कोलंबो। बुरी तरह से आर्थिक संकट में घिरे श्रीलंका को कर्ज देकर मदद करने के मामले में भारत चीन को पीछे छोड़ कर पहले नंबर का कर्जदाता बन गया है। अखबार डेली मिरर की एक रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष के चार महीने के आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत ने श्रीलंका को 37.69 करोड़ डॉलर की कर्ज सहायता उपलब्ध करायी,जबकि इसी अवधि में चीन ने इस देश को 6.79 करोड़ डॉलर की कर्ज सहायता पहुंचायी है।
रिपोर्ट के अनुसार भारत की ओर से इन चार महीनों में उपलब्ध करायी गयी यह सहायता पड़ोसी देश द्वारा इस द्वीप देश के लिए मंजूर किये गये 3.5 अरब डॉलर के सहायता पैकेज का हिस्सा नहीं है। भारत ने संकटग्रस्त देश को सहायता पैकेज में कर्ज के अलावा पैकेज में सामान खरीदने और सावधि ऋण के अलावा पुराने कर्ज की किश्तों को टालने जैसी सुविधा भी दी है।
विदेशी और आंतरिक कारणों से इस वर्ष की शुरुआत में ही बुरी तरह से आर्थिक संकट में घिर गये श्रीलंका से उसके अन्य सहयोगी देशों द्वारा मुंह मोड़ लेने के बाद भारत इस समय इस देश को सबसे अधिक मदद कर रहा है। भारत के श्रीलंका को अप्रैल से लेकर अब तक दिये गये 3.5 अरब के सहायता पैकेज घोषित कर चुका है। भारत ने श्रीलंका को उधार पर निर्यात करने का 1.5 अरब डॉलर का करार किया है।
दोनों पक्षों ने दो फरवरी को 50 करोड़ डॉलर के दो वर्ष के एक अल्पावधि ऋण सहायता समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। इस कर्ज की अवधि एक साल बढ़ाने का भी प्रावधान है। इसी तरह 17 मार्च को आवश्यक वस्तुओं के आयात के लिए एक अरब डालर की सहायता के समझौते पर भी हस्ताक्षर किये गये थे।
गौरतलब है भारत से श्रीलंका को ईंधन खरीदने के लिए दी गयी कर्ज सुविधा जून के मध्य में पूरी हो जाने के बाद श्रीलंका की अर्थव्यवस्था में ठहराव आ गया और जनता ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। जनांदोलन के बीच राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को देश छोड़ना पड़ा और उन्होंने अब इस्तीफा दे दिया है।
भारत के अलावा श्रीलंका को एशियाई विकास बैंक से भी चार महीनों में 35.96 करोड़ डॉलर की कर्ज सहायता मिली है। इस तरह यह संस्थान इसका दूसरा सबसे बड़ा कर्जदाता बन गया है। विश्व बैंक ने भी श्रीलंका को 6.73 करोड़ डॉलर की कर्ज सहायता दी है।
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