अफगानिस्तान में तालिबान के शासन को दो साल पूरे हो चुके हैं।
15 अगस्त 2021 को तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया था।
तालिबान ने अपने शासन में महिलाओं की आजादी को पूरी तरह से छीन लिया।
तालिबान सरकार ने लोगों के मनोरंजन पर भी पाबंदी लगा दी।
राज एक्सप्रेस। एक तरफ जहां भारत आजादी की वर्षगांठ मना रहा है तो दूसरी तरफ अफगानिस्तान में तालिबान के शासन को दो साल पूरे हो चुके हैं। 15 अगस्त 2021 को तालिबान ने अमेरिकी फौजों के लौटते ही अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया था। जब तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता संभाली थी, तब कहा जा रहा था कि पहले के मुकाबले उसकी सोच में अब बदलाव आ चुका है। महिलाओं की शिक्षा और आजादी को लेकर उसकी नीतियां पहले जैसी नहीं रहेगी। हालांकि सत्ता में आने के बाद कुछ ही दिनों में तालिबान ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया। पिछले दो सालों में तालिबान ने ऐसे कई फैसले किए जिसने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया।
तालिबान के सत्ता में आने पर लोगों के मन में सबसे ज्यादा डर महिलाओं की आजादी को लेकर ही था। आखिरकार अंतराष्ट्रीय समुदाय का वह डर सच साबित हुआ और तालिबान ने अपने शासन में महिलाओं की आजादी को पूरी तरह से छीन लिया। तालिबान ने महिलाओं के लिए घर से निकलने से पहले हिजाब पहनना अनिवार्य है। यहां तक की महिला न्यूज एंकर्स को एंकरिंग के दौरान भी हिजाब पहनना पड़ रहा है। साथ ही महिलाओं के ब्यूटी सैलून भी बंद करा दिए गए।
यही नहीं तालिबान ने अपने शासन ने महिलाओं की शिक्षा पर भी रोक लगा दी थी। हालांकि दुनियाभर में हो रही आलोचना के बाद प्राइमरी स्कूलों में लड़कियों को पढ़ने की मंजूरी दी गई, लेकिन उस समय लड़कियों का शरीर और चेहरा पूरी तरह से ढका होना जरूरी है।
तालिबान सरकार ने महिलाओं के अकेले घर से बाहर निकलने पर भी पाबंदी लगा दी है। महिलाएं सिर्फ अपने पुरुष साथी के साथ ही लंबी दूरी की यात्राएं कर सकती हैं। किसी भी अकेली महिला को पब्लिक ट्रांसपोर्ट में नहीं बैठने दिया जाता है। इसके अलावा महिला को ड्राइविंग लाइसेंस देने पर भी रोक लगा दी गई है।
तालिबान सरकार ने लोगों के मनोरंजन पर भी पाबंदी लगा दी है। वहां सार्वजानिक तौर पर गाना-बजाना प्रतिबंध है। महिलाओं का मनोरंजन पार्क में प्रवेश रोक दिया गया है। होटल-रेस्त्रां में भी संगीत बजाना अपराध हो गया है।
तालिबान के इन फैसलों के चलते उसके सामने वित्तीय संकट खड़ा हो गया है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं मिलने के चलते कोई भी देश उसकी मदद भी नहीं कर रहा है। तमाम विदेशी मदद पहले ही रोक दी गई है। ऊपर से वहां लगातार सूखे के हालात बने हुए हैं। ऐसे में अफगानिस्तान के आम लोगों के सामने भूखे मरने के संकट खड़ा हो गया है।
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