राज एक्सप्रेस। पिछले कुछ समय में भारत ने काफी नयी तकनीक अपनाई है। इसी कड़ी में भारत में कई रूटों पर रेल कॉरिडोर तैयार करने की योजनाओं का काम भी जारी है। जिससे भारत में यात्रा को सुरक्षित और आसान बनाया जा सके। पिछले दिनों कोरोना संकट के बीच ही दिल्ली-मेरठ के रैपिड मेट्रो-रेल प्रोजेक्ट के काम के अपने अंतिम चरण में होने की खबर सामने आई थी वहीं, अब मुंबई-अहमदाबाद हाईस्पीड रेल कॉरिडोर तैयार किया जा रहा है। जिसके लिए 7 भारतीय कंपनियों ने रुचि दिखाई है।
7 भारतीय कंपनियों ने दिखाई रुचि :
दरअसल, भारत में कई राज्यों के बीच की दूरी काफी ज्यादा होने के कारण आना-जाना मुश्किल हो जाता है। इस सफर को आसान बनाने के लिए भारत के कई राज्यों में हाईस्पीड बुलेट ट्रेन चलाई जाएंगी। जिनके लिए अब भारत में अनेक रूटों पर रेल कॉरिडोर भी तैयार किए जाएंगे। इन्हीं में शामिल मुंबई-अहमदाबाद हाईस्पीड रेल कॉरिडोर भी है। इसे तैयार करने के लिए बोलियां लगाई जा रही हैं। इन बोलियों के तहत अब तक इसे तैयार करने के लिए 7 भारतीय कंपनियां रूचि दिखा चुकी हैं। इस कॉरिडोर खासियत यह है कि, यह कॉरिडोर समुद्र के नीचे सुरंग बना कर बनाई जाएगा। इन 7 कंपनियों के बारे में जानकारी नेशनल हाईस्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड के एक अधिकारी ने रविवार को दी।
अधिकारी ने बताया :
नेशनल हाईस्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड के एक अधिकारी ने बताया है कि, 'इस सुरंग के निर्माण के लिए 19 फरवरी, 2021 तक बोलियां आमंत्रित की गई हैं। बुलेट ट्रेन परियोजना के तहत महाराष्ट्र में बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स से कल्याण शिलफाटा तक 21 किमी लंबा अंडरग्राउंड कॉरिडोर होगा। इसका लगभग 7 किमी हिस्सा ठाणे में समुद्र के आसपास है। वहीं पानी के अंदर 1.8 किमी लंबी सुरंग बननी है। बाकी हिस्से को दोनों ओर दलदली जमीन पर बनाया जाना है। अभी जो निविदाएं बुलाई गई हैं, वह सुरंग निर्माण के लिए है। NHSRCL, RITES और जापान की कावासाकी जियोलॉजिकल इंजीनियरिंग फर्म की एक टीम ने समुद्र के नीचे सुरंग बनाने के लिए जांच की थी।'
बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट :
खबरों की मानें तो, 'मुंबई से अहमदाबाद के बीच चलाई जाने वाली इस बुलेट ट्रेन की रफ़्तार 350 किलोमीटर प्रति घंटे होगी। यह लगभग दो घंटे में 508 किलोमीटर तक चलायी जा सकेगी।' इस परियोजना का कुल खर्च 1.08 लाख करोड़ रुपए (17 बिलियन अमेरिकी डॉलर) है। गौरतलब है कि, जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे जब भारत यात्रा पर आये थे तब उन्होंने और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 सितंबर, 2017 को इस परियोजना की आधारशिला रखी थी।
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