प्यू रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में महामारी ने 75 मिलियन लोगों को गरीबी रेखा के नीचे धकेल दिया। Neelesh Singh Thakur – RE
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Pew Report: 2020 में महामारी से भारत में बढ़ी गरीबी, मध्यम वर्ग सिकुड़ा

जनसांख्यिकीय रुझानों के बारे में जानकारी देने वाले गैर-अमेरिकी थिंक टैंक प्यू रिसर्च सेंटर की जारी रिपोर्ट भारत के मामले में चौंकाने वाली है

Author : Neelesh Singh Thakur

हाइलाइट्स –

  • सिकुड़ रहा भारत का मध्यम वर्ग

  • गरीब वर्ग में हुआ तेजी से इजाफा

  • प्यू रिसर्च रिपोर्ट में चीन को शाबासी

राज एक्सप्रेस। सामाजिक मुद्दों, जनमत और संयुक्त राज्य अमेरिका एवं दुनिया को आकार देने वाले जनसांख्यिकीय रुझानों के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले गैर-अमेरिकी थिंक टैंक प्यू रिसर्च सेंटर की जारी रिपोर्ट भारत के मामले में चौंकाने वाली है।

मध्यम अवधि का प्रभाव -

प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक पैंडेमिक के कारण मध्यम वर्ग आबादी की सिकुड़न का भारत के विकास प्रक्षेप पथ (India’s growth trajectory) पर मध्यम अवधि का प्रभाव पड़ सकता है।

प्यू रिसर्च सेंटर ने कहा कि एक गंभीर मंदी के रूप में एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत में कोरोना वायरस महामारी मध्यम-वर्ग की आबादी को 32 मिलियन तक कम कर सकती है।

रिपोर्ट में उल्लेख है कि पैंडेमिक की वजह से साल 2020 में 75 मिलियन लोग गरीबी रेखा से नीचे पहुंच गए।

चीन को शाबासी -

रिपोर्ट, जो विश्व बैंक के आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित है, ने कहा कि तुलनात्मक रूप से चीन ने बेहतर प्रदर्शन किया। रिपोर्ट कहती है चीन में मध्यम आय वर्ग के लोगों की संख्या केवल 10 मिलियन घटी, जबकि गरीबी का स्तर 2020 में लगभग अपरिवर्तित रहा।

भारत में कोविड-19 जनित मंदी के कारण मध्यम वर्ग में चीन की तुलना में अधिक कमी आने के साथ गरीबी दर में अधिक वृद्धि देखी गई है।

यह देखते हुए कि भारत और चीन (प्रत्येक 1.4 बिलियन) जनसंख्या के मान से वैश्विक आबादी के एक तिहाई से अधिक पापुलेशन के लिए जिम्मेदार हैं। रिपोर्ट में कहा गया है इन दो देशों में महामारी के कारण वैश्विक स्तर पर आय के वितरण में परिवर्तन का पर्याप्त प्रभाव पड़ेगा।

भारत पर संकट, चाइना संभला -

रिपोर्ट के अनुसार महामारी के कारण बड़े पैमाने पर नौकरी का नुकसान होने से भारत 40 से अधिक वर्षों की गहरी मंदी में नजर आ रहा है। जबकि रिपोर्ट में चीन को इस संकुचन को रोकने में सक्षम बताया गया है।

संकुचन और विस्तार -

जनवरी में जारी अपने विश्व आर्थिक अपडेट में, अंतर राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत की अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 21 के दौरान 8% संकुचन का अनुमान, जबकि चीन की अर्थव्यवस्था में 2020 के दौरान 2.3% तक विस्तार की उम्मीद जताई थी।

खतरा यह भी -

रिपोर्ट कहती है कि महामारी गरीबी को कम करने की भारत की पूर्व की सफलता को आंशिक रूप से उलट भी सकती है। लेकिन देश में खपत को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार मध्यम वर्ग की आबादी का सिकुड़ना भारत के विकास प्रक्षेप पथ (India’s growth trajectory) पर मध्यम अवधि का प्रभाव डाल सकता है।

महामारी से पहले, यह अनुमान लगाया गया था कि 2020 में भारत में 99 मिलियन लोग वैश्विक मध्यम वर्ग के होंगे। लेकिन महामारी के एक साल के दौर में इन आंकड़ों में एक तिहाई की कमी आ गई। अब अनुमान यह संख्या 66 मिलियन होने की है।

बढ़ेगी गरीबी -

इस बीच, भारत में गरीबों की संख्या 134 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान है। यह संख्या मंदी से पहले 59 मिलियन की अपेक्षा दोगुना से अधिक है।

"भारत में गरीबी दर 2020 में बढ़कर 9.7% हो गई। जनवरी 2020 में इसका पूर्वानुमान 4.3% था।"
-प्यू रिसर्च रिपोर्ट

जनसंख्या विभाजन -

अनुसंधान एजेंसी अपने इस विश्लेषण के लिए किसी देश में जनसंख्या को पांच समूहों में विभाजित करती है: गरीब, निम्न आय, मध्यम आय, ऊपरी-मध्य आय और उच्च आय वर्ग।

किसकी कितनी हैसियत? -

कौन कितना गरीब है? इस बात का भी एक पैमाना है। जैसे गरीब वह है जिसकी दैनिक आय 2 डॉलर या उससे कम हो। इसी तरह कम आय वाले की आय 2.01- 10 डॉलर, मध्यम वर्ग की दैनिक आय 10.01 से 20 डॉलर,ऊपरी-मध्यम वर्ग की दैनिक आय 20.01 से 50 डॉलर मानी गई है। वहीं 50 से अधिक डॉलर दैनिक कमाई वालों को उच्च आय वर्ग का दर्जा दिया गया है।

UNCTAD की रिपोर्ट -

यूनाइटेड नेशंस कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट (UNCTAD) यानी संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन व्यापार और विकास की गुरुवार को जारी एक अलग रिपोर्ट में विकासशील देशों का जिक्र है।

रिपोर्ट कहती है कि महामारी के कारण विकासशील देशों ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तुलना में कुछ सबसे खराब व्यक्तिगत आय में गिरावट का अनुभव किया है।

विश्व बैंक का अनुमान -

जिन देशों में गरीबी का स्तर पहले से ही अधिक है और श्रम बल का बड़ा हिस्सा अनौपचारिक नौकरियों में कार्यरत है, वहां आर्थिक गतिविधियों में मामूली गिरावट का तत्काल प्रभाव विनाशकारी हो सकता है।

UNCTAD ने कहा कि विश्व बैंक ने महामारी के परिणाम स्वरूप एक अरब से अधिक लोगों के गरीबी रेखा (3.20 डॉलर दैनिक बेंचमार्क पर) में फिसलने का अनुमान लगाया है।

प्यू रिसर्च ने यह दावा किया कि रिपोर्ट का अनुमान दो अर्थव्यवस्थाओं की वास्तविक वृद्धि और कोवि़ड-19 मंदी के दौरान सरकारों द्वारा किए गए सामाजिक खर्च की प्रभावशीलता के आधार पर अनिश्चितता की एक डिग्री के अधीन हैं।

"अगर कोविड-19 मंदी ने असमानता को और खराब किया तो, गरीबों की संख्या में वृद्धि इस विश्लेषण में अनुमान से अधिक होने की संभावना है, और जो उच्च आय वाले हैं उनकी संख्या अनुमान से कम होने की संभावना है। मध्यम वर्ग अनुमान से अधिक सिकुड़ सकता है।"

डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स एवं एजेंसी की खबर पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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