आखिर क्या है सुर्ख़ियों में बने ये इलेक्टोरल बॉन्ड

Kavita Singh Rathore

इलेक्टोरल बॉन्ड या चुनावी बॉन्ड (Electoral Bonds) पॉलिटिकल पार्टीज को चंदा देने का एक वित्तीय ज़रिया है। इसे डेट इंस्ट्रूमेंट भी कह सकते हैं। जो ठीक वचन पत्र जैसा है। यह 2017 में केंद्रीय बजट 2017-18 के दौरान वित्त विधेयक के तौर पर पेश हुआ था।

क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड ? | Syed Dabeer Hussain - RE

किसी भी कंपनी को इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने के लिए मौजूदा KYC रूल्स को पूरा करन होता है। वह बैंक अकाउंट से भुगतान करके इलेक्टोरल बॉन्ड खरीद सकते हैं और इसमें भुगतानकर्ता का नाम नहीं होगा। इसे खरीदने के लिए ऐप डाउनलोड करने से पहले NSE की वेबसाइट पर रजिस्टर करना होगा। इसके बाद कंपनी सरकारी बॉन्‍ड खरीद सकती हैं।

कैसे खरीदे जाते हैं इलेक्टोरल बॉन्ड ? | Syed Dabeer Hussain - RE

सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर बैन लगा दिया था। इसी समय कोर्ट ने 12 अप्रैल 2019 से अब तक खरीदे गए इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी 6 मार्च तक इलेक्शन कमीशन को देने के आदेश भी दिये थे।

कब बैन हुए इलेक्टोरल बॉन्ड ? | Syed Dabeer Hussain - RE

सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बांड्स प्रोग्राम को असंवैधानिक करार देते हुए अनुच्छेद 19 (1) (A) यानी सूचना के अधिकार की अवेलहना की है। इसी के चलते कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) को इसपर बैन लगाने के आदेश दिए थे।

क्यों बैन हुए इलेक्टोरल बॉन्ड ? | Syed Dabeer Hussain - RE

सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड पर बैन लगाने के बाद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को 12 मार्च तक इससे जुड़े पूरे देता की जानकारी देने के आदेश दिए थे। साथ इलेक्शन कमीशन को 15 मार्च तक सारी जानकारी अपनी वेबसाइट पर पब्लिश करने को कहा था।

क्या है विवाद ? | Syed Dabeer Hussain - RE

जवाब में SBI ने 4 मार्च को ही जानकारी देने के लिए 30 जून तक का समय मांगा था। अब सुप्रीम कोर्ट ने SBI की ये याचिका खारिज कर दी है, और कल ही इसे जारी करने के आदेश दे दिये हैं। वहीं ऐसा ना होने पर बैंक के खिलाफ लीगल एक्शन लिया जाएगा।

SBI का जवाब | Syed Dabeer Hussain - RE

SBI ने इलेक्टोरल बॉन्ड का डाटा इलेक्शन कमीशन को शेयर किया, लेकिन यह अधुरा डाटा है। इसके अनुसार, इसमें दो PDF है। जिसमें एक में उन कंपनियों के नाम जिन्होंने यह बॉन्ड खरीदे है और दूसरे में उन पार्टियों के नाम है जिन्हें ये मिले हैं। हालांकि, इनसे ये साफ नहीं है कि, किस कंपनी ने कौन सी पॉलिटिकल पार्टीज को कितने रुपये के बॉन्ड दिये।

SBI ने शेयर किये दो PDF | Syed Dabeer Hussain - RE

सबसे ज्यादा इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदन कर चंदा देने वाली कंपनी, फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज है, जिसने 1,368 करोड़ के बॉन्ड दिए है। वहीं, भारती ग्रुप, ITC, Vedanta, DLF Group, जिंदल स्टील, बिड़ला समूह, पिरामल समूह की कंपनियों ने भी इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे।

इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियां | Syed Dabeer Hussain - RE

सामने आए डाटा के अनुसार, सबसे ज्यादा यानि 6,566 करोड़ के बॉन्ड (चंदा) BJP को मिले हैं। इसके बाद TMC को 1,609.53 करोड़ और कांग्रेस को 1,123 करोड़ के बॉन्ड मिले हैं।

इन पॉलिटिकल पार्टीज को मिले बॉन्ड | Syed Dabeer Hussain - RE

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