इजरायली मंत्री के अल-अक्सा मस्जिद दौरे से क्यों भड़के इस्लामिक देश Syed Dabeer Hussain - RE
एशिया

जानिए अल-अक्सा मस्जिद को लेकर क्यों रहता है यहूदियों और मुस्लिमों के बीच तनाव?

बता दें कि अल-अक्सा मस्जिद दुनिया के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में शुमार है। यह मस्जिद इजरायल की राजधानी यरूशलम में स्थित है।

Priyank Vyas

राज एक्सप्रेस। इजरायल के कट्टर दक्षिणपंथी मंत्री इतामार बेन-गविर के यरुशलम की अल-अक्सा मस्जिद का दौरा करने से इस्लामिक देश बुरी तरह से भड़क गए हैं। यह मामला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद तक भी पहुंच गया है। फिलिस्तीन के राजदूत ने इजरायली मंत्री की यात्रा को अल-अक्सा मस्जिद की यथास्थिति को बदलने की कोशिश बताते हुए चेतावनी दी है कि हमारे धैर्य को हमारी कमजोरी न समझा जाए। इसके अलावा दुनिया के तमाम इस्लामिक देशों ने भी इजरायल के इस कदम की आलोचना की है। दूसरी तरफ इजरायल ने इस पूरे विवाद को गैर-जरूरी बताया है। तो चलिए आज हम जानेंगे कि अल-अक्सा मस्जिद का क्या महत्व है? और इसको लेकर मुस्लिम और यहूदी क्यों अक्सर आमने-सामने आ जाते हैं?

कहाँ है अल-अक्सा मस्जिद?

बता दें कि अल-अक्सा मस्जिद दुनिया के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में शुमार है। यह मस्जिद इजरायल की राजधानी यरूशलम में स्थित है। साल 1948 से इस मस्जिद की देखभाल जॉर्डन करता आया है।

क्या है विवाद?

दरअसल साल 1967 में इजरायल ने गाजा पट्टी, वेस्ट बैंक और यरुशलम पर अपना कब्जा कर लिया था। इस दौरान अल-अक्सा मस्जिद को लेकर एक समझौता हुआ था। इस समझौते के अनुसार इस मस्जिद में सिर्फ मुस्लिमों को प्रार्थना करने की इजाजत है। हालांकि गैर-मुस्लिमों को भी मस्जिद परिसर के अंदर जाने की इजाजत है लेकिन वह प्रार्थना नहीं कर सकते। लेकिन पिछले कुछ समय से यहूदियों ने कई बार मस्जिद में घुसकर प्रार्थना करने की कोशिश की है। इसी बात को लेकर इजरायल और इस्लामिक देशों के बीच विवाद बना हुआ है।

क्यों महत्वपूर्ण है अल-अक्सा मस्जिद?

बता दें कि अल-अक्सा मस्जिद सिर्फ मुस्लिम ही नहीं बल्कि यहूदी समुदाय के लिए भी बहुत खास है। मुस्लिम समुदाय के लोगों का विश्वास है कि पैगंबर मोहम्मद यहीं से जन्नत गए थे। मस्जिद परिसर में वेस्टर्न वॉल है, जिसके बारे में मुस्लिमों का मानना है कि पैगंबर मुहम्मद ने अल-बुराक नाम के जानवर को यहीं बांध रखा था। यही कारण है कि मक्का और मदीना के बाद अल-अक्सा मस्जिद इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल है। वहीं यहूदी समुदाय का विश्वास है कि बाइबल में जिन यहूदी मंदिरों का जिक्र है, वे यहीं थे। यहूदी वेस्टर्न वॉल को अपने यहूदी मंदिर का आखिरी अवशेष मानते हैं।

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