राज एक्सप्रेस। अब तक पाकिस्तान से उलझता आ रहा तालिबान अब अपने एक और पड़ोसी देश ईरान से भीड़ गया है। रविवार को दोनों देशों की सेनाएं बॉर्डर पर आमने-सामने आ गईं। इस दौरान हुई फायरिंग में एक तालिबानी लड़ाके की मौत हो गई जबकि तीन ईरानी सैनिक भी मारे गए। इस लड़ाई के बाद तालिबान ने ईरान को युद्ध की चेतावनी देते हुए कहा है कि, ‘ईरान हमारी ताकत की परीक्षा न ले। हम सच्चे मुसलमान हैं। हम 24 घंटे में ईरान पर जीत हासिल कर सकते है।’ ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले समय में दोनों देशों के बीच विवाद और भी गहरा सकता है। तो चलिए है कि आखिर इन दोनों देशों के बीच विवाद की असल वजह क्या है?
कहा जाता है कि अगर तीसरा विश्वयुद्ध हुआ तो वो पानी को लेकर लड़ा जाएगा। अब विश्वयुद्ध का तो पता नहीं लेकिन अफगानिस्तान और ईरान के बीच फिलहाल युद्ध की स्थिति पानी को लेकर ही निर्मित हुई है। रविवार को दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुई झड़प उसी इलाके में हुई है, जहां से हेलमंद नदी (Helmand River) बहती है। हेलमंद नदी के पानी के बंटवारे को लेकर ही दोनों देशों के बीच यह टकराव देखने को मिल रहा है।
करीब 1000 किलोमीटर लंबी हेलमंद नदी अफगानिस्तान से ईरान की तरफ बहती है। ऐसे में इस नदी के पानी के बंटवारे को लेकर दोनों देशों के बीच साल 1973 में समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत अफगानिस्तान को हर साल ईरान को 82 करोड़ क्यूबिक मीटर पानी देना होगा। यह नदी ना सिर्फ ईरान के पूर्वी इलाके की प्यास बुझाती है बल्कि वहां सिंचाई का प्रमुख जरिया भी है।
दरअसल पिछले कुछ सालों से दोनों ही देश सूखे से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। दुनिया से कटे होने के कारण दोनों ही देशों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। ऐसे में पानी इनके लिए बहुत जरूरी है। अफगानिस्तान ने अपने क्षेत्र में सिंचाई करने और बिजली बनाने के लिए उस पर बांध बना दिया। इससे ईरान को मिलने वाला पानी प्रभावित हुआ है।
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