सिंगापुर में नियामकीय मुश्किलों में फंसी Air India एयरलाइन

Air India एयरलाइन सिंगापुर में नियामकीय (Regulatory) मुश्किलों में फंस गई है। इस प्रकार यह मुसीबत न केवल Air India पर आई है बल्कि, Tata Sons को भी बराबर से इस मुश्किल का सामना करना पड़ेगा।
 सिंगापुर में नियामकीय मुश्किलों में फंसी  Air India एयरलाइन
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राज एक्सप्रेस। काफी समय तक घाटे का सामना करने वाली दिग्गज एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया (Air India) अपनी दिवालिया प्रक्रिया से होते हुए हाल ही में अब अपने सही हक़दार यानी टाटा ग्रुप (Tata Group) की कंपनी टाटा संस (Tata Sons) के पास पहुंच चुकी है। तब से एयरलाइन में कई तरह के बदलाव किए जा चुके है, लेकिन अब भी कंपनी की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। क्योंकि, अब Air India एयरलाइन सिंगापुर में नियामकीय (Regulatory) मुश्किलों में फंस गई है। इस प्रकार यह मुसीबत न केबल Air India पर आई है बल्कि, Tata Sons को भी बराबर से इस मुश्किल का सामना करना पड़ेगा।

क्या है मामला :

दरअसल, Air India एयरलाइन को सिंगापुर में नियामकीय मुश्किलों में फंस गई है। नियामक का आरोप है कि, Tata Group ने Air India का अधिग्रहण करके सिंगापुर के प्रतिस्पर्धा-रोधी कानूनों का उलंघन किया है। अब Tata Group या कहें Tata Sons कंपनी को इस आरोप को गलत साबित कर यह साबित करना होगा कि, Air India का अधिग्रहण सिंगापुर के प्रतिस्पर्धा-रोधी कानूनों (Anti-Competition Laws) का उल्लंघन नहीं करता है। बता दें, पिछले साल अक्टूबर 2021 में Tata Sons ने अपनी सब्सिडियरी टैलेस (Talace) के जरिए Air India का अधिग्रहण किया था।

Tata Group को कैसे मिली एयरलाइन कंपनी :

जैसा की सभी जानते है कि, Tata Group ने Air India एयरलाइन का मालिकाना हक एक बिड (बोली) में बोली लगाकर जीता है। इसके बाद Tata Group की कंपनी Tata Sons को Air India का मालिकाना हक़ मिलने के साथ ही विमानन कंपनी विस्तारा (Vistara) में 51% और सिंगापुर (Singapore) एयरलाइंस में 49% भी हिस्सेदारी भी हासिल हो गई है। बता दें, Air India और Vistara सिंगापुर-मुंबई और सिंगापुर-दिल्ली हवाई मार्ग पर तीन में से दो प्रमुख मार्केट प्लेयर में शामिल हैं। वहीं, अब सिंगापुर की एंटीट्रस्ट बॉडी सीसीसीएस (Singapore’s Competition and Consumer Commission) ने कहा है कि Air India के अधिग्रहण से प्रतिस्पर्धा कम हो सकती है, क्योंकि एयर पैसेंजर और ट्रांसपोर्ट रूट्स ओवरलैप होंगे। CCS के मुताबिक दोनों ही विमान कंपनी प्रतिद्वंदी है।

गौरतलब है कि, सिंगापुर के प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2004 के सेक्शन 54 के तहत ऐसी सभी बिजनेस डील या मर्जर को प्रतिबंधित कर दिया गया था। जिसके चलते देश में प्रतिस्पर्धा में कमी आए।

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