़कर 11,761.13 करोड़ रुपया हो गए। बैंक ने 2018-19 की चौथी तिमाही के दौरान 3,834.07 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया, जबकि पिछले साल की इसी तिमाही में 3,509.63 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।
हालांकि, इलाहाबाद बैंक की कुल आय Q4FY19 में बढ़कर 4,602.86 करोड़ रुपया रही जो Q4FY18 में 4,259.37 करोड़ रुपया थी। मार्च तिमाही के दौरान, बैंक को सरकार से लगभग 6,896 करोड़ रुपये की पूंजी प्राप्त हुई।
धोखाधड़ी के मामले :
"2018-19 के दौरान, 322 धोखाधड़ी के मामलों की रिपोर्ट दी गई, जिसमें कुल 70.54 करोड़ रुपये की राशि का घालमेल है। बैंक के मुताबिक उसने कुल 13.68 करोड़ रुपये की वसूली की और तिमाही के दौरान 8.53 करोड़ रुपये का लिखित प्रावधान किया।"
रिस्क असेसमेंट रिपोर्ट :
आरबीआई की जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट (रिस्क असेसमेंट रिपोर्ट-RAR) के अनुपालन में परिसंपत्ति वर्गीकरण और एनपीए के लिए प्रावधान पर बैंक ने सकल एनपीए में 1,128.70 करोड़ रुपये और शुद्ध एनपीए में 709.20 करोड़ रुपये की गिरावट दर्ज की। इस बीच, प्रावधान में 1,022.40 करोड़ रुपये का विचलन रहा। इलाहाबाद बैंक फरवरी में RBI के त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (PCA) ढांचे से बाहर आया है। बैंक के निदेशक मंडल ने वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए किसी भी लाभांश की सिफारिश नहीं की है।
पीटीआई की रिपोर्ट :
पीटीआई की नवंबर 2019 की खबर के अनुसार बैंक ने अपनी Q2 रिपोर्ट में ऊंचे बड़े ऋणों के कारण 2,103 करोड़ रुपया नुकसान होने की जानकारी दी थी। इससे पहले की जून तिमाही में बैंक ने 128 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था। उस वक्त पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक बैंक का नॉन परफॉर्मिंग लोन प्रोविज़न कवरेज अनुपात 79.30 था।
खबरें कहती हैं इस दौर में इलाहाबाद BankNSE -2.10% ने खराब ऋणों के लिए अधिक प्रावधान के कारण सितंबर तिमाही 2019-20 के लिए शुद्ध नुकसान को बढ़ाकर 2,103.19 करोड़ रुपया करने की जानकारी दी थी। गौरतलब है कि राज्य के स्वामित्व वाले ऋणदाता ने एक साल पहले की अवधि के दौरान 1,816.19 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया था। हालांकि साल 2019 की जून तिमाही में बैंक ने 128 करोड़ रुपया लाभ कमाने की जानकारी दी।
PNB, PMBC जैसे बैंकों की गैरदूरदर्शी नीतियों, कुचक्रों के बाद इलाहाबाद बैंक पर भी संकट के बादल घिरने की आशंका वित्तीय जानकारों ने दी है।
संकट का दौर!
गौरतलब है पिछले दिनों इलाहाबाद और इंडियन बैंक की पहली संयुक्त बैठक हुई थी। इलाहाबाद बैंक के इंडियन बैंक में विलय की औपचारिकता से पहले संयुक्त बैठकों का दौर जारी है। जिसमें मानमनौवल की रस्म निभाई जा रही है। बीते दिनों हुई बैठक में इंडियन बैंक की प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी पद्मजा चुंडूरू के संपूर्ण संबोधन में संयुक्त प्रयास पर जोर रहा। गौरतलब है बैंकों के विलय का बैंकिग कर्मचारी राष्ट्रीय स्तर पर विरोध कर रहे हैं।
वहीं इलाहाबाद बैंक के एग्जिक्युटिव डायरेक्टर के.रामचंद्रन ने सम्मेलन में कर्मचारियों से इस ऐतिहासिक घटना को सकारात्मक रूप से लेने की बात कही। उन्होंने दोनों बैंक के अंशधारकों और कर्मचारियों के हित को ध्यान में रखकर नीतियां बनाने की भी मंशा जताई। फिलहाल तो प्रबंधन कर्मचारियों से मेल- मुलाकात में लगा है और बैंक के विलय के साथ ही भविष्य की योजनाओं पर चर्चा करने में मशरूफ है। बैंक के विकास के नाम पर स्टाफर्स से संयुक्त प्रयास की अपील की जा रही है।
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