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जैन आचार्य लोकेश बने अमेरिका के इस अवार्ड से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय

अहिंसा विश्व भारती और विश्व शांति केंद्र के संस्थापक जैन आचार्य लोकेश को वाशिंगटन के कैपिटल हिल में अमेरिकी राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

Author : Akash Dewani

हाइलाइट्स :

जैन आचार्य लोकेश को मिला अमेरिकी राष्ट्रपति पुरस्कार

अमेरिकी राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय भिक्षु

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी जैन आचार्य के काम को सराहा

वाशिंगटन, अमेरिका। अहिंसा विश्व भारती और विश्व शांति केंद्र के संस्थापक जैन आचार्य लोकेश (Jain Monk Lokesh) को वाशिंगटन के कैपिटल हिल में अमेरिकी राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले वह पहले भारतीय भिक्षु हैं। सम्मान के हिस्से के रूप में, उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार, गोल्डन शील्ड, सम्मान प्रमाण पत्र और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के हस्ताक्षर वाले प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने जैन आचार्य के काम को सराहा :

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने हस्ताक्षरित प्रशस्ति पत्र में जैन आचार्य लोकेश के मानवीय कार्यों की सराहना करते हुए कहा, "मैं आपको सार्वजनिक भलाई में आपके योगदान के लिए बधाई देता हूं और इस महान राष्ट्र और मानवता के लिए आपकी सेवा के लिए आपको बधाई देता हूं।"

जो बाइडन ने आगे लिखा कि "अपना समय और जुनून साझा करके, आप हमारे सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान खोजने में मदद कर रहे हैं। समाधानों की हमें पहले से कहीं अधिक आवश्यकता है। हम एक ऐसे क्षण में रहते हैं जिसे आशा, प्रकाश और प्यार की आवश्यकता है आप अपनी सेवा के माध्यम से ये तीनों प्रदान कर रहे हैं। अमेरिकी लोगों की ओर से, मैं आपके स्वयंसेवी नेतृत्व के लिए आपकी हार्दिक सराहना करता हूं और अमेरिकी लोगों को विश्वास है कि आप भविष्य में भी इसी तरह मानवता की सेवा करते रहेंगे।"

जैन आचार्य लोकेश

अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक जैन आचार्य लोकेश ने कहा कि यह सम्मान भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिक मूल्यों, भगवान महावीर के जैन सिद्धांतों का सम्मान है।यह मेरे लिए सम्मान की बात है कि इन्हीं मूल्यों के आधार पर मैं पिछले 40 वर्षों से मानव जाति के हित और कल्याण के लिए समर्पित हूं और भविष्य में भी सभी की उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास करूंगा।" इसके अलावा जैन आचार्य लोकेश ने बाइडेन का आभार जताते हुए उम्मीद जताई कि भारत और अमेरिका मानव जाति के उत्थान के लिए मिलकर काम करते रहेंगे।

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