अमेरिका, दुनिया। पिछले दिनों इराक और सीरिया के अमेरिकी सैन्य अड्डों पर कई हवाई ड्रोन हमले होने की खबर सामने आई थी। वहीं, अब अमेरिका ने इसका बदला लेते हुए सीरिया और इराक पर हमले किए हैं। जी हां, अमेरिका ने सीरिया पर एयर स्ट्राइक कर दो हमले किए, इसमें कई आतंकी ठिकाने ध्वस्त हो गए हैं। इस बारे में जानकारी अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने दी है। अमेरिका द्वारा जिन स्थान पर यह हमले किए गए हैं, उन्हें ईरान की इस्लामिक रेवोल्यूशनरी गार्ड्स कोर और ईरान समर्थित संगठनों से जुड़ा हुआ माना जा रहा हैं। इस मामले में अमेरिकी रक्षा सचिव ने एक बयान साझा किया है।
अमेरिकी रक्षा सचिव का बयान :
अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने अपने बयान में कहा है कि, "अमेरिका संघर्ष नहीं चाहता है और आगे की दुश्मनी में शामिल होने का उसका कोई इरादा या इच्छा नहीं है। लेकिन अमेरिकी सेना के खिलाफ ये ईरानी की मदद से होने वाले हमलों को स्वीकार नहीं किया जाएगा और इन्हें हर हाल में रोककर रहेंगे। ईरान इन हमलों में अपने शामिल होने की बात को छिपाना चाहता है और अमेरिकी सेनाओं के खिलाफ इन हमलों में अपनी भूमिका से इनकार करना चाहता है, लेकिन अमेरिका, ईरान को ऐसा नहीं करने देगा। सीरिया पर हमले आत्मरक्षा के तौर पर थे और इजरायल-हमास युद्ध से इनका कोई लेना देना नहीं है।"
अमेरिका की चेतावनी :
व्हाइट हाउस राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने चेतावनी दी थी कि अमेरिकी अपनी पसंद के समय और पसंद के तरीके पर हमलों का जवाब देगा। किर्बी की टिप्पणी तब आई जब अमेरिकी रक्षा विभाग ने कहा कि इराक और सीरिया में अमेरिकी और सहयोगी बलों पर इस महीने ईरानी समर्थित आतंकी समूहों द्वारा कम से कम 16 बार हमला किया गया था। इजरायल-हमास युद्ध के फैलने के बाद से क्षेत्र में अमेरिकी सेना पर हमले बढ़ गए हैं। इस महीने अमेरिकी सैनिकों पर हमला तब हुआ जब फिलिस्तीन के आतंकी समूह हमास ने इजरायल पर अचानक हमला बोला।
अमेरिकी राष्ट्रपति का कहना :
इन हमलों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडने ने बताया है कि, अमेरिका की तरफ से मध्य पूर्व में अमेरिकी सैनिकों पर हुए हमलों के बाद ईरानी सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को सीधे तौर पर चेतावनी दी थी। इसका इजरायल से कोई संबंध नहीं है।
बाइडन की चेतावनी :
बता दें, अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने मीडिया से बात करते हुए ईरानी सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को चेतावनी देते हुए कहा था कि, 'अयातुल्ला को मेरी चेतावनी है कि, अगर वो उन सैनिकों के खिलाफ आगे बढ़ना जारी रखेंगे, तो हम जवाब देंगे, और उन्हें तैयार रहना चाहिए। अमेरिका का संदेश न तो इस्लामी क्रांति के नेता के लिए थे और न ही वे ईरानी पक्ष के अनुरोधों के अलावा कुछ और थे।'
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