Shreya N
व्यायाम करने से सांसे तेज चलने लगती है। इस परिस्थिति में, प्रदूषण के ज्यादा कण शरीर के अंदर भी घुस जाते हैं। इसलिए, जब भी AQI लेवल खतरे के निशान से ऊपर हो जाएं, बाहर व्यायाम करना बंद कर दें।
प्रदूषण से बचाने जब भी बाहर जाएं, मास्क जरूर लगाएं। एन-95 और एन-99 मास्क बहुत छोटे प्रदूषण के कणों को भी हम तक पहुंचने से रोकता है। यही छोटे कण, हमारे स्वास्थ्य के लिए सबसे ज्यादा हानिकारक होते हैं।
बाहर के प्रदूषण का प्रभाव घर के अंदर भी होता है। इसलिए घर की हवा को शुद्ध करने के लिए, हवा शुद्ध करने वाले इंडोर पौधे लगाने चाहिए। स्नेक प्लांट, एलोवेरा, रबर प्लांट, स्पाइडर प्लांट, आदि पौधे घर की हवा को स्वच्छ करने में काफी मददगार होते हैं।
ठंड के दिनों में राहत के लिए, लोग लकड़ी या कोयला जलाकर सेंक लेते है। जिन शहरों में प्रदूषण का स्तर ज्यादा है, उन शहरों के लोगों को यह कार्य टालना चाहिए। कोयला या लकड़ी जलाने पर होने वाले धुएं से शहर का प्रदूषण स्तर और ज्यादा बढ़ जाएगा।
दूषित हवा से बचने के लिए, रोज की चाय में जड़ी बूटियां मिलाएं। चाय में अदरक, दालचीनी, इलायची जैसी सामग्री फेफड़ों के लिए फायदेमंद होती है। इसके अलावा आप रोज हल्दी वाला दूध भी पी सकते हैं। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।
मास्क लगाने के बाद भी प्रदूषित हवा के कुछ कण तो शरीर के भीतर चले ही जाते हैं। इसलिए, रोज भांप ले। भाप लेने से श्वास तंत्र में मौजूद हानिकारक कण मर जाएंगे। इससे यह आपके फेफड़ों को नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगे।
अगर आप ज्यादा प्रदूषण वाले शहरों में रहते हैं, तो हरी सब्जियां, मेवे, और फल खाएं। इसके सेवन से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और फेफड़े मजबूत होते है। तंदुरुस्त शरीर आपको हानिकारक हवा के प्रभावों से बचाएगा।
प्रदूषित शहरों में रहने वाले लोगों को लगातार AQI इंडेक्स ट्रैक करते रहना चाहिए। इंडेक्स के आधार पर आवश्यक कामों के लिए उसी समय घर से निकले, जब प्रदूषण का स्तर सबसे कम हो। दिन के जिस समय प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा होता है, उस समय बाहर के कामों को पूरी तरह टाले।
इन शहरों की हवा है सबसे साफ