International Day of Families : वर्तमान समय में बड़ी संख्या में युवा रोजगार या किसी अन्य कारण से अपने परिवार से दूर होते जा रहे हैं। आधुनिक युग में अकेले रहने का चलन भी तेजी से बढ़ रहा है। हालांकि यह भी सच है कि परिवार किसी भी शख्स के लिए जरूरी होता है। परिवार के साथ रहने से व्यक्ति में आपसी सहयोग और समन्वय की भावना विकसित होती है। उसे सही-गलत के फर्क के बारे में पता चलता है। साथ ही परिवार होता है जो हमारे बुरे समय में चट्टान की तरह हमारे साथ खड़ा रहता है। ऐसे में परिवार के इसी महत्व को लोगों तक पहुंचाने के लिए हर साल 15 मई को International Day of Families यानि अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है।
दरअसल विश्व परिवार दिवस का नींव दिसंबर 1989 में रखी गई थी। इस साल संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) ने परिवार के महत्व को लोगों तक पहुंचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाने की घोषणा की थी। इसके तीन साल बाद साल 1993 में यूएन जनरल असेंबली ने 15 मई को परिवार दिवस (Family Day) मनाने की घोषणा की थी। इसके बाद से ही हर साल 15 मई को पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाने लगा। तो चलिए जानते हैं कि संयुक्त परिवार में रहने के क्या फायदे हैं।
हम सभी के जीवन में कभी ना कभी बुरा समय जरूर आता है। ऐसे समय में व्यक्ति अकेला रहता है तो तनाव से घिर जाता है। इसके उलट परिवार के साथ रहने पर आप अपनी परेशानी उनके साथ बांट सकते हैं। परिवार के लोग आपकी परेशानी दूर करने की कोशिश कर सकते हैं या फिर आपको सहारा दे सकते हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार एकल परिवार में रहने वाले लोगों को संयुक्त परिवार के मुकाबले ज्यादा खर्च करना पड़ता है। एकल परिवार में रहने वाले लोगों को हर चीज अलग से खरीदनी पड़ती है जबकि संयुक्त परिवार में खर्च बंट जाता है।
संयुक्त परिवार में रहने से बच्चों और बूढों दोनों को फायदा मिलता है। बच्चों को जहां दादी-दादी का प्यार मिलता है तो वहीं बुजुर्गों को भी अपने पोता पोती का साथ मिल जाता है। अकेले रहने से बुजुर्ग तनावग्रस्त हो सकते हैं।
एकल परिवार के मुकाबले संयुक्त परिवार में लोग ज्यादा खुश रहते हैं। सभी मिलकर छोटी-छोटी खुशियों का मजा लेते हैं। किसी त्यौहार को परिवार के साथ मनाने से उसका मजा कई गुना बढ़ जाता है।
एकल परिवार में हर काम व्यक्ति को खुद ही करना पड़ता है। जैसे बाहर का सारा काम पुरुष करता है जबकि घर का सारा काम महिला को करना होता है। अगर महिला कामकाजी है तो उसकी परेशानी और भी बढ़ जाती है। वहीं संयुक्त परिवार में काम बंट जाता है।
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