बिजली व्यवस्था में सुधार के लिए हिमाचल, केंद्र और वर्ल्ड बैंक के बीच 20 करोड़ डालर का करार
हाईलाइट्स
हिमाचल प्रदेश बिजली के साथ-साथ अक्षय ऊर्जा को भी दे रहा है प्रोत्साहन
योजना है 2030 तक वह पूरी तरह से हरित ऊर्जा से ऊर्जा जरूरतें पूरी करेगा
राज एक्सप्रेस । हिमाचल में बिजली क्षेत्र में सुधार के साथ-साथ अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत सरकार, हिमाचल प्रदेश सरकार और विश्व बैंक के बीच 20 करोड़ डालर के प्रोजेक्ट पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस समझौते से हिमाचल प्रदेश में बिजली उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। इस करार से कुल बिजली उत्पादन में अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
हिमाचल सरकार, केंद्र सरकार और विश्वबैंक के बीच हुए इस समझौते पर भारत सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के संयुक्त सचिव के मनिका राज ने हस्ताक्षर किए। जबकि, हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से निदेशक ऊर्जा हरिकेश मीना और विश्व बैंक की ओर से भारत के नेशनल निदेशक आगस्टे तानो कुआमें ने हस्ताक्षर किए।
राज्य सरकार का 2030 तक हिमाचल प्रदेश को पूरी तरह हरित प्रदेश बनने का लक्ष्य है। इस करार से राज्य की बिजली आपूर्ति को हरित बनाने में मदद मिलेगी। इससे अतिरिक्त 10 हजार मेगावाट की अक्षय ऊर्जा क्षमता जोड़ने के राज्य के लक्ष्य में सहायता मिलेगी । सरकार का लक्ष्य अपनी 100 प्रतिशत ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति अक्षय एवं हरित ऊर्जा के जरिये करके 2030 तक हरित प्रदेश बनना है।
हिमाचल प्रदेश वर्तमान में अपनी 80 प्रतिशत से ज्यादा ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति पनबिजली परियोजनाओं से करता है। विश्व बैंक हिमाचल प्रदेश के बिजली सेक्टर विकास कार्यक्रम में पनबिजली का प्रयोग बढ़ाने समेत इसकी वर्तमान उत्पादन को बढ़ाने और उसके विवधीकरण में राज्य सरकार की मदद करेगा। इसे उदाहरण के रूप में इस तरह समझा जा सकता है कि इसके तहत राज्य में 150 मेगावाट सौर क्षमता बढ़ाई जाएगी, जिससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में प्रति वर्ष 1,90,000 टन से अधिक की कमी आएगी।
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