राज एक्सप्रेस। अगर हम इतिहास के पन्नों को पलटेंगे तो उसमें 6 अगस्त 1945 का दिन मानवीय इतिहास का सबसे दर्दनाक दिन होगा। यह वही दिन है जब अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर परमाणु बम से हमला किया था और देखते ही देखते एक हंसता-खेलता शहर राख के ढेर में तब्दील हो गया था। यह हमला इतना भयानक था कि इसके जख्म आज भी देखने को मिलते है। इस विध्वंसकारी दिन को याद करते हुए हर साल 6 अगस्त को हिरोशिमा डे मनाया जाता है। आज उस हमले की 77वीं बरसी है।
क्यों हुआ परमाणु हमला?
दरअसल साल 1945 तक द्वितीय विश्व युद्ध को 6 साल पूरे हो चुके थे, लेकिन जापान की आक्रामकता कम होने का नाम नहीं ले रही थी। वहीं पर्ल हार्बर पर हमले के चलते अमेरिका पहले से ही जापान पर गुस्सा था। ऐसे में जापान को सबक सिखाने के लिए अमेरिका ने परमाणु हमला करने का निर्णय लिया।
हिरोशिमा ही क्यों?
दरअसल उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रूमैन और उनके सहयोगियों का मत था कि जापान के सबसे बड़े शहर या राजधानी पर परमाणु बम गिराना सही नहीं होगा। इसके अलावा ऐसा शहर भी नहीं होना चाहिए जो जापानी संस्कृति का हिस्सा हो। वह शहर ऐसा हो जहां सैन्य प्रोडक्शन किया जाता हो और जिस शहर के बर्बाद होने से जापान डर जाए। ऐसी कई बातों को ध्यान में रखकर हिरोशिमा का चुनाव किया गया था।
क्या हुआ था उस दिन?
6 अगस्त 1945 को सुबह करीब 8 बजे अमेरिका ने 'लिटिल बॉय' नाम के परमाणु बम को हिरोशिमा पर गिरा दिया। बम के विस्फोट होते ही वहां करीब 4,000 डिग्री सेल्सियस तक की गर्मी पैदा हुई। इससे वहां मौजूद 80 हजार लोग उसी दिन मौत के मुंह में समा गए। एक मिनट से भी कम समय में हिरोशिमा शहर का 80 फीसदी हिस्सा जलकर राख हो गया। बम विस्फोट के बाद 29 किलोमीटर के एरिया में काली बारिश हुई थी, जिससे मौत का आंकड़ा बढ़ गया था। इस हमले में जो लोग बच गए थे, उन्हें भी कैंसर सहित अन्य बीमारियों ने घेर लिया। इस तरह हजारों लोग इस हमले के चलते धीरे-धीरे कुछ महीनों में मारे गए।
दूसरा परमाणु हमला :
हिरोशिमा पर हमले के तीन दिन बाद 9 अगस्त को अमेरिका ने नागासाकी शहर पर दूसरा परमाणु बम गिराया। हिरोशिमा की तरह ही नागासाकी में भी भयानक तबाही हुई। दोनों परमाणु हमलों के बाद जापान ने सरेंडर कर दिया और द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया।
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