राज एक्सप्रेस। रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण इन दिनों रूस पूरी दुनिया से कट गया है। इससे उसे कच्चे तेल की बिक्री में बड़ी अड़चन आ रही है। तेल की बिक्री प्रोत्साहित करने के लिए रूस ने भारत को सस्ती कीमतों पर कच्चा तेल बेचने की पेशकश की तो भारत ने इसे स्वीकार कर लिया और तब से ही भारत रूसी तेल का बड़ा आयातक बना हुआ हैा। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा आज जारी आंकड़ों के अनुसार कच्चे तेल और उर्वरक की बढ़ती खेप के कारण चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अगस्त के दौरान रूस से भारत का आयात लगभग दोगुना होकर 25.69 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
एक साल पहले यानी अप्रैल-अगस्त 2022 के दौरान रूस से आयात 13.77 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। इस साल के पहले पांच महीनों में भारत ने जिन देशों से सबसे ज्यादा आयात किया है, उनमें रूस का दूसरा स्थान है। रूस भारत का दूसरा सबसे बड़ा आयात स्रोत बन गया है। रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से पहले भारत की आयात में रूस की बाजार हिस्सेदारी एक प्रतिशत से भी कम थी जो युद्ध के बाद तेल आयात के रूप में बढ़कर 40 प्रतिशत से अधिक हो गई। चीन और अमेरिका के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयातक है।
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल से अगस्त के बीच पिछले पांच महीनों में चीन से आयात घटकर 42 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया है। पिछले साल चीन से 43.96 बिलियन अमेरिकी डॉलर आयात किया गया था। इसके अलावा अमेरिका से आयात अप्रैल-अगस्त 2022 में 21.86 बिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर 18 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। अप्रैल-अगस्त 2023 के दौरान यूएई से आयात भी घटकर 17 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है, जो एक साल पहले 22.32 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। अप्रैल से अगस्त माह के दौरान भारत का यूएस, यूएई, चीन, सिंगापोर, जर्मनी, बंगलादेश के साथ मर्चेंडाइज एक्पोर्ट में गिरावट आई है। हालांकि, यूके, नीदरलैंड और सऊदी अरब के साथ मर्चेंडाइज एक्पोर्ट में बढ़ोतरी हुई है।
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