Coronavirus New Variant NeoCov : दुनिया में जब से कोरोना वायरस की एंट्री हुई है तब से लगातार कोरोना का कोई न कोई नया रूप अलग-अलग स्ट्रेन और वेरिएंट के रूप में सामने आता ही जा रहा है। पिछले महीनों में दक्षिण अफ्रीका से फैलना शुरू हुए कोरोना के नए Omicron वेरिएंट और पिछले दिनों Omicron के भी अन्य BA.1 और BA.2 वेरिएंट मिलने की पुष्टि हुई थी। अब तक इन सभी वेरिएंट से दुनियाभर के देशों में खलबली मच रही ही थी कि, अब एक और नए ‘नियोकोव (NeoCov) नाम के वेरिएंट के सामने आने की खबर मिली है।
कोरोना के एक और नए वेरिएंट की पुष्टि :
दरअसल, कल तक भारत सहित कई देशों में कोरोना के नए अत्यधिक म्यूटेशन' Omicron वेरिएंट से खलबली मच रही थी। इसी बीच अब यह खबर सामने आई है, कोरोना का एक और नया ‘नियोकोव (NeoCov) नाम का नया वेरिएंट सामने आया है। यह कोरोना का एक और नया रूप बताया जा रहा है। जबकि वर्तमान समय में दुनियाभर के देशों में Omicron और डेल्टा वेरिएंट का खतरा भी तेजी से बढ़ ही रहा है। इस वेरिएंट को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि, यह वेरिएंट कोरोना के अन्य सभी वेरिएंट्स की तुलना में कई ज्यादा घातक हो सकता है।
वेरिएंट की पहचान :
बताते चलें, कोरोना के इस नए NeoCov नाम के वेरिएंट की पहचान चीन की वुहान यूनिवर्सिटी (Wuhan University) के शोधकर्ताओं ने दक्षिण अफ्रीका में चमगादड़ों में की है। उनका कहना है कि, "यह नए प्रकार के कोरोना वायरस चमगादड़ों में पाया जा रहा है।" उन्होंने अपने रिसर्च में यह दावा भी किया है कि, "NeoCov में उत्परिवर्तित (म्यूटेंट) की क्षमता ज्यादा है। जिसके चलते यह ज्यादा घातक हो सकता है। NeoCov SARS-CoV-2 की तरह ही मानव कोशिकाओं में प्रवेश कर सकता है। हालांकि अभी तक इसका पीयर-रिव्यू नहीं किया गया है, यानी इस अनुसंधान की पूर्ण समीक्षा की जानी बाकी है।"
WHO का कहना :
NeoCov वेरिएंट को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि, "NeoCov वेरिएंट की क्षमता को और स्पष्टता की आवश्यकता है। हाल ही में दक्षिण अफ्रीका में चमगादड़ों में पाया गया NeoCov वायरस मनुष्यों के लिए खतरा है या नहीं, इस सवाल पर और अध्ययन की आवश्यकता है। इसके एनिमल हेल्थ, फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन और यूएन इनवायरोमेंट प्रोग्राम ने इस उभरते हुए NeoCov वायरस पर नजर रखना शुरू कर दिया है और इस वायरस के संभावित खतरे पर जानकारियों को जुटाना शुरू कर दिया है।"
अध्ययन से मिली जानकारी :
हाल ही में हुए अध्ययन से यह जानकारी मिली है कि नियोकोव ‘मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम’ (मर्स) से करीबी रूप से जुड़ा हुआ है। इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति की पहचान पहली बार साल 2012 में सऊदी अरब में की गई थी।
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