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12वां विश्व हिंदी सम्मेलन: विदेश मंत्री ने फिजी में किया उद्घाटन, श्री शिव सुब्रह्मण्या स्वामी के किये दर्शन

12वां विश्व हिंदी सम्मेलन: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आज फिजी देश के नाडी में 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन किया। यह सम्मेलन करीब पांच साल के अंतराल के बाद हो रहा है।

Akash Dewani

राज एक्सप्रेस। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आज फिजी देश के नाडी में 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन किया। यह सम्मेलन करीब पांच साल के अंतराल के बाद हो रहा है। पिछली बार यह सम्मेलन साल 2018 में मॉरीशस के पोर्ट लुइस में आयोजित हुआ था। उद्घाटन के दौरान फिजी के राष्ट्रपति रातू विलीमे मैवालीली काटोनिवेरे और फिजी के प्रधान मंत्री सित्विनी राबुका उपस्थित थे।

इस सम्मेलन में भारत के 270 से अधिक शिक्षाविदों, विशेषज्ञों और हिंदी लेखकों ने भाग लिया। क्षेत्रीय भाषा को बढ़ावा देने के लिए विदेश मंत्री और राष्ट्रपति काटोनिवेरे ने खास तरीके के डाक स्टैंप और 6 किताबो को भी लॉन्च किया। इसके बाद उन्होंने नाडी में ही स्थित श्री शिव सुब्रह्मण्य स्वामी के भी दर्शन किए।

सम्मेलन के दौरान जयशंकर ने कहा कि विश्व हिन्दी सम्मेलन जैसे आयोजनों में स्वाभाविक है कि हमारा ध्यान हिन्दी भाषा के विभिन्न पहलुओं, उसके वैश्विक उपयोग और उसके प्रचार-प्रसार पर होना चाहिए। हम फिजी, प्रशांत क्षेत्र (Pacific Region)और अनुबंधित देशों में हिंदी की स्थिति जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा कि पश्चिमी भाषाओं और परंपराओं की नकल करने का युग समाप्त हो रहा है। “वह युग जब हमने पश्चिमीकरण के साथ प्रगति और आधुनिकता की तुलना की।

किए श्री शिव सुब्रह्मण्य स्वामी के दर्शन

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सम्मेलन के बाद फिजी के नाडी में ही स्थित हिंदू धर्म के तमिल संस्कृति वाले श्री शिव सुब्रह्मण्य स्वामी के दर्शन के किये। जयशंकर के साथ उनके संसदीय साथियों ने भी सुब्रह्मण्य स्वामी के दर्शन किए।

क्या है विश्व हिंदी सम्मेलन?

विश्व हिंदी सम्मेलन एक वैश्विक कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य हिंदी भाषा का प्रचार और प्रसार करना है। यह आयोजन ज्यादातर उन्ही देशों में आयोजित किया जाता है, जहां हिंदी बोलने वालों की संख्या काफी अधिक है। यह सम्मेलन विद्वानों, शिक्षाविदों, लेखकों और अन्य विशेषज्ञों को विचारों के आदान-प्रदान और हिंदी भाषा से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। इसका उद्देश्य हिंदी के सीखने और सिखाने के साथ-साथ विभिन्न देशों में इसकी आधिकारिक स्थिति में सुधार करना भी है।

फिजी में ही क्यों हुआ विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन

12वां विश्व हिंदी सम्मेलन भारत के विदेश मंत्रालय और फिजी सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है। फिजी में इस कार्यक्रम आयोजन का कारण है कि फिजी भारत के बाहर एकमात्र ऐसा देश है जो हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देता है। यही नहीं देशी हिंदी बोलने वालों की सबसे बड़ी आबादी फिजी में ही हैं। फिजी में हिंदी भाषा का उपयोग करने वालो की संख्या इतनी बड़ी है कि 140 साल पहले भारत के हिंदी भाषी क्षेत्र से गिरमिटिया नौकरों को द्वीपों पर गन्ने के बागानों में काम करने के लिए भेजा गया था।

गिरमिटिया या जहाजी कहे जाने वाले इन गिरमिटिया नौकरों ने हिंदी की विभिन्न बोलियाँ बोलीं लेकिन फिर भी हिंदी को एक सामान्य भाषा और सांस्कृतिक लंगर के रूप में पाया। यह इन श्रमिकों के वंशज हैं, जिन्होंने हिंदी को फिजी,मॉरीशस, दक्षिण अफ्रीका और त्रिनिदाद और टोबैगो, गुयाना और सूरीनाम के कैरेबियाई टापू देशों में भी फैलाने में मदद की थी। वर्तमान में फिजी हिंदी, जिसे फिजियन बाट या फिजियन हिंदुस्तानी के रूप में भी जाना जाता है।

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