इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने शनिवार को गठबंधन सरकार के हाल ही में राष्ट्रीय जवाबदेही (एनएबी) अध्यादेश में संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। यह रिपोर्ट समाचार पत्र डॉन ने दी। श्री खान ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि संशोधन 'सार्वजनिक कार्यालय धारक द्वारा किए गए किसी भी सफेदपोश अपराध को लगभग समाप्त कर देंगें।' पिछले महीने नेशनल असेंबली और सीनेट द्वारा चुनाव सुधारों से संबंधित विधेयक को पारित किया गया था। दोनों सदनों से इसकी मंजूरी के बाद इसे कानून बनने के लिए राष्ट्रपति की सहमति जरूरी थी।
हालांकि श्री आरिफ अल्वी ने विधेयक वापस भेज दिए थे। जिसके बाद सरकार ने नेशनल एसेंबली और सीनेट की संयुक्त बैठक बुलाई, जिसमें उन्हें मंजूरी दे दी है। श्री अल्वी ने फिर से उन्हें 'प्रतिगामी' करार देते हुए हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया और उन्हें वापस भेज दिया लेकिन प्रक्रियात्मक रूप से संयुक्त बैठक के 10 दिन बाद एक विधेयक पारित हो जाता है और इसे कानून माना जाता है। भले ही राष्ट्रपति ने सहमति से इनकार कर दिया हो।
श्री खान ने आगाह किया कि जवाबदेही कानून को 'कमजोर और निष्प्रभावी' बनाना संविधान का एक गंभीर उल्लंघन है और इस बात को रेखांकित किया कि पाकिस्तान के लोगों को अपने चुने हुए प्रतिनिधियों को उनके भरोसेमंद कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराने का अधिकार है।
एनएबी (द्वितीय संशोधन) विधेयक 2021 में कहा गया है कि एनएबी के उपाध्यक्ष जिन्हें संघीय सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा। वह अध्यक्ष के कार्यकाल के पूरा होने के बाद ब्यूरो के कार्यवाहक अध्यक्ष बन जाएंगे। विधेयक ने एनएबी के अध्यक्ष और ब्यूरो के अभियोजक जनरल के चार साल के कार्यकाल को भी घटाकर तीन साल कर दिया है। कानून के अनुमोदन के बाद, एनएबी संघीय, प्रांतीय या स्थानीय कर मामलों पर कार्रवाई करने में सक्षम नहीं होगा। इसके अलावा, देश में कार्यरत नियामक निकायों को भी एनएबी के डोमेन से बाहर रखा गया है।
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