रूस, दुनिया। रूस के यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद से पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर कई तरह के कड़े प्रतिबंध लगाए हैं और यह सिलसिला लगातार जारी ही है। हालांकि, रूस का सबसे महत्वपूर्ण उद्योग गैस और तेल अभी पूरी तरह से प्रतिबंध मैं शामिल नहीं है। इन सब प्रतिबंधों के चलते युद्ध शुरू होने के बाद से रूस की अर्थव्यवस्था, बैंकिंग क्षेत्र और उसकी मुद्रा पर भारी प्रभाव पड़ा है। इतना ही नहीं रूस का शेयर बाजार निचले स्तर पर जा पहुंचा है। ऐसे में रूस की बड़ी चेतावनी जारी करते हुए बड़ी धमकी दे डाली है।
रूस पर लगे कई प्रतिबंध :
दरअसल, रूस पर पिछले 13 दिनों के दौरान कई तरह के लगातार लग रहे प्रतिबंधों के चलते रूस ने गैस पाइपलाइन से जुड़ी बहुत बड़ी धमकी देते हुए एक बयान जारी किया है। इस बयान में रूस ने गैस पाइपलाइन बंद करने की धमकी की चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि, 'रूस के तेल निर्यात पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने से दुनिया में कच्चे तेल के दाम 300 डॉलर प्रति बैरल तक को पार कर सकते हैं। वहीं यूरोपीय संघ, रूस से गैस, कोयले और तेल की निर्भरता को कम करना चाहता है। वर्तमान समय में यूरोपीय संघ अपनी ज़रूरत की आधी गैस, कोयला और एक तिहाई तेल रूस से ही लेता है।'
रूस ने दी धमकी :
अनेक देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों और चेतावनियों के बाद रूस की तरफ से धमकी दी गई है कि, 'तेल को प्रतिबंधित करने से इसके दाम 300 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकते हैं और जो गैस की पाइपलाइन जर्मनी तक जाती है उसको रोक दिया जाएगा।' उधर अमेरिका रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर लगातर दबाव बनाने की हर संभव कोशिश कर रहा है। जिसके लिए अमेरिका ने अपने सभी सहयोगी यूरोपीय देशों से कहा है कि, वह सभी गैस और तेल को रूस से आयात न करे। बता दें, साल 2008 के बाद से अब तक का सबसे ज्यादा दुनिया भर में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिली है। यह दाम 139 डॉलर प्रति बैरल तक हो गया है।
अमेरिका ने माँगा समर्थन :
रूस के एक मंत्री का कहना है की रूस में कच्चे तेल पर प्रतिबंध दुनिया को बहुत भारी पड़ेगा। और तेल के दाम 300 डॉलर प्रति बैरल को पार कर जाएंगे। बताते चलें, रूस पर प्रतिबंध लगाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने फ़्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन के नेताओं से समर्थन मांगा है। अगर कोई साथ नहीं भी मिलता है तो वो अकेले ही इस पर आगे बढ़ सकता है। ऐसा इसलिए हो सकता है कि समर्थन न मिले क्योंकि, यूरोप में अधिकतर देश रूसी ऊर्जा स्रोतों पर ही निर्भर हैं। रूस से पाइपलाइन के ज़रिए गैस जर्मनी तक पहुँचती है। इतना ही नहीं अमेरिका और सऊदी अरब के बाद रूस दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है रूस का 40% गैस और 30% तेल यूरोपीय देशों में आयात किया जाता है।
यूरोपीय देशों पर बड़ा संकट :
बताते चलें, यदि रूस यूरोपीय देशों को तेल और गैस देने से मना कर देता है तो, यूरोपीय देशों के सामने बहुत बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा और इस संकट को दूर करने के लिए दूसरे रास्ते ढूंढना पडेगा। उन्हें गैस के लिए अलग स्रोत तलाशने पड़ेंगे। इस सूरत में ये देश उत्तरी अफ़्रीका और अज़रबैजान जैसे देशों से लिक्विड नैचुरल गैस (LNG) आयात कर सकते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि, यूरोपीय देश इतनी जलदी रूस के तेल और गैस लेना बंद नहीं करेगा बल्कि अब यूरोपीय देश नया विकल्प ढूंढेंगे।
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