क्या है रशियन चेगेट ?

Kavita Singh Rathore

न्यूक्लियर सूटकेस में परमाणु अटैक का एक अहम् कोड होता है। जो सिर्फ रूसी राष्ट्रपति के पास ही हो सकती है। जिससे वह कहीं से भी कमांड देकर हमला करने के आदेश जारी कर सकते हैं। 

परमाणु अटैक का कोड | Syed Dabeer - RE

न्यूक्लियर सूटकेस सबसे पहले अस्सी के दशक में मिखाइल गोर्बाचेव के समय में देखी गई थी। यह तब से ही सोवियत संघ का हो गया था। इसके बाद साल 1999 में यह ब्रीफकेस पुतिन के पास आया और तब से ही ये उन्हीं के पास है।

चेगेट की कहानी  | Syed Dabeer - RE

चीन यात्रा के दौरान रशिया के राष्ट्पति व्लादिमीर पुतिन की आर्मी के साथ एक सूटकेस देखने को मिला जो कि, कोई आम सूटकेस नहीं है। बता दें यह न्यूक्लियर सूटकेस था। जिसे रशियन भाषा में चेगेट बोलते हैं और यह यहां के एक पहाड़ के नाम पर रखा गया है। चेगेट के कमांड सेक्शन में दो बटन एक लॉन्चिंग और दूसरा कैंसल होते हैं। 

चेगेट का कमांड सेक्शन | Syed Dabeer - RE

न्यूक्लियर सूटकेस में कई बटन्स होते हैं। इसमें सफेद रंग का एक बटन होता है और जिसे दबाते ही न्यूक्लियर हमले का कोड एक्टिव हो जाता है। इस बीच अगर उसे कैंसिल करना हो तो लाल बट दबाना पड़ता है।

चेगेट का काम | Syed Dabeer - RE

यह पूरी तरह से सेफ है। क्योंकि, इसका जो अहम कोड है वह सिर्फ रूसी राष्ट्रपति के पास ही होता है। वर्तमान समय में यह पुतिन के पास। इसे कही भी लेकर जाने पर यह अगर किसी के हाथ लगता है तो तुरंत अलार्म बजने लगता है।

कितना सेफ? | Syed Dabeer - RE

बताते चलें, रशिया में इस तरह के दो और ब्रीफकेस या चेगेट हैं। जिसमें से एक ब्रीफकेस रशियन आर्मी और दूसरा नेवी के पास होता है। आदेश मिलते ही आर्मी और नेवी हमला कर देती है।

किसके पास हो सकता ? | Syed Dabeer - RE

जिस प्रकार रशिया के पास न्यूक्लियर सूटकेस है ठीक उसी तरह अमेरिकी राष्ट्रपति के पास एक न्यूक्लियर फुटबॉल रहता है। हालांकि, यह होता सूटकेस ही है। इस फुटबॉल का वजन लगभग 20 किलोग्राम है। इसकी ऊपरी तरफ पर सैटेलाइट कम्युनिकेशन के लिए एंटीना लगा होता है।

न्यूक्लियर फुटबॉल | Syed Dabeer - RE

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