मध्यप्रदेश से आदि गुरु शंकराचार्य का क्या है कनेक्शन

gurjeet kaur

आदि गुरु शंकराचार्य का जन्म 788 ईस्वी में केरल के कालड़ी नामक स्थान पर एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

शंकराचार्य का जन्म स्थान केरल | Syed Dabeer Hussain - RE

शंकराचार्य के माता-पिता ने पुत्र प्राप्ति के लिए भगवान शिव की आराधना की थी। आदि गुरु शंकराचार्य को भगवान शिव का अवतार माना जाता है।

शिव आशीर्वाद | Syed Dabeer Hussain - RE

आदि गुरु शंकराचार्य को महज 8 साल की आयु में वेदों का ज्ञान प्राप्त हो गया था। उनकी इस प्रतिभा को देख उनका परिवार भी अचंभित था।

वेदों का ज्ञान प्राप्त | Syed Dabeer Hussain - RE

आदि गुरु शंकराचार्य की माता उनके सन्यासी बनने की इच्छा से खुश नहीं थी। उन्होंने शंकराचार्य को मजबूरी में सन्यासी बनने की आज्ञा दी थी।

सन्यासी बनने की इच्छा | Syed Dabeer Hussain - RE

कालड़ी में माँ को छोड़ सन्यासी बनने निकल पड़े थे शंकराचार्य। जाते-जाते उन्होंने अपनी माँ से वादा किया कि, उनके जीवन के अंतिम समय में साथ रहेंगे।

माँ से वादा | Syed Dabeer Hussain - RE

शिव के अवतार कहे जाने वाले शंकराचार्य को ज्ञान की प्राप्ति भी शिव की नगरी ओंकारेश्वर के माधांता पर्वत पर ही हुई। यहाँ उन्हें उनके गुरु गोविंद भगवत्पाद मिले।

माधांता पर्वत पर ज्ञान प्राप्ति | Syed Dabeer Hussain - RE

आदि गुरु शंकराचार्य को ही वेदांत के अद्वैत दर्शन का जनक माना जाता है। इस दर्शन के अनुसार आत्मा और ब्रह्म एक ही है।

अद्वैत दर्शन | Syed Dabeer Hussain - RE

आदि गुरु शंकराचार्य ने भारत के चारों कोनों में मठ की स्थापना की। शंकराचार्य ने दक्षिण में श्रंगेरी, उत्तराखंड के बद्रीकाश्रम में ज्योतिर्मठ, उड़ीसा के पुरी में गोवर्धन मठ और गुजरात के द्वारकाधाम में शारदा मठ की स्थापना की।

मठ की स्थापना | Syed Dabeer Hussain - RE

शंकराचार्य ने 820 ईस्वी में मात्र 32 वर्ष की आयु में केदारनाथ में अपना शरीर त्याग कर समाधि ले ली थी। माना जाता है कि, जन्म लेते ही भविष्यवाणी हो गई थी की शंकराचार्य अल्पायु होंगे।

शंकराचार्य ने शरीर त्याग कर समाधि ली | Syed Dabeer Hussain - RE

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