हमास के हमले पीछे भी है इजराइल का हाथ
हमास को इजराइल समझता है फिलिस्तीन को हड़पने में मदद करने वाली संपत्ति
अल अक़्सा मस्जिद को गिराकर तीसरे टेम्पल माउंट को है बनाने का प्लान
राज एक्सप्रेस। इजरायल और फिलिस्तीन के बीच पिछले 2 दशक की सबसे बड़ी जंग चल रही है। इस जंग में अब तक दोनों तरफ से लगभग 3600 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। बताया गया है कि, यह युद्ध वैसे तो तब शुरू हुआ जब गाजा पट्टी की तरफ से हमास आतंकियों ने इजरायल की ओर 5000 से ज्यादा रॉकेट्स की बौछार की, लेकिन कहानी इतनी भी सीधी नहीं, जितनी दिखती है। मीडिया में इजरायल को बेचारा देश माना जा रहा है लेकिन इस बात को हमेशा छिपाया गया कि इजराइल ने फिलिस्तीनियों का किस तरह शोषण किया और दुनिया के सामने मासूम बनकर बड़े गेम प्लान को रचा जिसका नाता सीधे-सीधे यरुशलम से है।
इजरायल द्वारा वेस्ट बैंक बैरियर का निर्माण एक बड़े गेम प्लान का हिस्सा है। यह बैरियर फिलिस्तीनी आतंकवादियों को इजरायली क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकने के लिए बनाया गया था लेकिन इजरायली मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह फिलिस्तीनी अधिकारों का उल्लंघन और फिलिस्तीनी समुदायों को महज़ बाधित ही नहीं करता है बल्कि, इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष के दो-राज्य समाधान की संभावनाओं को कम करता है।
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने 2004 में एक सलाहकार राय जारी की जिसमें कहा गया कि, बैरियर का निर्माण अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत अवैध है। हर साल इजरायली सरकार द्वारा ज्यादातर शांत रहने वाले क्षेत्र वेस्ट बैंक में लगभग 200 से अधिक लोगों की कथित हत्या कर दी जाती है ताकि धीरे-धीरे उस जगह से भी फिलिस्तीनियों को खत्म कर वेस्ट बैंक और यरुशलम शहर पर कब्ज़ा किया जा सके।
इजरायल पर आए दिन मिसाइल दागने वाला हमास वैसे तो फिलिस्तीन की आज़ादी और यरुशलम के बचाव करने वाला आतंकवादी/उग्रवादी संगठन है लेकिन इजरायली पत्रकार और मीडिया हमास के बारे में विपरीत बाते करते हुए दिखाई पड़ता है। इजरायली पत्रकार ताल श्नाइडर (Tal Schneider) द्वारा लिखे एक लेख में उन्होंने बताया था कि कैसे इजरायल की सरकार ने परोक्ष रूप से मिस्र देश के ज़रिये हमास, जो कि बस एक छोटा आतंकवादी समूह था उसे इतना बड़ा आतंकवादी संगठन बनाया। पत्रकार ने खुलासा किया कि इज़रायली नीति फिलिस्तीनी प्राधिकरण (आम फिलिस्तीनी राजनैतिक पार्टियों) को एक बोझ और हमास को एक संपत्ति के रूप में मानती है।
श्नाइडर ने बताया कि नेतन्याहू ने 2018 में अपनी लिकुड पार्टी की एक बैठक के दौरान कथित तौर पर कहा था कि, जो लोग फिलिस्तीनी राज्य का विरोध करते हैं, उन्हें गाजा में धन के हस्तांतरण का समर्थन करना चाहिए, क्योंकि फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना को रोकने के लिए वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनी प्राधिकरण और गाजा में हमास के बीच अलगाव बनाए रखना होगा।
इस कारण नेतन्याहू सरकार फिलिस्तीन की किसी भी राजनैतिक पार्टियों से वार्ता करने के बजाए हमास को फिलिस्तीन का प्रतिनिधि मानती है। हमास द्वारा दागे गए मिसाइल की आड़ में इजरायल को गाजा पट्टी पर बम बरसाने का मौका मिल जाता है जिसके बाद फिलिस्तीन को धीरे-धीरे एक खुली जेल में तब्दील कर दिया जाता हैं। फिलिस्तीन के आम नागरिकों और राजनैतिक पार्टियों ने लगातार इस बात को साफ़ किया है कि वह हमास का समर्थन नहीं करते हैं लेकिन बावजूद इसके इजरायल सरकार गाजा के अस्पताल, अर्थव्यवस्था, खाना, पानी और बिजली पर हमला कर उन्हें वही खत्म करने की फिराक में है।
हमास और इजरायली सरकार वैसे तो इजरायली पत्रकारों के लेख को झूठा बताते है लेकिन उनके सही होने के संकेत साल दर साल लोगों के सामने आते रहते है। पिछले 3 सालों से प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ उनकी धर्मतांत्रिक और गैर कानूनी नीतियों को लेकर इजरायल के तटस्थ और धर्मनिरपेक्ष यहूदी आंदोलन और विरोध कर रहे है। इजरायली मीडिया के अनुसार, अपनी सरकार को बचाने के लिए उन्होंने हमेशा यरुशलम के अल अक़्सा परिसर में ज़ायोनीवादी यहूदियों को प्रवेश करवाया जहां अंतर्राष्ट्रीय कानून के हिसाब से यहूदियों का प्रवेश वर्जित है।
इजरायली सरकार इन्ही सब हरकतों की वजह से हमास को उकसाने में कामयाब होती है और दोनों तरफ जंग की शुरुआत हो जाती है। इसी हमले की वजह से इस बार भी नेतन्याहू अपने खिलाफ हो रहे विरोध को दबाने और आम नागरिकों के अंदर फ़र्ज़ी देशभक्ति भर अपनी सत्ता बचाने के प्रयास कर रहे है।
इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के राजनैतिक एंगल के अलावा एक धार्मिक एंगल भी शामिल है जिसमें कट्टरवादी यहूदी और मुस्लिम दृढ़ विश्वास रखते हैं। मध्य-पूर्व के देशों के मीडिया के अनुसार, कट्टरवादी यहूदी का अल अक्सा परिसर में स्थित सभी मुस्लिम और ईसाई धर्म स्थली को गिराने के बाद अपने भगवान् का तीसरा और अंतिम मंदिर बनाना चाहते हैं जिसे यहूदियों की विश्व की विजय के रूप में देखा जाता है। जियोनिवादी यहूदियों के अनुसार अल अक्सा परिसर को यहूदियों शासकों द्वारा निर्मित दो सोलोमन टेम्पल के ऊपर बनाया गया है। इस बात के सबूत अल अक्सा परिसर को संचालित करने वाले वक़्फ़ बोर्ड ने दिए हैं।
वक्फ ने बताया कि, यहूदियों के इजरायल बनाने और गैर कानूनी तरीके से फिलिस्तीन की ज़मीन पर कब्ज़ा करने के बाद से यहूदियों द्वारा अल अक्सा परिसर को क्षति पहुंचने का प्रयास होता रहा है और सभी बड़े देश इसमें इजरायल का समर्थन करते हुए नज़र भी आते है। बहरहाल, टेम्पल माउंट के पुनः निर्माण से पहले इजरायल का एक ऐसा प्लान भी है जिसकी बात उसने बड़े-बड़े मंचों पर की है। वह प्लान है फिलिस्तीन को पूर्णतः खत्म कर ग्रेटर इजराइल (Greater Israel) का गठन करना।
ग्रेटर इजरायल, एक ऐसी अवधारणा को संदर्भित करता है, जिसमें कुछ जियोनिवादी यहूदी पूरे फिलिस्तीन सहित आस-पास के देशों के कुछ हिस्से जोड़ कर एक बड़े क्षेत्र को शामिल करने के लिए इजरायल राज्य द्वारा नियंत्रित क्षेत्र के विस्तार की कल्पना करते हैं, यह अवधारणा अक्सर इजरायल के उन क्षेत्रों पर नियंत्रण बनाए रखने के विचार से जुड़ी है, जहां महत्वपूर्ण फिलिस्तीनी आबादी है। ग्रेटर इजरायल की अवधारणा का वैसे तो इसरायली सरकार समर्थन नहीं करती है लेकिन इसे आप अखंड भारत वाली कट्टर हिंदुत्ववादी संगठनों की अवधारणा से भी जोड़ कर देख सकते हैं।
वर्तमान स्थिति की बात करें तो युद्ध थमता हुआ प्रतीत नहीं होता है। इजरायली सेना अपनी पूरी ताकत के साथ गाजा पर बम गिरा रही है। इजरायल की मंशा इस बार गाजा को दोबारा खड़े नहीं होने नहीं देने की हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, इजरायली सेना गाजा की तरफ संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित सफ़ेद फॉस्फोरस गैस वाले हथियारों का इस्तेमाल कर रही है जो इंसान की त्वचा और फेफड़ों को प्रभावित करते हैं।
इजरायली सेना द्वारा इतने सालों से चले आ रहे अमानवीय कृत्य को रोकने के लिए अभी तक कोई भी बड़ा देश सामने नहीं आया है। अब देखना यह है कि, यह आखिर कब तक चलेगा, फिलिस्तीन में तबाही कब और कैसे थमेगी!
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