gurjeet kaur
रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर 1524 को कालिंजर में दुर्गाष्टमी के दिन हुआ था। इस कारण उनका नाम दुर्गावती रखा गया।
रानी दुर्गावती का विवाह 18 साल की उम्र में गढ़ा-कटंगा के गोंड राजा संग्राम शाह के पुत्र दलपत शाह से हुआ था।
उस समय संग्राम शाह का राज्य मध्यप्रदेश के जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद समेत छत्तीसगढ़ के कई क्षेत्रों में फैला था।
रानी दुर्गावती के पति दलपत शाह की जल्द ही मृत्यु हो गई थी। पति की मृत्यु के बाद दुर्गावती के बेटे बीर नारायण को गद्दी पर बैठाया गया।
रानी दुर्गावती के पुत्र बीर नारायण नाबालिग थे इसलिए रानी ने अपने विश्वसनीय मंत्रियों की सहायता से राज्य को संभाला।
रानी दुर्गावती के समय मुगल शासक अकबर अपने साम्राज्य का विस्तार कर रहे थे। इस दौरान असफ खान ने उन पर हमला कर दिया।
रानी दुर्गावती ने असफ खान के नेतृत्व वाली मुगलों की सेना से वीरता के साथ युद्ध लड़ा, लेकिन उनकी छोटी सेना मुगलों के सामने नहीं टिक पाई। अंततः उन्होंने लड़ते हुए अपने स्वयं के खंजर से अपनी जान ले ली।
जबलपुर-मंडला मार्ग पर रानी दुर्गावती का स्मारक नरिया नाला में ठीक उसी स्थान पर बनाया गया है, जहाँ उनकी शहादत हुई थी। हर साल 24 जून को रानी के सम्मान में 'बलिदान दिवस' आयोजित किया जाता है।
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