Shreya N
जब शेयर मार्केट में शेयरों के दाम बढ़ते हैं, तो उसे बुल कहते हैं। जब लोग स्टॉक मार्केट में ज्यादा से ज्यादा पैसा डालते हैं और इसका सकारात्मक परिणाम मिलता है, वह समय बुल कहलाता है। 2011 से 2015 के समय को भारत का सबसे बड़ा बुल पीरियड माना जाता है।
स्टोक मार्केट में बुल का विपरीत बियर होता है। इस समय मार्केट में इन्वेस्टमेंट कम हो जाते हैं और लगातार गिरावट आती रहती है। आमतौर पर जब मार्केट में 20 प्रतिशत तक की गिरावट आती है, तब उसे बियर कहते हैं।
मार्केट के सबसे डरपोक निवेशकों को चिकन कहते हैं। ये लोग मार्केट में थोड़ी भी अस्थिरता आने पर घबरा जाते हैं। इस डर के कारण ये लोग बियर की थोड़ी भी संभावनाओं पर अपने निवेश विड्रॉ कर लेते हैं।
पिग उन निवेशकों को कहा जाता है, जो बहुत लालची और अधीर होते हैं। ये हमेशा मार्केट से कुछ ज्यादा ही कमाने की फिराक में होते हैं। ये निवेशक मार्केट में हमेशा नए प्रयत्न करते रहते हैं। इसलिए ये निवेशक मार्केट में या तो बहुत बड़ा प्रॉफिट कमा लेते हैं, या बड़े नुकसान का सामना करते हैं।
वुल्फ मार्केट के वे निवेशक होते हैं, जो ज्यादातर अनैतिक रूप से मार्केट से पैसे कमाते हैं। ये शक्तिशाली और चालाक लोग होते हैं, जो मार्केट को कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं। मार्केट के घोटालों के पीछे यही लोग होते हैं।
स्टोक मार्केट में रैबिट उन ट्रेडर्स को कहते हैं, जो मार्केट में काफी कम समय के लिए रहते हैं। यह ट्रेडर्स थोड़े समय के लिए शेयर्स खरीद कर, ज्यादा मुनाफा कमाने के फिराक में होते हैं। आमतौर पर ये ट्रेडर्स एक दिन के लिए भी शेयर्स अपने पास नहीं रखते। सुबह खरीदे स्टोक्स को दिन में दाम बढ़ने पर बेच देते हैं।
टर्टल, रैबिट के बिल्कुल विपरीत होते हैं। जैसे कछुआ लंबे समय तक एक ही जगह पर पड़ा रह सकता है, वैसे ही ये ट्रेडर्स मार्केट में कोई भी शेयर्स लंबे समय तक रखने के बारे में सोचते हैं। ये निवेशक लंबे समय के निवेश के बारे में सोचते हैं।
व्हेल मार्केट के उन निवेशकों को कहते हैं, जो बड़ी संख्या में शेयर्स का ऑर्डर प्लेस करते हैं। आमतौर पर लोग नहीं जानते कि यह ऑर्डर किसने किया है। इनके निवेश मार्केट को बहुत प्रभावित करते हैं।
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