हाइलाइट्स :
लावा इंटरनेशनल गुपचुप कर रहा तैयारी
अगले वित्तीय वर्ष तक कंपनी में होंगे बड़े बदलाव
अमेरिका के दिग्गजों से किया भारतीय कंपनियों ने करार
राज एक्सप्रेस। यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका और चाईना के बीच जारी छद्म व्यापारिक युद्ध के बीच लाभ हासिल करने भारतीय कंपनी लावा इंटरनेशनल की खास तैयारी चल रही है। लावा इस समय विश्व स्तरीय टेक कंपनियों के साथ बड़ा करार करने बेकरार है। गौरतलब है कि लावा भारत में निर्मित फोर-जी (4G) स्मार्टफोन्स की यूएस सप्लाई शुरू भी कर चुका है।
चर्चा जोरों पर :
भारतीय नस्ल के हैंडसेट निर्माता लावा इंटरनेशनल की कई विश्व स्तरीय दिग्गज कंपनियों से टेक्नोलॉजी के गठबंधन को लेकर चर्चा चल रही है। सप्लाई कॉन्ट्रैक्ट्स को मजबूती के साथ गति देने स्मार्ट फोन की डिज़ाइन, सप्लाई चेन और मैन्युफैक्चरिंग क्षमता में विकास के मुद्दों पर कंपनी का खास फोकस है।
मौके का लाभ :
इसके अलावा विदेशी कंपनियों से आपूर्ति अनुबंधों के गतिरोध दूर करने भी लावा इंटरनेशनल प्रयासरत है। अमेरिका-चीन के बीच व्यापारिक रिश्तों में उभरे तनाव के बीच पश्चिमी बाजारों से उभर रही मांग को देखते हुए लावा ने इंटरनेशनल मार्केट में पैर पसारने की खास रणनीति बनाई है।
कंपनी से जुड़े अहम सूत्र के मुताबिक लावा इंटरनेशनल मौजूदा भू-राजनीतिक और तकनीकी पृष्ठभूमि में दुनिया की शीर्ष तकनीकी शक्तियों और दिग्गजों के साथ गहरे गठजोड़ की प्रक्रिया में पूरे मनोयोग से जुटी है।
तकनीक का विस्तार :
लावा इंटरनेशनल की रणनीतियों से साफ है कि भारत की मोबाइल निर्माता यह कंपनी आपूर्ति श्रृंखला और लावा की विनिर्माण क्षमता बढ़ाने की कारगर दिशा में प्रयासरत है। टेक जगत की खबरों के मुताबिक लावा अपने प्रॉडक्ट्स रेंज की डिज़ाइन और निर्माण क्षमता में सुधार के साथ ही भारतीय तकनीक को फॉरेन मार्केट्स में निर्यात करने की दिशा में काफी तेजी से काम कर रहा है।
भारतीय कंपनियों की सफलता :
लावा को हाल ही में यूनाइटेड स्टेट्स की टेलीकॉम मेज़र एटी एंड टी (AT&T) से 4 जी हैंडसेट उपलब्ध कराने के लिए 2,000 करोड़ रुपये का एक बड़ा अनुबंध हासिल हुआ है। इसी तरह एक और अन्य भारतीय कंपनी माइक्रोमैक्स ने विदेशी दिग्गज कंपनी स्प्रिंट-टी-मोबाइल से इसी तरह का 500 करोड़ रुपए का करार किया है। आपको बता दें AT&T अमेरिका की मल्टीनेशनल कंपनी है।
भारतीय कंपनी लावा रिपेयर एंड डेवलपमेंट (R&D) यानी अनुसंधान और विकास के लिए मैनपॉवर को मजबूत करने शक्ति को दोगुना करने की दिशा में प्रयासरत है। वित्तीय वर्ष के अंत तक यह कार्य पूरा करने का उसका लक्ष्य है। हालांकि कंपनी ने पश्चिमी प्रौद्योगिकी कंपनियों के संग जारी लावा इंटरनेशनल की चर्चाओं के बारे में खुलासा नहीं किया है।
भारतीय कंपनी लावा रिपेयर एंड डेवलपमेंट (R&D) यानी अनुसंधान और विकास के लिए मैनपॉवर को मजबूत करने शक्ति को दोगुना करने की दिशा में प्रयासरत है। वित्तीय वर्ष के अंत तक यह कार्य पूरा करने का उसका लक्ष्य है। हालांकि कंपनी ने पश्चिमी प्रौद्योगिकी कंपनियों के संग जारी लावा इंटरनेशनल की चर्चाओं के बारे में खुलासा नहीं किया है।हरि ओम राय, चेयरमैन, लावा इंटरनेशनल
चाइना की टक्कर :
लावा ने भले ही बीते 12 महीनों के दौरान फ़ीचर फोन मार्केट में अपने शेयर में इजाफा किया हो लेकिन यह भी जगजाहिर है कि चाईना की श्याओमी (Xiaomi), ओप्पो (Oppo) और वीवो (Vivo) जैसी कंपनियों से भारतीय कंपनी को कड़ी प्रतिस्पर्धा मिल रही है। इस कारण भी लावा स्मार्टफ़ोन्स की दुनिया में छाप नहीं बना पाया।
कैपिटल बर्निंग :
ऑनलाइन चैनल्स और Jio के भारी मात्रा में कैपिटल बर्निंग और प्रिडेटरी प्राइज़िंग यानी बेहद सस्ती या लुटेरी और या फिर शिकारी मूल्य निर्धारण के कारण भी कई भारतीय फर्म हाशिए पर जा पहुंचीं। हालांकि बाजार विश्लेषकों के मुताबिक तो यह सब एक प्रक्रिया का ही हिस्सा है।
चाइना मॉडल :
चाइनीज़ कंपनियों के विकास में चाइना के खुद के डिजाइन और विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र का भी बड़ा हाथ है। व्यापारिक विस्तार के लिए चीन सरकार की सहयोगात्मक नीतियों के योगदान से चाइनीज़ बिजनेस न केवल देश बल्कि विदेश में जमकर फल-फूल रहा है।
भारत में सुधार की दरकार :
मार्केट रिसर्च करने में महारत रखने वाली फर्म साइबरमीडिया रिसर्च के अनुसार चाइना और दक्षिण कोरियाई ब्रांडों से अटे पड़े हैंडसेट बाजार में लावा एकमात्र भारतीय ब्रांड के रूप में उभरा है। भारतीय निर्माता कंपनियां भारत सरकार से घरेलू ब्रांड्स खासकर तकनीकी जगत से जुड़ीं कंपनियों की बेहतरी के लिए बुनियादी ढांचा दुरूस्त करने की मांग लंबे समय से करती आई हैं।
भारतीय नाम :
लावा इंटरनेशनल लिमिटेड भारत की मल्टीनेशनल कंपनी है। कंपनी मोबाइल हैंडसेट इंडस्ट्री में एक जाना पहचाना नाम बन चुकी है। लावा ने साल 2009 में भारत में कारोबार शुरू किया था। इंटरनेट जाल पर दर्शाए जा रहे आंकड़ों के मुताबिक नोएडा बेस्ड कंपनी की रेवेन्यु 6,700 करोड़ रुपए है।
कंपनी का सहायक ब्रांड ज़ोलो भी तेजी से लोगों के बीच लोकप्रिय हो रहा है। कंपनी के फाउंडर हरि ओम राय, विशाल सहगल, शैलेंद्र नाथ राय और सुनील भल्ला कई मौकों पर भारतीय कंपनी के मार्फत देशवासियों को गर्व करने की बात कह चुके हैं।
“मेरा वादा है लावा पर भारत को एक दिन गर्व होगा।”हरि ओम राय, चेयरमैन, लावा इंटरनेशनल
तकनीक के मामले में ढेरों विदेशी कंपनियों के बीच टक्कर ले रहीं भारतीय कंपनियों की फॉरेन टेलिकॉम सेक्टर्स में बढ़ती साख से कहा जा सकता है कि इंडियन टेक्नोलॉजी पर गर्व करने के दिन वाकई शुरू हो चुके हैं। क्या कहना है आपका?
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