Akash Dewani
रुद्राक्ष विशेष रूप से एलियोकार्पस गैनिट्रस पेड़ के फल की गुठली है जिसका संबंध भगवान शिव से है। रुद्राक्ष को 'रूद्र की आँख' के नाम से भी जान जाता है।
कहा जाता है कि शिव ने हजारों साल गहन ध्यान के बाद जब एक दिन अपनी आंखें खोलीं, तब उनके आंसुओं की बूंदें जमीन पर गिरी थीं, जिससे रुद्राक्ष के पेड़ विकसित हुए।
वैसे तो रुद्राक्ष को धारण करने के कई नियम है लकिन सबसे अहम् 3 नियम है पहले ऊर्जा संरेखण के लिए रुद्राक्ष को दाहिने हाथ पर पहनें। दूसरा,धारण करने से पहले रुद्राक्ष को साफ करें और तीसरा है रुद्राक्ष के साथ श्रद्धापूर्वक व्यवहार करें।
माना जाता है कि सावन के दौरान रुद्राक्ष पहनने से व्यक्ति का शिव के साथ जुड़ाव और गहन आध्यात्मिक अभ्यास को बढ़ावा मिलता है।
पांच मुखी रुद्राक्ष, जो सुख प्रदान करता है, सबसे समृद्ध माना जाता है। ऐसा कहा गया है कि यह रुद्राक्ष भगवान शिव को सबसे प्रिय है।
हां, कोई भी व्यक्ति रुद्राक्ष पहनकर मांसाहारी भोजन कर सकता है, किसी भी प्रामाणिक वैदिक ग्रंथ उपनिषद और पुराण किसी भी भोजन प्रतिबंध का उल्लेख नहीं है।
रुद्राक्ष की प्रामाणिकता को सत्यापित करने के लिए, इसकी बनावट की जांच करें, पहलुओं की गिनती करें और एक फ्लोट परीक्षण करें।
ज्योतिषियों में इसको लेक्रर अलग अलग राय है लेकिन ज्यादा तर का मानना है कि अपनी और रुद्राक्ष की सुरक्षा के लिए सोने से पहले रुद्राक्ष को उतारकर तकिये के नीचे रखकर सोएं।
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