अमेरिका ने दी मैकमोहन लाइन को मान्यता Syed Dabeer Hussain - RE
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अमेरिका ने दी McMahon Line को मान्यता, जानिए भारत और चीन के बीच क्यों हैं इसको लेकर विवाद?

भारत और तिब्बत के बीच जब मैकमोहन लाइन (McMahon Line) खींची गई थी, तब तिब्बत एक स्वतंत्र देश था। लेकिन साल 1950 आते-आते चीन ने पूरी तरह से तिब्बत पर अपना कब्जा कर लिया।

Priyank Vyas

McMahon Line : भारत और चीन के बीच काफी समय से चले आ रहे सीमा विवाद के बीच अब अमेरिका ने बड़ा फैसला लिया है। बीते दिनों अमेरिका ने भारत और चीन के बीच मौजूद मैकमोहन लाइन को अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर (International Border) के तौर पर मान्यता दे दी है। इस संबंध में अमेरिकी संसद में प्रस्ताव पास हो गया है। इस प्रस्ताव में अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) को भारत का अभिन्न हिस्सा बताया गया है। साथ ही सीमा रेखा पर चीन की हरकतों की अमेरिका ने निंदा भी की है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर मैकमोहन (McMahon Line) रेखा क्या है? और यह कब व क्यों खींची गई थी?

1914 में हुए था शिमला समझौता :

दरअसल साल 1914 में भारत और तिब्बत के प्रतिनिधियों के बीच दोनों देशों की सीमा निर्धारण को लेकर शिमला समझौता हुआ था। उस समय भारत पर ब्रिटेन का शासन था जबकि तिब्बत एक स्वत्रंत हुआ करता था। समझौते के दौरान ब्रिटिश शासकों ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग और तिब्बत के दक्षिणी हिस्से को भारत का हिस्सा बताया। ब्रिटिश शासकों के इस दावे को तिब्बतियों ने भी मंजूरी दे दी थी।

890 किमी लंबी है मैकमोहन लाइन :

भारत और तिब्बत के प्रतिनिधियों के बीच शिमला समझौता होने के बाद भारत के तत्कालीन विदेश सचिव सर हेनरी मैकमहोन (Henry McMahon) ने भारत और तिब्बत के बीच 890 किलोमीटर लंबी लाइन खींची। यह लाइन अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा बताते हुए खींची गई थी। विदेश सचिव सर हेनरी मैकमहोन के नाम पर ही इस लाइन को मैकमोहन लाइन कहा जाता है।

चीन क्यों नहीं मानता?

दरअसल भारत और तिब्बत के बीच जब मैकमोहन लाइन खींची गई थी, तब तिब्बत एक स्वतंत्र देश था। लेकिन साल 1950 आते-आते चीन ने पूरी तरह से तिब्बत पर अपना कब्जा कर लिया। ऐसे में जो मैकमोहन लाइन कभी भारत और तिब्बत के बीच खींची गई थी, वह अब भारत और चीन के बीच आ गई। लेकिन साल 1950 में चीन ने मैकमोहन लाइन को मानने से इंकार कर दिया और अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा ठोक दिया। इसके पीछे चीन का तर्क है कि वह शिमला समझौते का हिस्सा नहीं था, इसलिए वह इस लाइन को नहीं मानता है।

भारत का पक्ष :

इस पूरे मामले में भारत का पक्ष एक दम साफ रहा है। भारत का कहना है कि मैकमोहन लाइन खींचते समय तिब्बत एक स्वतंत्र देश था। ऐसे में उसे अपने देश की सीमा का निर्धारण करने का पूरा हक था। यही कारण है कि भारत मैकमोहन लाइन को ही भारत और चीन के बीच अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर के तौर पर मान्यता देता है। अब अमेरिका ने भी भारत का पक्ष लेते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर के तौर पर मान्यता दे दी है।

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