रानिल विक्रमसिंघे भी अन्य नेताओं की तरह भ्रष्ट हैं : जेवीपी Social Media
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रानिल विक्रमसिंघे भी अन्य नेताओं की तरह भ्रष्ट हैं : जेवीपी

श्रीलंका के सबसे बड़े वामपंथी समूह के नेता अनुर कुमार दिसानायके ने राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे पर निशाना साधा है और कहा है कि श्री रानिल विक्रमसिंघे भी अन्य राजनेताओं की तरह भ्रष्ट हैं।

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कोलंबो। श्रीलंका के सबसे बड़े वामपंथी समूह के नेता अनुर कुमार दिसानायके ने राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे पर निशाना साधा है और कहा है कि श्री रानिल विक्रमसिंघे भी अन्य राजनेताओं की तरह भ्रष्ट हैं और वह श्रीलंका को वर्तमान आर्थिक संकट से नहीं उबार सकते हैं। द आइलैंड अखबार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के नेता दिसानायके ने कहा कि श्रीलंका में सत्ता पर कब्जा करने के उद्देश्य को प्राप्त करने में बड़े पैमान पर प्रदर्शन विफल रहा, हालांकि इसके पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागने पर मजबूर होना पड़ा था।

उन्होंने कहा कि 'अरागलया' (श्रीलंका की अभूतपूर्व आर्थिक गड़बड़ी के खिलाफ बड़े पैमाने पर हुए विरोध- प्रदर्शन) उचित नेतृत्व और योजना के अभाव में विफल रहा, हालांकि इसने श्री राजपक्षे को कार्यकारी शक्तियों को छोड़ने के लिए मजबूर किया। उन्होंने एक टेलीविजन को दिए गए साक्षात्कार में कहा कि यद्यपि श्री राजपक्षे की शक्ति समाप्त हो गई है। उन्होंने अपने शेष कार्यकाल को पूरा करने के लिए यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता विक्रमसिंघे को स्थापित करके इसे जल्दी से फिर से हासिल करने और राजनीतिक शक्ति को मजबूत करने में सक्षम हुए हैं।

उन्होंने कहा कि श्री राजपक्षे को श्रीलंका से भागने के लिए मजबूर करने के बाद प्रदर्शनकारियों को संसद की ओर मोड़ना चाहिए था और सरकार को इसे भंग करने और नया चुनाव का कराने का आवाहन करने के लिए मजबूर करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि इस विफलता के कारण श्री राजपक्षे फिर से राजनीतिक सत्ता हासिल करने में सफल रहे है।

पूर्व सेना प्रमुख एवं सांसद सरथ फोंसेका के इस दावे पर कि सरकार विरोधी संघर्ष एक और सशस्त्र विद्रोह का कारण बन सकता है पर टिप्पणी करते हुए जेवीपी नेता ने उनकी पार्टी फिर से उस रास्ते पर नहीं जाएगी। उन्होंने मतदाताओं को श्री राजपक्षे और श्री विक्रमसिंघे के बहकावे में नहीं आने की अपील करते हुए कहा है कि, '' हम चुनाव के जरिए सत्ता हासिल करेंगे।" उल्लेखनीय है कि जेवीपी ने 1971 और 1987-89 में विद्रोह किया था, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे।

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