Akash Dewani
जर्मनी में ईवीएम को असंवैधानिक करार दिया गया है और उस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। दो मतदाताओं की जर्मन संवैधानिक न्यायालय के समक्ष शिकायत के बाद वोटिंग मशीनों के इस्तेमाल पर साल 2009 में प्रतिबंध लगा दिया था।
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के मेहेंगे होने और पारदर्शी ना होने के कारण 2016-17 में वापस बैलट बॉक्स से मतदान करवाने का फैसला किया था। साल 2002 से जापान ने मतदान के लिए ईवीएम का उपयोग करना शुरू किया था।
बांग्लादेश चुनाव आयोग ने इसी साल अप्रैल में घोषणा की थी कि जनवरी 2024 में होने वाले आगामी 12वें संसदीय चुनावों में ईवीएम का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। यह फैसला प्रमुख विपक्षी राजनीतिक दलों द्वारा ईवीएम के इस्तेमाल के खिलाफ कड़े विरोध के बाद आया था।
नीदरलैंड एक और देश है जिसने ईवीएम के इस्तेमाल पर सवाल उठाया है। देश ने ईवीएम के इस्तेमाल पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगा दिया कि उनमें पारदर्शिता की कमी है। लोगों द्वारा वोटिंग मशीनों की प्रामाणिकता पर सवाल उठाने के बाद 2008 में डच काउंसिल ने यह निर्णय लिया था।
आयरलैंड ने ईवीएम की स्थापना और राजनीतिक चुनावों के दौरान उनके उपयोग पर लाखों डॉलर खर्च किए जिसके बाद, साल 2009 में उन्होंने वोटिंग मशीन में विश्वास और पारदर्शिता की कमी का हवाला देते हुए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग प्रणाली को खत्म कर दिया।
इंग्लैंड ने कभी भी ईवीएम के इस्तेमाल को बढ़ावा नहीं दिया। जनवरी 2016 में, यूके संसद ने खुलासा किया कि वैधानिक चुनावों के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग शुरू करने की उसकी कोई योजना नहीं है।
2007 में राष्ट्रीय राष्ट्रपति चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग का उपयोग किया गया था। जबकि देश ने इंटरनेट के माध्यम से मतदान करने का विकल्प चुना था। 2009 में इस विचार को एक प्रथा बना दिया गया क्योंकि लोगों ने कागज के बजाय इंटरनेट वोटिंग प्रणाली को चुना।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।