मलेशिया की शीर्ष अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री नजीब की सजा बरकरार रखी Social Media
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मलेशिया की शीर्ष अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री नजीब की सजा बरकरार रखी

मलेशिया की शीर्ष अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रजाक के खिलाफ 12 साल की सजा को बरकरार रखा है।

Author : News Agency

कुआलालंपुर। मलेशिया की शीर्ष अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रजाक के खिलाफ 12 साल की सजा को बरकरार रखा है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार संघीय न्यायालय ने भ्रष्टाचार के मामले में श्री नजीब की याचिका को खारिज कर दिया। श्री नजीब को सजा से बचाने को लेकर अपने अंतिम प्रयास के तहत उनके वकील ने मामले की अध्यक्षता करने वाले पैनल से मुख्य न्यायाधीश तेंगकु मायमुन तुआन माट को हटाने का अनुरोध किया।

उन्होंने दावा किया है कि मुख्य न्यायाधीश माट उनके साथ पक्षपात कर सकती है, क्योंकि उनके पति ने 2018 में एक फेसबुक पोस्ट किया था जिसकी श्री नजीब की आलोचना थी। मुख्य न्यायाधीश ने हालांकि उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह पोस्ट श्री नजीब के खिलाफ आरोप लगाए जाने से पहले का है। श्री नजीब को जुलाई 2020 में दोषी ठहराया गया था, वह जमानत पर है। शीर्ष अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री की सजा में देरी करने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया। उन्हें यह सजा एक मलेशिया विकास बरहाद (1एमडीबी) में भ्रष्टाचार के मामले में सुनाई गई है।

मुख्य न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि पांच-न्यायाधीशों के पैनल ने सर्वसम्मति से पाया कि सभी सात मामलों में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश का फैसला सही है और उनकी अपील में दम नहीं है। अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री पर दोषसिद्ध होने और सजा की पुष्टि की। बीबीसी ने माट के हवाले से कहा, ''बचाव इतना स्वाभाविक रूप से असंगत और अविश्वसनीय है कि इसने मामले पर उचित संदेह नहीं जताया है।" मंगलवार को लगाये गये आरोप एक-एमडीबी मामले से संबंधित पांच जांचों में से केवल पहला है।

श्री नजीब की पत्नी, रोसमा मंसूर पर भी धन शोधन और कर चोरी के आरोप हैं। उच्च न्यायालय इस पर एक सितंबर को अपना फैसला सुनाएगा। वर्ष 2020 में एक अदालत ने उन्हें सात मामलों में दोषी पाया गया था। और उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में 12 वर्ष की जेल और 21 करोड़ रिंगित का जुर्माना लगाया और सजा सुनाई थी। श्री नजीब की ओर से हालांकि अदालत में यह तर्क दिया गया कि यह धन उन्हें सऊदी शाही परिवार ने दान में दिया था। बीबीसी ने कहा कि उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्हें वित्तीय सलाहकारों, विशेष रूप से भगोड़े फाइनेंसर झो लो ने गुमराह किया था। श्री नजीब ने कहा कि उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है।

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