दक्षिण अफ्रीका में मिला नया कोरोना Syed Dabeer Hussain - RE
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दक्षिण अफ्रीका में मिला ब्रिटेन और ब्राजील से भी भयानक एक और नया कोरोना

दुनिया भर में कोरोना वायरस और कोरोना के नए स्ट्रेन का खौफ जारी ही था कि, दक्षिण अफ्रीका से एक और नए वायरस के मिलने की पुष्टि हुई है। जिसे ब्रिटेन और ब्राजील से भी ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है।

Author : Kavita Singh Rathore

दक्षिण अफ्रीकी। दुनिया भर में कोरोना वायरस और कोरोना के नए स्ट्रेन का खौफ जारी ही था कि, दक्षिण अफ्रीका से एक और नए वायरस के मिलने की पुष्टि हुई है। क्योंकि, दुनिया में जब से कोरोना वायरस आया है तब से वैज्ञानिक लगातार कोरोना वायरस पर नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने कोरोना में लगातार बदलाव होते देखे हैं। वहीं, पिछले साल से अब तक कोरोना के मुख्य रूप से तीन वैरिएंट सामने आचुके हैं। जिनमें से दक्षिण अफ्रीका में मिला कोरोना का तीसरा वैरिएंट सबसे ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है।

पहले से भी ज्यादा खतरनाक है नया वैरिएंट :

दरअसल, हाल ही में दक्षिण अफ्रीका में कोरोना के एक और नए वैरिएंट की पहचान हुई है। जिसे अब तक ब्रिटेन और ब्राजील से सामने आए कोरोना के नए स्ट्रेन वाले वैरिएंट से भी ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है। हालांकि, ब्रिटेन और ब्राजील से कोरोना के नए वैरिएंट पिछले साल ही सामने आ चुके थे। जबकि, दक्षिण अफ्रीका से कोरोना का ये वैरिएंट हाल ही में सामने आया है। कोरोना के इस वैरिएंट को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि, 'कोरोना का नया स्ट्रेन ज्यादा संक्रामक और वैक्सीन व एंटीबॉडी के प्रभावों को कम करने वाला है। यह कम समय में कई देशों में फैल चुका है।'

WHO ने बताया :

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बताया है कि, 'ब्रिटेन व ब्राजील से सामने आए कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन दक्षिण अफ्रीका से सामने आए वैरिएंट से काफी अलग थे। हालांकि, वो भी जानलेवा थे, लेकिन यह उनसे भी ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है। दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट के एक म्युटेशन (बदलाव) को N501Y के नाम से जाना जाता है। इसे 20H / 501YV2 या B.1.351 नाम से भी जाना जा रहा है। यह मूल कोरोना वायरस से कई गुना ज्यादा संक्रामक है। हालांकि, इसके पहचान में आने से पहले ब्रिटेन वाला वैरिएंट (B.1.1.7) ज्यादा संक्रामक माना जा रहा था। जो कि अमेरिका समेत 40 देशों में पहुंच चुका है।'

शोधकर्ताओं का मानना :

दक्षिण अफ्रीका के शोधकर्ताओं का मानना है कि, 'नया वैरिएंट पुराने दोनों से 50% ज्यादा संक्रामक है।' हालांकि, WHO ने इस पर और अध्ययन की जरूरत बताते हुए कहा कि, दक्षिण अफ्रीका में हुए अब तक के अध्ययन इससे दोबारा संक्रमित होने के खतरे का इशारा नहीं करते। उधर वैज्ञानिकों के लिए दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट इसलिए भी चिंता का कारण बना हुआ है, क्योंकि इसमें काफी बदलाव होते पाए गए हैं। खासकर स्पाइक प्रोटीन वाले बदलाव, जिसके जरिये वायरस मानव शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करता है।

कोरोना वैरिएंट में हुए अन्य बदलाव :

वैज्ञानिकों ने यह भी बताया है कि, दक्षिण अफ्रीका से मिले कोरोना वैरिएंट में हुए एक अन्य बदलाव को E484 के नाम दिया गया है। जबकि यह बदलाव ब्रिटेन वाले वैरिएंट में नहीं पाया गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह बदलाव किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को धोखा देने और कोरोना की वैक्सीन के असर को कम करने में वायरस की मदद करता है।

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