Vivek Ramaswami  Raj Express
अमेरिका

चूंकि मैं हिंदू हूं, इस लिए मैं ही दूसरों की धार्मिक आजादी की रक्षा कर सकता हूं : विवेक रामास्वामी

राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी में पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प को भारतवंशी रामास्वामी (कड़ी टक्कर दे रहे हैं। वह उम्मीदवारी की दौड़ में दूसरे नंबर पर हैं।

Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • वह, डोनाल्ड ट्रंप के बाद रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी की दौड़ में दूसरे नंबर पर हैं, इसके बाद आते हैं सभी लोग

  • रामास्वामी ने कहा मैं हिंदू हूं, हिंदू स्वभाव से धर्मनिर्पक्ष होते हैं, वे किसी पर अपनी विचारधारा नहीं थोपते

  • अमेरिका में असल समस्या धर्म को मानने वालों और धर्मनिरपेक्षता को धर्म के रूप में मानने वालों के बीच है

रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को भारतवंशी विवेक गणपति रामास्वामी कड़ी टक्कर दे रहे हैं। वह अपने चुनाव प्रचार में अक्सर कहते हैं चूंकि मैं हिंदू हूं, इस लिए मैं ही दूसरों की धार्मिक आजादी की रक्षा कर सकता हूं। उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है।

राज एक्सप्रेस। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को भारतवंशी विवेक गणपति रामास्वामी (38 साल) कड़ी टक्कर दे रहे हैं। वह पार्टी में उम्मीदवारी की दौड़ में दूसरे नंबर पर हैं। रामास्वामी राष्ट्रपति चुनाव के पहले हिंदू उम्मीदवार हैं। उन्हें अपनी हिंदू आस्था और पहचान को लेकर बहुत गर्व है। रामास्वामी इन दिनों अपने चुनाव प्रचार में बहुत व्यस्त हैं। उन्होंने अपने व्यस्त कार्यक्रम के बीच भारत-अमेरिका संबंध, बदलती विश्व व्यवस्था, प्रवासियों के मुद्दे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत-अमेरिका संबंधों के बारे में विस्तार से बातचीत की।

योजना के तहत किया हिंदू धर्म पर फोकस

उन्होंने कहा कि मैंने अपने चुनाव प्रचार अभियान में हिंदू धर्म पर फोकस एक योजना के तहत किया है। मैं हिंदू हूं। हिंदुत्व मुझे विरासत में मिला है। जबकि, अमेरिका यहूदी-ईसाई धर्म के मूल्यों पर स्थापित हुआ है। हिंदू धर्म की ही तरह यहूदी-ईसाई धर्म में भी त्याग, निष्काम कर्म और विधि का विधान जैसी शिक्षाएं हैं। हिंदू धर्म के अनुसार ईश्वर आपके भीतर ही है और ईसाई धर्म के अनुसार आपको ईश्वर ने अपनी ही छवि में बनाया है।

परिवार, आस्था व देशभक्ति स्थापित करना मकसद

उन्होंने कहा मेरी खासियत है कि मैं हिंदू हूं, हिंदू स्वभाव से धर्मनिर्पक्ष होते हैं, वे किसी पर अपनी विचारधारा नहीं थोपते। मेरा मानना है कि एक हिंदू होने के नाते मैं अन्य नेताओं के मुकाबले दूसरों की धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों की बेहतर ढंग से रक्षा कर सकता हूं। मेरा उद्देश्य अमेरिकी समाज में परिवार, आस्था और देशभक्ति के मूल्यों को सहज करना है। मैं देख रहा हूं कि अमेरिका में सामाजिक मूल्य बहुत तेजी से बदल रहे हैं। अमेरिकी समाज इन मूल्यों को खोता जा रहा है, जो किसी भी समाज के मूल्य हुआ करते थे।

अमेरिका में समस्या विभिन्न धर्मों के बीच नहीं

अमेरिका में असल समस्या विभिन्न धर्मों में नहीं बल्कि परंपरागत रूप से धर्म को मानने वालों और धर्मनिरपेक्षता (सेक्युलरिज्म) को धर्म के रूप में मानने वालों के बीच में है। सेक्युलरिज्म के तौर पर आज वोक्जिम (उदारवाद), ग्लोबलिज्म को मानने वाले लोगों की संख्या बहुत ज्यादा हो गई है। लैंगिक आदर्श बदल गए हैं। ट्रांसजेंडरिज्म और यहां तक कि कोविडिज्म को मानने वाले लोग बड़ी संख्या में हैं और अपनी एक सामाजिक हैसियत बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

नरेंद्र मोदी दूरदर्शी और बेहतरीन नेता

अमेरिका में दिक्कत तब पैदा होती है जब धर्मनिरपेक्षता के नाम पर इन अलग-अलग विचारधाराओं को मानने वाले लोग इनको ही धर्म के रूप में अपना लेते हैं। फिर अन्य स्थापित धर्मों के अस्तित्व को ही मानने से इनकार कर देते हैं। भारत को लेकर किए गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी एक दूरदर्शी और बेहतरीन नेता हैं। भारत में गरीबी हटाने के लिए उन्होंने फ्री मार्केट इकोनामी को अपनाया है। अमेरिका भी इसी रास्ते आगे बढ़ा है। पीएम मोदी जिस तरह अपनी राष्ट्रीय पहचान को आगे रखकर चलते हैं, वह सीखने की जरूरत है। अमेरिका में भी आज ऐसे राष्ट्रपति की जरूरत है, जो राष्ट्रीय पहचान को आगे रख सके। दुर्भाग्य से राष्ट्रपति जो बाइडन इस भूमिका में फिट नहीं बैठते हैं।

बदलती अर्थव्यवस्था में भारत की भूमिका अहम

तेजी से बदलती विश्व व्यवस्था में भारत की भूमिका बेहद अहम है। हमें चीन पर दबाव बनाना है ताकि उसे ताइवान पर हमला करने से रोका जा सके। अमेरिका और भारत सहज साथी हैं। अंडमान निकोबार वाली बंगाल की खाड़ी और मलाका जलसंधि से चीनी जहाजों को रोकने के लिए हम भारत के साथ साझा रणनीति पर काम करेंगे। मेरा मानना है कि अमेरिका को भारत के साथ रिश्तों में बहुत सुधार करने की जरूरत है। मैं राष्ट्रपति बना तो पहले ही कार्यकाल में इस पर काम शुरू कर दूंगा। इसके अलावा 2025 में मॉस्को जाकर रूस से वैसी ही संधि करूंगा जैसी कभी राष्ट्रपति निक्सन ने चीन जाकर की थी। मैं रूस का चीन से गठजोड़ तोड़ यूक्रेन युद्ध को भी समाप्त कराऊंगा।

राष्ट्रपति के अलावा कोई और पद मंजूर नहीं

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन उम्मीदवारों की दौड़ में भारतवंशी बिजनेसमैन विवेक रामास्वामी तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे राष्ट्रपति के अलावा कोई और पद मंजूर नहीं है। इमर्शन कॉलेज के नए सर्वे के मुताबिक वे फ्लोरिडा के गवर्नर रोन डी-सेंटिस की बराबरी पर पहुंच गए हैं। रामास्वामी और डी-सेंटिस 10-10 फीसदी वोट के साथ दूसरे स्थान पर हैं। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 56% वोट के साथ पहले स्थान पर हैं। जून में ट्रम्प 59 फीसदी, डी-सेंटिस 21 फीसदी और पेंस 6 फीसदी पर थे, जबकि रामास्वामी सिर्फ 2 फीसदी पर थे। तब से अब तक रामास्वामी को 8 फीसदी का फायदा हुआ है। डी-सेंटिस को 11 फीसदी और ट्रम्प-पेंस को 3-3 फीसदी का नुकसान हुआ है।

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