हाइलाइट्स
जॉन कैम्पबेल से हारे अंपायर
खिलाड़ी-अंपायर सबने तोड़े नियम
इंग्लैंड समेत अंपायर्स से पड़ा जूझना
तीसरे दिन विंडीज को लेने पड़े 5 DRS
राज एक्सप्रेस। कोरोना के साये में हुई अंतरराष्ट्रीय स्तर क्रिकेट की वापसी से क्रिकेट फैंस को स्तरीय क्रिकेट देखने की आस बंधी थी लेकिन पहले ही मैच में एक नहीं दर्जन भर ऐसे मौके आए जब दर्शकों को मायूसी भी हाथ लगी। मैच में खिलाड़ी-अंपायर सभी नियम तोड़ते नजर आये।
ऐसे रचा इतिहास-
साउथैम्पटन के मैदान में covid-19 नियम हावी थे, स्थानीय अंपायर लगातार गलत निर्णय दे रहे थे ऐसे में विंडीज ने इंग्लैंड की अंपायर समेत 13 सदस्यीय टीम को न केवल कड़ी चुनौती दी बल्कि ऐतिहासिक मैच में जीत भी हासिल की।
अंपायर्स का प्रकोप –
महामारी कोरोना वायरस के हमले के बीच इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के बीच नये नियम-कायदों के साथ साउथैम्पटन में खेले गए सीरीज के पहले टेस्ट मैच में वेस्ट इंडीज की टीम को अंपायर्स के प्रकोप का भी सामना करना पड़ा। महामारी कोरोना के बीच अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की वापसी में रोमांच के साथ कई दफा निराशाजनक स्थिति भी निर्मित हुई।
गौरतलब है कि पहले टेस्ट मैच का पहला दिन बारिश से धुलने के बाद मेहमान टीम वेस्टइंडीज ने मेजबान इंग्लैंड की टीम के मुकाबले बल्लेबाजी-गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण में दमदार प्रदर्शन किया। इतना ही नहीं विंडीज के खिलाड़ियों ने कई दफा अंपायर्स तक को शर्मिंदा कर डाला।
अंपायरिंग का घटिया स्तर -
दरअसल अंपायरिंग के मामले में पहला टेस्ट मैच आलोचकों के निशाने पर आ गया है। अंपायर्स के खराब नतीजों का खामियाजा सबसे अधिक बार वेस्टइंडीज टीम को उठाना पड़ा। मैच के तीसरे दिन की बात करें तो इस दिन वेस्ट इंडीज की टीम को आधा दर्जन दफा अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम (UDRS) या डीआरएस (DRS) का सहारा लेना पड़ा। इसमें से 4 बार मैदानी अंपायरों के फैसले गलत साबित हुए।
केटेलबोरोह और इलिंगवर्थ की किरकिरी -
दरअसल सीरीज में कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर विदेशी अंपायरों के बजाए स्थानीय अंपायर्स को तैनात करने का फैसला लिया गया है। पहले टेस्ट मैच में फील्ड अंपायर रिचर्ड केटेलबोरोह और रिचर्ड इलिंगवर्थ के फैसलों पर कई बार अंगुली उठी।
दोनों ही अंपायरों ने तीसरे दिन कई बार वेस्टइंडीज के खिलाफ गलत फैसले लिये। विंडीज टीम ने 4 फैसलों को चुनौती दी तो सभी फैसले डीआरएस में गलत साबित हुए। इतना ही नहीं मैदानी अंपायर्स का व्यवहार मैच में लगभग अनाड़ियों सरीखा नजर आया। इन फैसलों की कॉमेंट्री पैनल में भी काफी भर्त्सना हुई।
गेंदबाजी के दौरान -
विंडीज को पहला डीआरएस 25.4 ओवर में शैनन गैब्रियल की गेंदबाजी के दौरान तब लेना पड़ा जब पगबाधा (LBW) की अपील पर रोरी बर्न्स को अंपायर ने आउट नहीं दिया। गैब्रियल ने डीआरएस लिया तो नतीजा विंडीज के पक्ष में आया।
इसी तरह 33वें ओवर में कप्तान जेसन होल्डर की पगबाधा अपील भी अंपायर ने ठुकरा दी और जैक क्रॉली को नॉटआउट करार दे डाला। होल्डर को भी डीआरएस लेना पड़ा जिसके बाद तीसरे अंपायर का फैसला वेस्टइंडीज के पक्ष में आया।
इस क्रम में पुछल्ले बल्लेबाज जोफ्रा आर्चर को भी अंपायर ने नॉटआउट करार दिया तो जेसन होल्डर को फिर से डीआरएस लेना पड़ा। तीसरे अंपायर ने फैसला पलटा तो होल्डर के पारी में 5 विकेट भी पूरे हुए।
बल्लेबाजी में फैसले -
कैरिबियाई टीम अभी गेंदबाजी के दौरान अंपायर्स के गलत फैसलों से उबरी भी नहीं थी कि बल्लेबाजी में भी अंपायरों के गलत फैसलों पर बल्लेबाज लगातार निशाने पर रहे। अंपायरिंग का खराब स्तर इस बात से जाना जा सकता है कि एक बल्लेबाज को तीन बार पगबाधा के फैसले के खिलाफ डीआरएस लेना पड़ा। तीसरी बार में जाकर मैदान के अंपायर इलिंगवर्थ को सफलता मिली।
निशाने पर रहे कैम्पबेल -
दरअसल बल्लेबाजी के दौरान जेम्स एंडरसन की गेंद पर अंपायर ने जॉन कैम्पबेल को पहली बार आउट दिया तो कैम्पबेल ने रिव्यू का सहारा लिया। डीआरएस में तीसरे अंपायर ने ग्राउंड अंपायर के फैसले को बदलकर कैम्पबेल को नॉट आउट करार दिया।
इस फैसले के 6 ओवर बाद अंपायर ने फिर से कैम्पबेल गलत आउट दिया। मामला डीआरएस तक पहुंचा तो कैम्पबेल फिर से नॉट आउट करार दिये गये। आखिरकार इसी ओवर की आखिरी गेंद पर अंपायर इलिंगवर्थ का एलबीडब्ल्यू का फैसला डीआरएस में सही साबित हुआ।
इंग्लैंड से प्रेम –
कहना गलत नहीं होगा, मैच में अंपायर्स का इंग्लैंड के प्रति अति प्रेम साफ दिखाई दे रहा था। दरअसल ग्राउंड अंपायर विंडीज की बाजिव अपील को जहां लगातार ठुकराते या नजरअंदाज करते रहे वहीं इंग्लैंड की गलत-सलत अपीलों पर विंडीज के बल्लेबाजों को जबरिया आउट तक देते दिखे।
तेंदुलकर-लारा चैट –
गौरतलब है हाल ही में भूतपूर्व क्रिकेटर्स सचिन तेंदुलकर और ब्रायन लारा के बीच डीआरएस के मुद्दे पर हुई वीडियो चैट ट्विटर पर काफी सुर्खियां बटोर रही है। हमवतन हरभजन सिंह ने भी तेंदुलकर की राय पर रजामंदी जताई है।
दरअसल तेंदुलकर ने कहा था कि डीआरएस में यदि गेंद स्टंप से टकराती दिखे तो बल्लेबाज को आउट देना चाहिए। चाहे गेंद का आंशिक हिस्सा ही क्यों ने स्टंप को छू रहा हो। क्या है सचिन की डीआरएस पर राय विस्तार से जानने आर्टिकल सचिन की सलाह पर बोले भज्जी- “पाजी में आपसे सहमत हूं” पर क्लिक करें।
''गेंद का कितना प्रतिशत हिस्सा स्टंप्स से टकराता है यह मायने नहीं रखता। अगर डीआरएस हमें दिखाता है कि गेंद स्टंप से टकरा रही है, तो इसे मैदानी कॉल की परवाह किए बिना ऑउट दिया जाना चाहिए। क्रिकेट में तकनीक के इस्तेमाल का यही मकसद है। जैसा कि हम सब जानते हैं कि न तो टेक्नोलॉजी और न ही इंसान 100 प्रतिशत सही है।"– सचिन तेंदुलकर, भूतपूर्व भारतीय बल्लेबाज एवं कप्तान
दूसरे टेस्ट से पहले –
सीरीज के पहले मैच में घटिया अंपायरिंग का मुद्दा सोशल मीडिया पर जमकर बतियाया जा रहा है। क्रिकेट फैंस की राय है कि मेजबान इंग्लैंड को अंपायरिंग के खराब स्तर की समीक्षा कर उसमें सुधार करना चाहिए, ताकि 16 जुलाई से ओल्ड ट्रेफर्ड में होने वाले सीरीज के दूसरे मैच में गलतियों की पुनरावृत्ति न हो।
सबने तोड़े नियम –
वैसे तो कोरोना वायरस का संक्रमण न हो इसलिए गेंद पर लार या थूक लगाने पर प्रतिबंध था लेकिन एंडरसन इस मैच में ऐसा करते स्क्रीन पर देखे गए। खिलाड़ियों को जश्न मनाने के दौरान गले मिलने, हाथ टकराने या मिलाने की मनाही थी लेकिन विंडीज के खिलाड़ी कई बार ऐसा करते नजर आए। अंपायर्स ने कितनी दफा नियम तोड़े यह भी जांच का विषय है।
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डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।
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