राज एक्सप्रेस। देश में कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन के कारण कई सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। इनमें एयरलाइन सेक्टर पर भी काफी बुरा प्रभाव नजर आने लगा है। इस नुकसान के चलते एयरलाइंस कंपनियां कभी छंटनी करती हुई नजर आ रही हैं तो कभी वेतन में कटौती करती हुई। कई कंपनियों ने तो अपने वर्कर्स को लिव विदाउट पय पर छुट्टी पर भेज दिया है। इन सबके बीच अब भारत की सरकारी एयरलाइंस कंपनी 'Air India' (एयर इंडिया) ने अपने ऑफिस और सेवाओं से जुड़ा अहम फैसला किया है।
Air India का अहम फैसला :
दरअसल, लॉकडाउन से अब तक सरकारी एयरलाइंस कंपनी Air India काफी नुकसान उठा चुकी है। इसी घाटे के चलते कंपनी ने अहम फैसला लेते हुए पांच अलग-अलग देशों में अपने ऑफिस और सेवाएं बंद करने का ऐलान किया है। बताते चलें इन अलग-अलग 5 देशों में कोपनहेगन (डेनमार्क), मिलान (इटली), स्टॉकहोम (स्वीडन), मेड्रिड (स्पेन) और वियाना (पॉर्चुगल) शामिल हैं। कंपनी के इस फैसले से पहले तक इन देशों में एयर इंडिया की फ्लाइट की सुविधा जारी थी परंतु अब इन देशों में एयर इंडिया अपने ऑफिस और सेवाओं को बंद कर देगी।
पहले से ही जूझ रही आर्थिक मंदी से :
बताते चलें, Air India कंपनी पहले से ही काफी नुकसान का सामना कर रही है। जिससे कंपनी में आर्थिक मंदी का माहौल है। कंपनी के ऊपर पहले ही 70 हजार करोड़ रुपए का भारी कर्ज है। वहीं, कोरोना वायरस के चलते एयरलाइंस कंपनियों को और भी अधिक घाटे का सामना करना पड़ा कंपनियां जैसे-तैसे रेवेन्यू निकालने में जुटी हुई है। नुकसान का एक कारण इंटरनेशनल फ्लाइट्स कब बंद रहना भी है। Air India कंपनी ने भले ही अपनी सेवाएं और ऑफिस इन 5 यूरोपीय देशों में बंद करने का फैसला कर लिया है, परंतु वंदे भारत मिशन का पांचवा चरण अभी भी जारी रहेगा और एयर इंडिया के कर्मचारी यहां कार्य करते रहेंगे।
क्यों लेना पड़ा यह फैसला :
दरअसल, Air India कंपनी ने यात्रियों की संख्या में आई गिरावट के चलते इन 5 यूरोपीय डेस्टिनेशंस के लिए उड़ानों को रोकने का फैसला किया है। यदि कंपनी इन देशों में अपनी सेवाएं जारी रखती तो कंपनी को रेवेन्यू में काफी नुकसान उठाना पड़ता। बताते चलें, इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने जुलाई में अनुमान लगाया था कि, वैश्विक स्तर पर यात्रियों के ट्रैफिक कोरोनावायरस के स्तर पर जाने से कम से कम 4 साल लगेंगे। इसका सीधा मतलब यह कि एयरलाइंस कंपनियां अपनी खोई हुई रफ्तार 2024 तक पटरी पर ला सकेंगे और 2024 से पहले यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी होना काफी मुश्किल नजर आ रहा है। इसके अलावा बता दें, इस साल 2020 में वैश्विक ट्रेवल्स की संख्या पिछले साल की तुलना में लगभग 55% तक और गिरने की संभावना है।
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