फ्रांस, दुनिया। किसी भी देश में चुनाव आते ही सियासत में गर्मा-गर्मी देखने को मिलती ही है। चाहे वो भारत हो या कोई अन्य देश। वहीं, अब आगामी अप्रैल के महीने में फ्रांस में राष्ट्रपति चुनाव का आगमन होने से पहले एक डॉक्यूमेंट्री को लेकर जोरो-शोरों से विवाद छिड़ गया है। यह टीवी डॉक्यूमेंट्री मुस्लिम धर्म के लोगों पर आधारित है।
डॉक्यूमेंट्री को लेकर बड़ा हंगामा :
दरअसल, फ़्रांस में ठीक दो महीने बाद राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने वाले है। उससे ठीक पहले वहां, मुसलमानों पर तैयार की गई एक टीवी डॉक्यूमेंट्री को लेकर बड़ा हंगामा होता नजर आरहा है। इसी बीच फ्रांस में वहां की वर्तमान सरकार की आलोचना भी की जा रही है। बता दें, इस मुस्लिमों पर बनीं डॉक्यूमेंट्री में जिन मुसलमानों ने काम किया था, उसमें एक युवा महिला लिलिया बौजियान का नाम होने की भी खबर है। बौजियान ल्यों में कानून की छात्रा हैं। उन्होंने बताया कि 'डॉक्यूमेंट्री के लिए उन्हें मैनिपुलेट किया गया था।'
आलोचकों का कहना :
आलोचकों का कहना है कि, 'फ्रांसीसी पत्रकारों ने देश की खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर देश के मुसलमानों को निशाना बनाते हुए ये डॉक्यूमेंट्री तैयार की है। जबकि इस मामले में सामने आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि, ये डॉक्यूमेंट्री रविवार शाम को M6 नामक एक स्थानीय फ्रांसीसी चैनल ने अपने कार्यक्रम 'Forbidden Zone' में प्रसारित की जिसका नाम कट्टरपंथी इस्लाम का खतरा और सरकार का रुख (Faced with the danger of radical Islam, the responses of the state) था।'
बौजियान ने दी जानकारी :
कानून की छात्रा बौजियान ल्यों ने जानकारी देते हुए कहा कि, "मुझे लगा कि शो धर्मनिरपेक्षता के प्रति युवाओं के विचारों के बारे में होगा लेकिन डॉक्यूमेंट्री में उनका गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया। शो में चुनिंदा कोट्स का इस्तेमाल किया गया था, जिसका उद्देश्य मुसलमानों के खिलाफ फ्रांस के प्रोपेगैंडा की पुष्टि करना था। इतना ही नहीं उन्होंने सोशल मीडिया पर एक इमोशनल वीडियो जारी करते हुए कहा है कि, 'महिलाएं बहुत लंबे समय से चुप हैं, लेकिन आज एक मुस्लिम और फ्रांसीसी लिलिया बौजियान चुप नहीं रहेगी। मैं चीजों को ऐसे ही नहीं चलने दूंगी। Forbidden Zone के पत्रकारों ने मुझे धोखा दिया गया और मुझे मैनिपुलेट किया गया।"
पूर्व फ्रांसीसी मंत्री का बयान :
जब भी किसी देश में इस तरह का कोई मुद्दा उठता है तो नेताओं और मंत्रियों के बयान सामने आना आम बात है। इसी कड़ी में फ्रांस के एक पूर्व मंत्री ने डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण के बाद टीवी पर बौजियान को देखकर कहा, 'वो अपना हिजाब नहीं उतारना चाहती और एक वकील बनना चाहती है, फिर तो सीधी सी बात है... वो यहां से जाए, किसी मुस्लिम देश में रहे। एक पेशेवर वकील हिजाब पहनती है तो इससे उसके काम पर क्या असर पड़ेगा, समझ नहीं आता।' जबकि एक वामपंथी नेता ने अपने बयां में डॉक्युमेंट्री को लेकर आरोप लगाते हुए कहा कि, 'देश के दक्षिणपंथी गृह मंत्री गेराल्ड डारमैनिन अप्रैल में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों को देखते हुए मुसलमानों के खिलाफ ये सब कर रहे हैं। राष्ट्रपति चुनाव से तीन महीने पहले इस तरह की रिपोर्ट, एक गटर रिपोर्ट है, अपमानजनक और झूठी है। हम पहले से ही जानते हैं कि इस तरह की रिपोर्ट्स से किसका फायदा होने वाला है- गृह मंत्री का।'
मानवाधिकार कार्यकर्ता ने बताया :
मानवाधिकार कार्यकर्ता ने बताया कि, 'डॉक्युमेंट्री के प्रसारण के बाद फ्रांसीसी सरकार ने उन दुकानों को बंद करने का फैसला किया जो इस्लामी पोशाक, बिना आंखों वाली गुड़िया और धार्मिक किताबें बेचते हैं।'
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