gurjeet kaur
Sarojini Naidu का जन्म 13 फरवरी साल 1879 में हैदराबाद में हुआ था। इनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय था जो एक नामी विद्वान थे। सरोजिनी नायडू की माता बांग्ला भाषा की कवयित्री थीं।
Sarojini Naidu बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में तेज थीं। उन्होंने साल 1891 में मात्र 12 साल की उम्र में मैट्रिक की परिक्षा उत्तीर्ण कर ली थी। उनकी प्रतिभा को देखते हुए हैदराबाद के निजाम ने उन्हें स्कॉलरशिप दी जिसके बाद उन्होंने किंग्स कालेज, लंदन तथा गिरटन कालेज, कैम्ब्रिज में शिक्षा ग्रहण की।
सरोजिनी नायडू भारत के महिला आन्दोलन से सक्रिय रूप से जुड़ी हुई थीं। साल 1923 से 29 तक वे बाम्बे म्यूनिसिपल कारपोरेशन की सदस्य रहीं। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ चलाए जा रहे 'भारत छोड़ो आंदोलन' में भी सक्रिय भूमिका निभाई थी। आंदोलन में भागीदारी के कारण वे करीब 21 महीने तक जेल में थीं।
कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष Sarojini Naidu थीं। साल 1925 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। वे देश के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदार थीं। साल 1931 में लंदन में आयोजित हुई भारतीय गोलमेज सम्मेलन की यह प्रतिनिधि भी थीं।
आजादी के बाद भी Sarojini Naidu देश की राजनीति में काफी सक्रिय थीं। साल 1947 में उन्हें आज़ाद भारत के संयुक्त प्रांत का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।
साल 1908 में फ़ैली प्लेग महामारी के दौरान सरोजिनी नायडू ने पीड़ितों की बहुत मदद की थी। इसके लिए उन्हें स्वर्ण कैसर-ए-हिन्द से सम्मानित किया गया था लेकिन जलियावाला बाग़ हत्याकांड के विरोध में उन्होंने 'स्वर्ण कैसर-ए-हिन्द' सम्मान लौटा दिया था।
सरोजिनी नायडू न केवल एक अच्छी नेता थीं बल्कि एक अच्छी कवयित्री भी थीं। साल 1905 में उनकी कविताओं का पहला संग्रह 'गोल्डन थ्रेशोल्ड' प्रकाशित हुआ था। महात्मा गांधी ने सरोजिनी नायडू की उत्कृष्ठ लेखन प्रतिभा के चलते उन्हें 'भारत की कोकिला' की उपाधि दी थी।
भारत में महिला आंदोलन की दिग्गज नेता 'भारत की कोकिला' सरोजिनी नायडू की मृत्यू लखनऊ में 2 मार्च 1946 को हार्ट अटैक के कारण हुई थी।
जानिए क्या थी कल्पना चावला की अंतिम इच्छा