पायट अस्पताल में कोविड-19 संक्रमण से उबर रहे हैं।  Social Media
दुनिया

शुक्र है मुझे कोविड संक्रमण है न कि इबोला - पीटर पायट

"कोरोना वायरस संक्रमित इलाजरत इबोला वायरस एक्सपर्ट पीटर पायट का मानना है कि लोग सालों तक इस वायरस के प्रभाव को झेलेंगे।"

Author : Neelesh Singh Thakur

हाइलाइट्स

  • 40 साल का खोजी अनुभव

  • नाइटहुड से सम्मानित हैं पायट

  • बीमारी के बाद पहला साक्षात्कार

राज एक्सप्रेस। इबोला वायरस की खोज में मददगार और लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के निदेशक एवं वायरस विज्ञानी पीटर पायट ने कोविड-19 के प्रभाव में आने के बाद जनहित में अपने अनुभव साझा किये हैं।

40 सालों का अनुभव -

40 वर्षों तक एचआईवी और एड्स सहित कई संक्रामक रोगों के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया का अध्ययन और नेतृत्व करते रहे प्रोफेसर पहले कभी गंभीर रूप से बीमार नहीं रहे। लेकिन कोरोना वायरस की जद में आने के बाद उन्होंने कहा कि; "आखिरकार मैं वायरस ग्रसित हो गया"।

“नाइटहुड” से सम्मानित -

आपको पता रहे पायट को विज्ञान में की गईं अमूल्य सेवाओं के लिए मानद उपाधि “नाइटहुड” से सम्मानित किया गया है। वे इन दिनों गंभीर निमोनिया के कारण अस्पताल में भर्ती हैं और कोविड-19 संक्रमण से उबर रहे हैं।

पेशेवर विशेषज्ञता और व्यक्तिगत अनुभव ने उन्हें सार्वजनिक स्वास्थ्य पर वायरस के संभावित प्रभाव के बारे में असाधारण अंतर्दृष्टि प्रदान की है। उन्होंने आशंका जताई है कि बहुत से लोग आगे चलकर किडनी और दिल की समस्याओं का सामना कर सकते हैं।

राजनीतिक तनाव होगा कम -

उन्हें उम्मीद है कि; कोरोना संकट से वैक्सीन से संबंधित राजनीतिक तनाव कम हो सकता है। साथ ही यह संकट एंटी-वैक्सीन प्रचारकों को अपनी स्थिति का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए बाध्य कर सकता है। उनका यह भी मानना है कि कोरोना संकट विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सुधार कार्यक्रमों का भी नेतृत्व कर सकता है।

पहला साक्षात्कार –

वायरस की चपेट में आने के बाद अपने पहले साक्षात्कार में प्रोफेसर ने कहा कि उन्हें 19 मार्च को तेज बुखार और तेज सिरदर्द के लक्षण दिखने शुरू हुए थे। कोविड-19 के अलावा उन्होंने कहा कि इबोला हमेशा वापस आएगा जब तक कि हम इसे समाप्त करने के लिए साधन विकसित नहीं करते।

साइंस मैगजीन के अंग्रेजी संस्करण में प्रकाशित बैल्जियम की पत्रिका नैक को दिये साक्षात्कार में उन्होंने बताया कि "मेरी खोपड़ी और बाल में विचित्र रूप से बहुत दर्द था।" लेख के अनुसार उस समय उन्हें खांसी नहीं थी, लेकिन उनकी सहज वृत्ति से उन्हें आभास हो चला था कि उन्हें कोरोना वायरस है। उनकी सोच थी कि यह स्थिति समाप्त हो जाएगी और वे यूरोपीय आयोग अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के विशेष सलाहकार के रूप में काम करना जारी कर पाएंगे।

“मैं कभी भी गंभीर रूप से बीमार नहीं हुआ और पिछले 10 वर्षों में एक भी दिन बीमारी संबंधी अवकाश नहीं लिया। मैं काफी स्वस्थ जीवन जीता हूं और नियमित रूप से चलता हूं। कोरोना के लिए एकमात्र जोखिम कारक मेरी आयु है - मैं 71 वर्ष का हूं। मैं एक आशावादी हूं, इसलिए मुझे लगता है कि यह गुजर जाएगा।"
पीटर पायट, निदेशक, लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन

चार दशकों तक संक्रामक बीमारियों के अध्ययन में रत रहे प्रोफेसर का अनुभव कोरोना वायरस के बारे में उनकी स्टडी और उम्मीद से अलग है।

“मैंने वायरस से लड़ने के लिए अपना जीवन समर्पित किया है और आखिरकार, उन्होंने अपना बदला ले लिया। एक हफ्ते के लिए मैंने स्वर्ग और पृथ्वी के बीच संतुलन बनाया, जिसका एक किनारे पर अंत हो सकता था।”
पीटर पायट, निदेशक, लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन

संक्रमण से उबर रहे हैं -

पायट दरअसल 2014 में पश्चिम अफ्रीका में इबोला के प्रकोप के प्रति यूके, यूएन और डब्ल्यूएचओ के प्रयासों के प्रमुख आलोचकों में एक रहे हैं। वे इन प्रयासों को "बहुत धीमा" तक कह चुके हैं। उन्होंने मैगजीन से कहा, "मुझे खुशी है कि मुझे कोरोना था न कि इबोला। हालांकि मैंने कल एक वैज्ञानिक अध्ययन पढ़ा था, जिसमें निष्कर्ष निकाला गया था कि आपके पास कोविड-19 से ब्रिटिश अस्पताल में खत्म होने का 30% मौका है। 2014 में पश्चिम अफ्रीका में इबोला की कुल मृत्यु दर के बारे में भी यही प्रमाण है।"

पायट अभी भी कोरोना संक्रमण से उबर रहे हैं और चेतावनी देते हैं कि जितना अधिक हम वायरस के बारे में सीखते हैं, उतने ही अधिक सवाल उठते हैं। उन्होंने कहा, "दुनिया भर में हजारों लोग होंगे, संभवतः अधिक, जिन्हें अपने जीवन के बाकी हिस्से में गुर्दे के डायलिसिस जैसे उपचार की आवश्यकता होगी।"

उन्होंने कहा कि; "दरअसल हम वायरस के बारे में फिलहाल सीख रहे हैं। यही कारण है कि मैं कई टिप्पणीकारों से बहुत परेशान हूं, जो बिना अधिक जानकारी के, महामारी को नियंत्रण में लाने की कोशिश कर रहे वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं की आलोचना करते हैं। यह बहुत अनुचित है।”

गौरतलब है जांच के समय प्रोफेसर में ऑक्सीजन का स्तर कम था। यह एक तरह से कोरोना वायरस के लक्षण हैं जिसमें सांस की कमी या कष्ट के लक्षण नहीं दिखते लेकिन ऑक्सीजन संतृप्ति स्कोर कम होता है जो आमतौर पर बेहोशी का कारक माना जाता है।

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