पैरेंट्स के लिए बेटियों की सुरक्षा जरूरी मुद्दा।
लड़कियों को सिखाएं सेफ और अनसेफ टच के बारे में।
10 -12 साल की उम्र में लड़कियों को दिलाएं सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग।
लड़कियों को ना कहना सिखाएं।
International Girl Child Day : बेटियां सभी को प्यारी होती हैं, लेकिन आज के समय में इनकी सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान देना पड़ता है। WHO के अनुसार 3 में से 1 महिला को सेक्सुअल हैरेसमेंट का सामना करना पड़ता है। संयुक्त राष्ट्र महिला की पहल, वर्चुअल नॉलेज सेंटर टू एंड वायलेंस अगेंस्ट वीमेन एंड गर्ल्स की ओर से पब्लिश कई फैक्ट में से एक में कहा गया है कि 50% तक सेक्सुअल अटैक 16 साल से कम उम्र की लड़कियों पर होते हैं। फिर चाहे यह स्कूल हो या फिर कोई पब्लिक प्लेस। ज्यादातर मामलों में दोषी कोई घर का या पहचान वाला ही पाया जाता है, इसलिए लड़कियां अपने खुद के घर में भी पूरी तरह से सेफ नहीं हैं। भारत में लड़कियों के साथ लगातार हो रही घटनाओं के बाद भी उनके लिए सुरक्षा उपायाें की कमी है। लेकिन किसी के भरोसे ना रहें। लड़कियों को बचपन से ही स्मार्ट, कॉन्फिडेंट बनाएं और अपनी सुरक्षा खुद करना सिखाएं। यहां हर वर्ग आयु की लड़कियों के लिए सेफ्टी टिप्स दिए गए हैं। जिनकी मदद से वह घर और घर से बाहर सुरक्षित रह सकती हैं।
6-9 साल के बच्चे जब घर से बाहर निकलते हैं, तो उन्हें अपना पूरा नाम, घर का पता और फोन नंबर पता होना चाहिए। जरूरत पड़ने पर वह किन भरोसेमंद लोगों से संपर्क कर सकती हैं, उन्हें बताएं।
बेटी को सेफ और अनसेफ टच के बारे में सिखाएं। इसे गुड और बैड टच के रूप में ना बताएं, क्योंकि बैड टच भी अच्छा लग सकता है।
अगर कठिन परिस्थिति में बेटी घर के किसी सदस्य ये बात नहीं कर सकती, तो उसे चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 याद कराएं।
बेटी को समझाएं कि वह अजनबियों से बात न करें। किसी से न कुछ लें और न ही किसी को अपनी फैमिली के बारे में कुछ बताएं।
बेटी अगर अकेले आती जाती है, तो उसे समझाएं कि जो रास्ते आपने उसे बताएं है, उसी को फॉलो करे। अकेले किसी नए रास्ते या गली से ना जाए।
बेटियों को खतरनाक स्थिति में खुद की सुरक्षा और बचाव करना सिखाना बहुत जरूरी है। इसलिए हर पैरेंट को अपनी बेटी को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दिलानी चाहिए।
महिलाओं और लड़कियों में अंतर्ज्ञान को महसूस करने की एक जन्मजात क्षमता होती है। अपनी बेटियों को अपनी अंतरात्मा पर भरोसा करना और उन पर ध्यान देना सिखाएं।
यह वही समय है जब लड़कियां किसी के प्रति अट्रेक्ट हो सकती हैं। इस उम्र में उनके मन में किसी के प्रति फीलिंग बहुत जल्दी आ जाती है। फीलिंग बदलने लगती हैं। इसलिए अपनी बेटी को असहज महसूस होने पर ना कहना सिखाएं।
जैसे-जैसे आपकी बेटी बड़ी होगी, वह दोस्तों के साथ ज्यादा समय बिताना चाहेगी। उसे बताएं कि आप हमेशा उसके लिए मौजूद हैं और वो जब चाहे आपसे अपने मन की बात कह सकती है।
आजकल हर लड़की के पास फोन है और हर लड़की सोशल मीडिया पर एक्टिव भी है। उसे ऑनलाइन खतरों के बारे में बताएं और सावधानी बरतने के लिए मोटिवेट करें। उसे बताएं कि वह पर्सनल इंफॉर्मेशन ऑनलाइन किसी के साथ भी शेयर न करें और न ही किसी ऐसे व्यक्ति से दोस्ती करे, जिसे वह दूर दूर तक नहीं जानती।
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